इधर पिछले कुछ दिनों में दो वीडियो पहले सोशल मीडिया में वायरल हुए और फिर उन्हें TRP-खोर टीवी ने लपक लिया.
पहले वीडियो में एक बदतमीज बददिमाग तथाकथित सीनियर सिटीजन Indigo के स्टाफ को गाली देता हुआ पाया गया.
उसके सड़क छाप आचरण को वो बेचारे Indigo के ग्राउंड स्टाफ वाले बर्दाश्त करते रहे.
फिर भी जब वो अपनी बदतमीजी से बाज नही आया तो उसे बस में चढ़ने से रोका गया.
गाली गलौच के बाद हाथापाई भी उसी ने शुरू की. इसके बावजूद नेशनल टीवी पर उसे ही पीड़ित बना के पेश किया गया.
वो तो भला हो सोशल मीडिया का जिसने पूरा सम्पूर्ण वीडियो देश को दिखाया और सत्य सामने आया.
दूसरे वीडियो में ये दिखाया जा रहा है कि मुम्बई पुलिस एक ऐसी कार को tow करके ले गयी जिसमे एक महिला अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ बैठी थी.
वीडियो वायरल हुआ. नेशनल टीवी के पास अन्य कोई मुद्दा तो अब बचा नहीं है इसलिए सोशल मीडिया से ही वीडियो उठा उठा के दिखाते रहते हैं.
इस केस में भी बवाल मचा और मुम्बई पुलिस के उस कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है.
अब इस केस की सच्चाई निकल के आ रही है…
दरअसल हुआ ये था कि एक अत्यंत व्यस्त सड़क पर गाड़ी पार्क करके मियाँ बीवी शॉपिंग करने लगे. ट्रैफिक पुलिस आयी और गाड़ी उठा ली.
जब पुलिस गाड़ी ले जाने लगी तो मोहतरमा बच्चे के साथ गाड़ी में सवार हो गयी, और बच्चे को दूध पिलाने लगी.
अब बच्चे को दूध पिलाती महिला को पीड़ित दर्शाना बेहद आसान होता है सो कुछ तमाशबीनों ने इस घटना का वीडियो बना लिया और वायरल कर दिया.
वीडियो में बनाने वाला बार बार कह रहा है कि गाड़ी में महिला बैठी है. बच्चा मर जायेगा तो कौन जिम्मेवार होगा.
ये सवाल तो उस महिला से पूछा जाना चाहिये कि सिर्फ एक गलत तरीके से पार्क की गई गाड़ी को टो किये जाने से बचाने के लिए उसने अपने महिला होने का, माँ होने का फ़ायदा उठाकर जबरदस्ती पीड़ित बनने का नाटक किया.
जान बूझ के खुद को और अपने बच्चे को इस खतरनाक स्थिति में डाला…
ज़्यादा से ज़्यादा क्या होता? गाड़ी टो करके थाने ले जाई जाती. ऑटो पकड़ के वहां जाते. जुर्माना भर के छुड़ा लाते. अब भी तो आखिर यही किया.
अपने माँ होने का, महिला होने का, अपने दुधमुंहे बच्चे को मोहरा बनाने की ज़रूरत नहीं थी. उसको जबरदस्ती बीमार करने की ज़रूरत नहीं थी.