घर में अचानक खूब सारे मेहमान आ जाते हैं, ननंद, उनके बच्चे. और घर में उनको खिलाने पिलाने के लिए ज़्यादा सामग्री उपलब्ध नहीं है. कम समय और कम सामग्री में इंस्टेंट रेसिपी बनानी हो तो सबको शैफाली की याद आती है.
मैं किचन में पहुँचती हूँ और उपलब्ध सामग्री से जल्दी से कुछ पकाने लग जाती हूँ. उस व्यंजन को पूरा करने के लिए मुझे एक पैकेट से अंत में मुझे कुछ मिलाना होता है, जिसके बाद वो व्यंजन पूरा हो जाता खाने के लिए. लेकिन जैसे ही मैं उस पैकेट को उठाती हूँ, गैस के चूल्हे के नीचे से भूरे रंग का एक बिल्ली का बच्चा आता है और मुझ पर धीरे से बिना तकलीफ दिए छलाँग लगा देता है.
उसका स्पर्श बहुत कोमल है लेकिन फिर भी मुझे चूल्हे पर जो पक रहा है उसमें वो पैकेट की सामग्री डालना आवश्यक है तो मैं उसे हटाने की कोशिश करती हूँ.
वो बिल्ली का बच्चा अपने दांत मेरे पंजे पर गड़ा देता है और तब तक नहीं छोड़ता जब तक वो पैकेट मेरे हाथ से गिर नहीं जाता. पैकेट गिरने के साथ ही बिल्ली का बच्चा कहीं गायब हो जाता है. और मेरे हाथ पर उसके काटे के निशान रह जाते हैं.
इतने में मेहमानों में से कोई बोलता है, अब आपको कुछ पकाने की ज़रूरत नहीं है देखिये लोग कितने स्वादिष्ट व्यंजन अलग अलग जगह से भेज रहे हैं.
मैं पलटकर देखती हूँ तो डायनिंग टेबल तरह तरह के गरमा गरम भोजन से सजा है, भोजन की रंगत और उससे निकलता धुंआ… मेरे साथ घर के सब लोग आश्चर्य से देख रहे होते हैं… इतना सुन्दर दिखने वाला भोजन…
मैं अचंभित सी खड़ी रह जाती हूँ और मेरी निगाह स्वामी ध्यान विनय को खोजने लग जाती है, मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लगता है ये सब उन्हीं का जादू है. तभी स्वामीजी वहां आते हैं और मैं दौड़कर उनसे लिपट जाती हूँ…
स्वामी जी प्यार से मेरे सर पर हाथ फेर कर कहते हैं… मैं जानता हूँ आप मुझे शिद्दत से पुकार रही थी… मेरी आँखों में बेतहाशा आंसू हैं… और ह्रदय में अहोभाव… मैं जानती हूँ आपके रहते मुझे जीवन में कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा…
उपरोक्त सपना मैंने कल रात देखा… उसमें उन सभी बच्चों के बीच सोलह सत्रह वर्ष की एक सुन्दर सी बालिका भी दिखाई दी जिसको मैं पहचान नहीं सकी.
जीवन पुनर्जन्म से गुजरने के बाद स्वप्न की दुनिया मेरे लिए अधिक मुखर होती जा रही है. जब भी अस्तित्व को मुझ तक कोई सन्देश पहुँचाना होता है वो मेरे लिए स्वप्न के द्वार खोल देता है. यूं तो मुझे स्वप्न याद नहीं रहते लेकिन कुछ स्वप्न ऐसे होते हैं जिनको में VISION की श्रेणी में रख सकती हूँ, जिसका एक एक दृश्य शब्दों में उतार सकती हूँ…
ये स्वप्न महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि कल शाम जीवन की एक बहुत महत्वपूर्ण योजना को अंतिम रूप देने जा रही थी… लेकिन काल जैसे उस बिल्ली के बच्चे की तरह आया और वो अंतिम प्रयास हाथ से छूट गया. हाथ में वैसे ही दांतों के निशान रह गए और कंठ में सिसकियां फंसी रह गयी. लेकिन मैंने धैर्य की मुस्कराहट के झीने परदे के पीछे उसे छुपा लिया.. नियति का फैसला समझ कर स्वीकार कर लिया…
लेकिन कल रात का स्वप्न, संकेत दे गया कि कुछ चीज़ें अस्तित्व के हाथों में छोड़ देना चाहिए… मेरा अंतिम प्रयास यदि सफल हो जाता तो कदाचित वो योजना इतनी सुन्दरता से उभरकर नहीं आती जितनी सुन्दरता और प्रेम से अस्तित्व मुझे अपने हाथों से सजाकर देने वाली है.
