फिर कुछ समय बाद तो क्रिकेट देखना छोड़ ही दिया था. इसलिए इसे मेरा देखा आखिरी रोमांचक मैच समझिए.
नेटवेस्ट ट्रॉफी 2002, नासेर हुसैन की शानदार बल्लेबाज़ी, इंग्लैण्ड का स्कोर 325
सौरव गांगुली और विरेंदर सहवाग ने भी धुआंधार शुरुआत दी. फिर विकेट गिरे.
दबाव के क्षणों में हर बार बिखर जाने वाला तेंदुलकर, इस बार भी नाकाम ही रहा. नाज़ुक मौके पर आउट होने के बाद भी जिस गर्वीली चाल और ऐंठे अंदाज़ में वो मैदान से बाहर जाता है, पता नहीं कितनी बद-दुआएं कमाई होंगी उस रात.
फिर सम्भाला युवराज ने… और वो जादुई पारी खेली, जिसे ध्यान में रखकर उनका करियर इतनी देर तक चल सका.
इन सबके बीच अंतिम क्षणों से कुछ पहले आउट होकर गए स्पिनर हरभजन ने अपने ठोके 15 रनों से वाकई दिल जीत लिया था.
श्वांसरोधक माने जाने वाले इस मैच को आखिरकार टीम इंडिया ने जीता… यही वो मैच है जिसे पवैलियन में खड़े गांगुली के टी-शर्ट उतारने के लिए याद किया जाता.
विजयी रन बनने के साथ ही मेरे आसपास का इलाका आतिशबाज़ी से झिलमिला गया, पटाखों के शोर से पास खड़े व्यक्ति से बात करना मुहाल था.
घर से बाहर किसी पब्लिक प्लेस पर देख रहा था ये मैच. ऐसे में मैंने मोबाइल निकाला और किसी को दिल्ली फोन किया… सिर्फ पटाखों की आवाज़ सुनाने के लिए…
पहले चीख कर जीत की खबर दी और फिर पटाखों का शोर सुनाया, जवाब में उधर से भी चीखती हुई आवाज़ में ही कुछ कहा गया, और उधर भी पटाखों का शोर.
उस रात मुझे एक और नया हीरो मिला था, हालांकि बाद में कोई चमत्कार नहीं कर सका वो… क्यों था वो मेरा हीरो, ये तो इस video क्लिप को देख कर समझ आएगा, नाम बता देता हूँ – मोहम्मद कैफ़.