जब भी हमारे धर्म ग्रंथों या इतिहास के पात्रों के साथ वामपंथियों ने छेड़छाड़ की कोशिश की है. सोशल मीडिया पर विरोध की एक साथ आवाज़ उठी है.
अपने व्यक्तिगत लाभों के लिए किये गए उनके प्रचार के हथकंडे उनके ही पैरों पर ऐसे कुल्हाड़ी की तरह ऐसे पड़े कि वो कांय कांय करके रह गए.
कुतर्क सिर्फ एक, या तो हमारे पात्र काल्पनिक हैं, या उनकी कहानियों के पात्र का हमारे पात्रों से कोई सम्बन्ध नहीं क्योंकि उन्होंने कहानी बदली हुई है.
ये कुछ ऐसा ही है कि आप गली के मजनुओं को अपनी लड़की को छेड़ने से नहीं रोक सकते, अपनी लड़की को कहो हमारे मोहल्ले से गुज़रना छोड़ दे. वरना वो इलज़ाम लगाएंगे तुम्हारी लड़की को बोलो बुर्के में निकला करें, ऐसे कमर और पीठ दिखाती हुई साड़ी पहनने की क्या ज़रूरत है.
तो फिल्म पद्मावती में ना मुझे दीपिका के नृत्य पर आपत्ति है, न उसके पेट और कमर दिखाते हुए परिधान पर. कहानी की मांग के अनुसार हिरोइन पता नहीं क्या क्या करती हैं, ये तो सिर्फ बहुत सामान्य सा नृत्य और परिधान है जो हमारी भारतीय परम्पराओं के अनुसार ही है. इसमें आपत्ति करने जैसा कुछ भी नहीं है.
यहाँ आपत्ति क्यों उठ रही है उसका मूल उद्देश्य सोशल मीडिया के वामपंथियों को समझ नहीं आ रहा इसलिए विरोध में दिए जा रहे बेतुके कारणों पर तर्क पूर्ण सफाइयां देने में वो लगातार सफल हो रहे हैं.
हाँ आजकल की महिलाएं ब्रा नुमा ब्लाउज पहनती हैं, दीपिका ने तो फिर भी पूरे कपडे पहने हैं. जब बार गर्ल बनकर कजरारे कजरारे, और तवायफ बनकर हम पर ये किसने हरा रंग डाला गा सकती हैं, तो फिर घूमर नृत्य तो फिर भी बहुत सम्मानजनक है…
आप गौर कीजिये आपत्ति न ऐश्वर्या के कजरारे नृत्य पर उठी थी, न माधुरी के हम पे ये किसने हरा रंग डाला पर. अरे यहाँ तो सनी लिओन के किसी अश्लील गाने पर भी आपत्ति नहीं उठती तो ऐसा क्या है जो दीपिका के घूमर नृत्य पर विरोध हो रहा है.
बात सिर्फ इतनी सी है जो मैं शुरू से कहती आई हूँ, हमारे ग्रंथों और इतिहास के पात्र काल्पनिक हो सकते हैं (नहीं भी हो सकते) लेकिन उनके पीछे के सन्देश कभी काल्पनिक नहीं होते.
रामायण और महाभारत के संदेशों को प्रामाणिक बनाने के लिए कई काल्पनिक कथाएँ जोड़ी गयी हैं ये हम सब जानते हैं. लेकिन यह भी जानते हैं कि उन कहानियों का उद्देश्य केवल सन्देश को अधिक स्पष्ट रूप से समझाना है.
यहाँ विरोध का एकमात्र उद्देश्य यह सन्देश देना है कि तुम अपनी हिरोइन को बिना कपड़ों के भी नचवाओगे तो हम साथ नाचने को तैयार हैं… लेकिन सनातन हिन्दू धर्म ग्रंथों के इतिहास को मलिन करने के तुम्हारे पुराने हथकंडों को बहुत अच्छे से समझ गए हैं. इसलिए अब तुम उनकी तरफ बुरी तो क्या अच्छी नज़र से भी आँख उठाओगे तो हम तुम्हारी आँखें फोड़ देंगे. क्योंकि तुम लोगों ने हमारी संस्कृति का इतना अधिक नुकसान किया है कि अब तुम्हें उस तरफ देखने का भी अधिकार हम नहीं देते.