स्वप्न से जागी तो बब्बा (ओशो) की वो पंक्तियाँ दिखाई दी जो पिछले कुछ दिनों से बार बार मेरे सामने लाई जा रही है…
“You may have come for other reasons but I am cooking something else.”
महामाया की इस मायावी दुनिया के रहस्य एक एक करके मेरे सामने खुलते जा रहे हैं… और मैं हर बार रूपांतरण की प्रक्रिया से गुज़रते हुए अचंभित सी आगे बढ़ती जा रही हूँ… स्वामी ध्यान विनय भी यही कहते हैं… आप अचंभित होने की शक्ति को बनाए रखिये… आप अचंभित होती रहेंगी तो अस्तित्व आपको अचंभित करता रहेगा… और हाँ मैं तो कोई स्वप्न देखता नहीं, ना सोते में न जागते में, मेरी कोई ऐसी अभिलाषा भी नहीं होती… लेकिन आप स्वप्न देखना मत छोड़ियेगा… क्योंकि ब्रह्माण्डीय ऊर्जा आपका हर स्वप्न पूरा करती है…
आज का दिन मेरे लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है. 13 नवम्बर 2009 दिन शुक्रवार को मैंने स्वामी ध्यान विनय के साथ इस घर में गृहप्रवेश किया था.
13 नवम्बर 2015 दिन वही शुक्रवार को मैंने अपने गुरु श्री एम के प्रथम दर्शन पाए थे.
और आज वही 13 नवम्बर है आज न जाने कौन सा आशीर्वाद मुझ पर बरसने वाला है ये सोचकर बैठी ही थी कि एक मित्र से मुझे गाय के यह फोटो प्राप्त हुए.
मैं खुशी से उछल पड़ी… मैं शकुन शास्त्र पर बहुत आस्था रखती हूँ… ये मेरे लिए शुभ संकेत था… मैंने उससे पूछा कहाँ मिली?
कहने लगा अभी मेरे सामने बैठी है…
मैंने पूछा पैर छुए?
कहने लगा नहीं सिर्फ सर पर हाथ फेरा…
मैंने कहा मेरी तरफ से पैर छू कर आशीर्वाद ले लो… ये कोई सामान्य गाय नहीं, इस बात का ज़िक्र मैं पहले एक लेख में कर चुकी हूँ जिसको उसने अभी कुछ दिन पहले ही पढ़ा था.
वो दुबारा उस गाय के पास गया तब तक उसने अपने पाँव वापस मोड़ लिए थे…
लेकिन कुछ देर बाद फिर उस मित्र का सन्देश आया… कहने लगा ये तो सचमुच जादू है… मैं दोबारा गया तो वो पाँव वापस मोड़ चुकी थी… मैंने उस गाय को शक्कर रोटी खिलाई और प्रेम से प्रार्थना की कि बहुत दूर से पैर छूने का आदेश आया है गौमाता… और उस गाय ने दोबारा अपने आगे के दोनों पैर आगे कर दिए…
मित्र ने मेरी तरफ से उसके पैर छूकर आशीर्वाद लिया… मैंने मित्र को हृदय से आशीर्वाद दिया और कहा… आज के दिन उसका इस तस्वीर को भेजना परमात्मा के तरफ से आशीर्वाद समान है… मैं एक बार फिर अचंभित हूँ..
मैंने पहले भी कहा है केवल गाय ही हमारी माता नहीं, कुत्ते भी हमारे बहुत निकट संबंधी हैं…. बल्कि प्रकृति का हर जीव जंतु… इस बार इस बिल्ली के बच्चे द्वारा संकेत मिला है जो दो दिन पहले अपनी माँ से बिछड़ गया था और पूरी शाम मेरे घर के आँगन में घूमता हुआ उसे पुकारता रहा… स्वप्न में भी बिल्ली के बच्चे का आना… न जाने इन स्वप्न के तार भी कहाँ कहाँ से जुड़ जाते हैं सब उस महामाया का जादू है…
हे महामाया जब तू परीक्षा लेते लेते नहीं थकती तो मैं परीक्षा देते देते कैसे थक जाऊं… एक बार फिर तेरे चरणों में समर्पित हूँ… तेरी मर्ज़ी के बिना तो एक पत्ता तक नहीं हिल सकता… तो फिर मेरे जीवन की योजनाओं पर मेरा क्या ज़ोर… वही होगा जो तू चाहेगी… और मुझे तेरा हर फैसला पूरी कृतज्ञता से स्वीकार है.
(गाय के चित्र के लिए मित्र निशांत को प्रेम और आशीर्वाद)
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