घर का काम काज सँभालने और निपटाने में काफी परिश्रम और समय लगता है.
भारत में शायद लोगों को एक सामान्य घर के कार्य कलाप की जानकारी हो, लेकिन फिर भी उन्होंने भोर से लेकर रात्रि तक घर को चलाने की प्रक्रिया के बारे में ध्यान ना दिया हो.
आम मध्यम वर्गीय परिवार में बर्तन, बाग़-बगीचे, टॉयलेट इत्यादि की सफाई के लिए बाहरी लोग सस्ते में उपलब्ध हैं.
सब्जी भी ठेलेवाला घर के द्वार पर दे जाता है. लेकिन अमेरिका में, वह भी न्यू यॉर्क में, ऐसी सुविधाओं के लिए कम से कम प्रति घंटे 15-20 डॉलर या लगभग 1500-2000 रुपये महीने का पारिश्रमिक प्रति दिन कुछ घंटे के काम का देना पड़ेगा.
अतः सारा कार्य स्वयं करना पड़ता है.
मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि कई भारतीय परिवारों ने अमेरिका में भोजन ले लिए टिफ़िन की व्यवस्था की हुई है.
या फिर, वे हफ्ते में एक बार घर में किसी को पैसा देकर पूरे सप्ताह का भोजन बनवा लेते हैं और उसे फ्रीज़र में रख कर आवश्यकता के अनुसार निकालकर माइक्रोवेव में गरम करके खाते हैं.
लेकिन मेरे विचार इस विषय में भिन्न है. मेरा मानना है कि भोजन हमारा पेट नहीं भरता, बल्कि हमारी आत्मा को पोषित करता है.
अतः प्रातः 5.45 पर उठ कर उठते ही मै कॉफ़ी के बीन को ग्राइंडर या मशीन में पीसता हूँ, फिर उस पाउडर को कॉफी मशीन में ब्रियु करके दो कप काली कॉफी को एक छोटी चम्मच चीनी मिलकर पीता हूँ और पत्नी को भी पिलाता हूँ.
उन दो कप को पीने में करीब 40 मिनट लग जाता है, जिस दौरान रात में आयी कार्यालय की मेल (अमेरिका में सुबह के 6 यूरोप में दोपहर 12 होते हैं जबकि जाड़े के समय के भारत में दोपहर के 4.30 होते है), भारत और विदेश के समाचार, और फेसबुक चेक करता हूँ.
कुछ ही देर ने तैयार होकर पत्नी के साथ ट्रैन स्टेशन की तरफ 14 मिनट की वॉक और 35 मिनट की यात्रा के दौरान एक समाचार पत्र पढ़ लेता हूँ.
ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन से कार्यालय 14 मिनट की वॉक और 8.45 के पहले फ़ोन और कंप्यूटर लॉग इन करके कार्य और मीटिंग का सिलसिला शुरू.
सांयः लौटते समय एक अन्य समाचार पत्र पढ़ते हुए हम दोनों घर सवा सात के आस-पास घुसते है. कपड़े बदलकर कुछ ही देर में हम दोनों रसोई में.
सब्जी काटने, प्याज, लहसुन, अदरख, हरी मिर्च को चॉप करने और आटा सानने (अगर रोटी बनाने का मन किया) का कार्य मेरा.
पत्नी सब्जी, दाल, चावल धोने और सब्जी छौकने की तैयारी करती है, रोटी बनाती है और अगले दिन लंच के लिए सलाद के पत्ते सिरके के पानी में धोती है.
45 मिनट में दाल, सब्जी, चावल या रोटी तैयार.
भोजन के बाद डिशवॉशर (बर्तन साफ़ करने की मशीन) में बर्तन और लंच बॉक्सेस लगाने का काम और बड़े बर्तन, जैसे कि प्रेशर कुकर, कड़ाही, भगोने धोने का काम मेरा.
बर्तन धुलने के बाद उन बर्तनों को उनके स्थान में रखने में भी समय लगता है. पत्नी अगले दिन के लंच और सलाद बॉक्स पैक करती है; किचन साफ़ करती और समेटती है.
