सत्य से भागने वाला समाज कभी सभ्य नहीं हो सकता और न ही वो विकसित बन सकता है.
हम कितना सत्य से भागते हैं वो इसी फेसबुक पर जरा सी देर में समझ आ जाता है अगर ध्यान दें तो.
पहला उदाहरण है Ryan International School का मामला…
जब उस छोटे से बच्चे की हत्या की खबर चली तो मन खराब था और डर भी था सभी विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा के लिए.
मन खिन्न होने से इस पर कुछ नहीं लिखा गया… समाचार चैनल झूठ पे झूठ कहानियाँ परोसते गए और पुलिस पर अनायास दबाव बनाते गए.
सोशल मीडिया पूरी तरह से पागल होकर चल पड़ा उसी मेन स्ट्रीम मीडिया के रास्ते…
Ryan के मालिकों के सात पुश्त की कुण्डलियाँ बाँची गईं… लेकिन किसी प्रबुद्धजन ने ये नहीं सोचा की बालक की हत्या से पुश्तों की कुंडली से क्या सम्बन्ध…
बस के ड्राइवर को पकड़ के झूठा केस भी बन गया… आज तक ने उसका इंटरव्यू लेकर उसको हत्यारा भी साबित कर दिया…
अब जब मामला CBI से संभाला तो केस ही अलग हो रहा है… अब प्रश्न ये उठता है कि हत्या करने वाले बच्चों को उनके माँ बाप और समाज ने क्या सिखाया…
समाज और माँ बाप बच्चों के लिए क्या कर रहे हैं… समाज और माँ बाप बड़े बड़े महंगे स्कूलों में बच्चों को भेज रहे है लेकिन क्या उनको नैतिक और व्यवहारिक शिक्षा मिल रही है…
परीक्षा और PTM का डर बच्चों को क्या क्या करने को उकसा रहा है…
रोज सुबह सड़क पर निकल कर देखिये, माँ बाप ने बच्चों की स्कूल जाने के लिए मोटरसाइकिल और स्कूटर दे दिया है…
पेट्रोल और जेबखर्ची के लिए हर रोज सैकड़ों रुपये लुटा रहे है, सड़क पर एक गाड़ी पर चार चार बच्चे 100 की स्पीड से फर्राटा भरते दीखते है…
जब एक्सीडेंट होता है तब मामला किसी पर थोपने की कोशिश होती… फिर से सच्चाई से दूर… अपनी शान और अकड़ की आड़ में सत्य को हर तरह से काटने के लिए तैयार…
गाड़ी दे दी, अपना रुतबा भी झाड़ दिया कि बच्चे के लिए अलग गाड़ी की औकात रखते हैं, बच्चे का भी रुतबा अन्य पर स्कूल में बढ़ा दिया… लेकिन क्या ट्रैफिक नियम बताए?
जाहिर सी बात है कि नहीं बताए क्योंकि खुद ही उसका पालन करने का दिमागी औकात नहीं है… बच्चों को सही दिशा नहीं दिखा पाने वाले माँ बाप और समाज जब तक सत्य से दूर भागेंगे इस तरह की घटनाएँ होती रहेंगी.
किसी स्कूल के MD, प्रिंसिपल की, आप लोग पुश्तें बांचते रहना… किसी ड्राइवर या माली को फंसा के सत्य से भागते रहना…
दूसरा उदाहरण है Indigo की घटना… मेरे पिछली पोस्ट पर बहुत लोग खिलाफ थे और कई प्रतिक्रियाएं वही सत्य से दूर… अपने ही तरीके से वीडियो को देखने की जिद पर अड़े लोग… लेकिन सड़क से लेकर हवाई अड्डे तक अपनी हरकतें देखी है लोगों ने…
भारत में ही हवाई जहाज़ में सीट बेल्ट बांधने, ट्रे टेबल बंद करने, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बंद करने का अनाउंसमेंट होने के बाद क्रू मेंबर को एक एक सीट जाकर चेक करना पड़ता है.
कई लोग मोबाइल बंद करने के मामले पर लड़ने भी लगते हैं… don’t teach me, I am not flying for the first time ये तकिया कलाम है…
जहाज रुकते ही भड़ भड़… तड़ तड़ करते, धक्का मुक्की करते लोग इसी भारत के है… ट्रांसफर बस में घुसते ही गेट पर अटक जाने वाले लोग भारत में ही हैं…
लाइन से खड़ा होने के लिए कहने पर लड़ाई करने वाले लोग भारत में ही हैं… जरा सी बात पर बाहर निकल कर देख लेने की धमकी देने वाले लोग भारत के ही हैं…
अगर जहाज़ में कोई ग्रुप चल रहा हो तो जहाज़ के अंदर चीख चिल्ली मचा के दूसरों को irritate करने वाले भारत के ही लोग हैं…
किसी भी हवाई अड्डे या जहाज़ पर देख लीजिये ग्राउंड स्टाफ या क्रू मेंबर से उलझने वाले भी भारत के लोग है…
एक दूसरे की औकात दन्न से नापने वाले भारत के ही लोग हैं… सड़क पर उलटी दिशा में चलने वाले लोग, लेन व्यवस्था को ठेंगा दिखाते लोग… असभ्य, अकड़ू, बेगैरत भारत के लोग…
सत्य को समझ के बच्चों को सही दिशा, ये समाज और माँ बाप दिखाएँ, वरना आने वाले दिनों में ऐसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी ही होनी है.