बात राहत साहब के एक शेर से शुरू करना चाहूंगा.
उंगलियाँ यूं ना सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले….कमाया करो.
शेर मुश्किल नहीं है आसान है. और ये हर उस आदमी औरत पर लागू है जो आज पद्मावती पर अपनी अल्पज्ञान गंगा बहा रहा है. मैं नही जानता पद्मावती एक सत्य है या कल्पना पर इतना जानता हूँ कि उसके विवाहित जीवन की धर्म दृढ़ता की गरिमा दिव्य है.
मैने कई लेख पढ़ें, कहीं कुछ स्त्रियों का प्रश्न है के पद्मावती ने तलवार क्यों नहीं उठाई जौहर क्यों किया. किसी को लग रहा था के उसका पति के लिए जौहर करना उसे पुरुषों की नज़र में महत्वपूर्ण बनाता है. कोई पद्मावती के बलिदान की हीन तुलनाएं जाने किन किन ऐतिहासिक स्त्रियों से कर रहा था.
प्रश्न करने का अधिकार सब को नहीं होता. प्रश्न करने का अधिकार कमाना पड़ता है. फेसबुक जैसी पब्लिक साइट पर दिन में दस बार दिल टूटने की पोस्ट डालने वाले हम लोग क्या वो नैतिक अधिकार रखते है कि रानी पद्मावती के इतिहास से ऐसे प्रश्न कर सके.
जिन औरतो को ये तक नहीं पता कि घर में चोर घुस आये तो किचन में चाकू कहाँ है, वो नंगी तलवारें लिए हजारों इस्लामिक अतंकियों से घिरे किले में एक सुकोमला राजकुमारी को तलवार क्यों नहीं उठाई पूछ रही है. खिलजी कोई उसके मामा का लड़का नहीं था. अनजान विधर्मी लुटेरा था. जो उसकी देह पर आसक्त था.
जिन पुरुषों का दिन का आधा वक्त fb पर स्त्रियों को रिक्वेस्ट भेजने और उन स्त्रियों की वाल पर शेरो शायरी करने में गुज़रता हो वो इतिहास की एक ऐसी स्त्री के बलिदान और चरित्र की व्याख्याएं और तुलनाएं कर रहे हैं, जिसने विकटतम परिस्थितयों में अपना शील बचाने के लिए अग्नि की शरण ली.
संजय लीला भंसाली जैसे लोग यदि इंडस्ट्री के बिजनेस में, अपना उत्तरदायित्व भूल गए हैं तो कम से कम हमें तो चाहिए के हम अपने हिस्से का उत्तरदायित्व निभाए.
मैं नही जानता एक ज़िंदा इंसान जब जलता है तो कितना दर्द होता है. पर इतना जानता हूं सनातन परंपरा में एक स्त्री के लिए एक पर पुरुष की मलिन छुअन से ज्यादा जलाने वाला कुछ नहीं हो सकता. पद्मिनी ने अग्नि को अपनी देह देकर अपनी आत्मा के शील की शीतलता और पवित्रता को बचा लिया.
जब लैला मजनू शिरी फरहाद, रोमियो जूलियट जैसे काल्पनिक पात्र एक दूसरे के लिए मर सकते हैं, तो रानी पद्मावती अपने रत्न सिंह के लिए क्यों नहीं.
राजपूतों की वीरता की गाथाएं झूठी हो या सच. पर काल्पनिक पद्मावती के प्रेम जौहर की कथा पर सारा प्रामाणिक इतिहास न्योछावर.
संजय लीला भंसाली Shame on You के तुमने रानी पद्मावती को उसकी चिर निद्रा से जगाया भी तो इतने अनादर के साथ.