भोजन करके रात्रि 8.30 बजे वाइन के साथ भारतीय समाचार पत्र पढ़ने, लेख लिखने, फेसबुक देखने, और कोई पुस्तक पढ़ने में निकल जाता है.
शनिवार को प्रातः 10 बजे के आस-पास स्थानीय किसानों के बाज़ार में फल-सब्जी खरीदना, ग्रोसरी (परचून) स्टोर से दूध-दही इत्यादि खरीदा जाता है.
हर दो हफ्ते में एक बार वाइन शॉप से वाइन, भारतीय स्टोर से घी, सरसो का तेल, दाल, मसाले, हरी मिर्च इत्यादि, होल फ़ूड (जिसे अमेज़न ने खरीद लिया है) आर्गेनिक ग्रोसरी स्टोर से ओलिव आयल, कॉफ़ी बीन्स इत्यादि, एशियाई स्टोर से थाई, जापानी भोजन का सामान, तथा कुछ अन्य स्टोर से कॉस्मेटिक, क्रीम खरीदा जाता है.
कुल मिलकर हर शनिवार पांच घंटे शॉपिंग में निकल जाते है.
रविवार को पांच शर्ट की कॉलर और बांहों की रंग के हिसाब से घिसाई, गंदे कपड़ो, चादरों को वॉशिंग मशीन में धोना और फिर ड्रॉयर में सुखाना, उन्हें प्रेस करने में काफी समय निकल जाता है.
पत्नी घर की सफाई करती है और मैं दो टॉयलेट और बाथरूम की. पूरे घर में वैक्यूम क्लीनिंग होती है, पोछा लगता है, बाथरूम के एक-एक नल को, बड़े से शीशे को चमकाया जाता है.
गर्मियों में मशीन से लॉन की घास काटता हूँ, किचन गार्डन की देख-भाल. गर्मियों में हर दिन ऑफिस से आने के बाद लॉन और पेड़-पौधों की सिंचाई में 45 मिनट निकल जाते हैं.
जाड़े में अगर बर्फ गिर गयी, तो घर के बाहर पैदल चलने वाले रास्ते और कार से उसकी सफाई कड़ाके की ठण्ड में करनी पड़ती है.
मंगलवार की सुबह मुझे कूड़ा-कचरा और बुधवार को अखबार, प्लास्टिक और बोतलों के अलग-अलग कूड़ेदान बाहर निकलना होता है और सायं को वापिस रखना.
पत्नी शुक्रवार को ही साबुत चने, काली मसूर और हरे मूंग की दाल भिगो देती है और फिर उसे अंकुरित किया जाता है, जिसे सरसो, धनिया, पुदीने और अन्य सलाद पत्ते के साथ मिलाते है, और कटे नीम्बू, सेब, संतरे के साथ हर दिन ऑफिस ले जाते है.
वही मेरा ब्रेकफास्ट होता है और पत्नी का ब्रेकफास्ट और लंच.
कार्यालय जाते, लौटते समय तथा भोजन तैयार करते समय ऑफिस के काम-काज, शॉपिंग, तथा दुनिया भर की गप-शप होती है.
कहने का तात्पर्य यह है कि घर में होने वाले काम के सभी आयामों को समझें, उस काम को करने वालों – चाहे वे कामवाले या कामवाली हो या आपके परिवार के सदस्य – के परिश्रम और योगदान को सराहें.
इस पूरे काम-काज़ में मैंने बच्चों की जिम्मेवारी का उल्लेख ही नहीं किया. उनका काम संभालना एक अलग ही दुनिया है.
पति-पत्नी को भी केवल घर के काम के समय ही बात करने का समय मिल पाता है, बाकी का समय ऑफिस का काम, बच्चों, परिचितों, टीवी, अखबार में चला जाता है.
और साथ मिलकर बनाये भोजन का स्वाद ही कुछ अलग होता है.