व्यवसाय के तरीकों में बदलाव लाकर ही ऑनलाइन के सामने टिक सकेंगे ऑफलाइन रिटेलर

पिछले लेख पर एक मित्र ने कहा है कि एक ऑफलाइन रिटेलर ऑनलाइन से टक्कर ले ही नहीं सकता है.

इसका कारण बताते हुए वे लिखते हैं कि ऑफ़लाइन रिटेलर को जिस प्राइस में सामान मिलता है उस कीमत से भी कम कीमत पर माल ऑनलाइन बिक रहा है.

उन्होंने पूछा है कि ऑनलाइन सामान कम कीमत पर कैसे मिला रहा है और पूछा कि क्या विदेशों में भी ऑफलाइन और ऑनलाइन के दामों में इतना फर्क है?

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दोनों ही प्रश्नो में वज़न है.

दूसरे प्रश्न का उत्तर आसान है.

विदेशो में भी ऑफलाइन और ऑनलाइन के दामों में काफी अंतर है. इसीलिए पुस्तकों की कई विशाल दुकानें बंद हो गयी हैं.

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इसके अलावा कई विशाल शोरूम जो कई मंजिल पर होते है, वे भी बंद हो गए.

अमेरिका में लोग फल, सब्ज़ी, कुत्ते का खाना, डायपर इत्यादि भी ऑनलाइन खरीद रहे है.

अगर अमेज़न के बिज़नेस मॉडल को देंखे तो वह अपने लाभ को नए उद्यमों में निवेश कर रहा है.

इसके बावजूद भी डिजिटल या ऑनलाइन इकॉनमी ने कई अन्य क्षेत्रो को उद्यमों के लिए खोला है.

उदाहरण के लिए, ओला या उबेर को लीजिये. एक ही दिन में दिल्ली की काली-पीली टैक्सी का एकाधिकार समाप्त हो गया.

मैं जब भी दिल्ली यात्रा के दौरान ओला या उबेर में बैठता हूँ, तो ड्राइवर से बात करता हूँ कि टैक्सी का मालिक कौन है, कैसे उसे वह टैक्सी मिली, कितना बन जाता है. कई बार ड्राइवर ही टैक्सी का मालिक निकला.

लेकिन छोटे दुकानदारों का भी रोल है. उन्हें सस्ते माल का मुकाबला बेहतर सेवा से करना होगा.

क्या कोई भी महिला बिना 50 साड़ी देखे हुए खरीद लेगी? या फिर सूट? या फिर सूटकेस, चूड़ियाँ, जूते, शर्ट, मेक-अप का सामान इत्यादि?

हाँ, टीवी, फ्रिज, लैपटॉप जैसे ब्रांडेड गुड्स के लिए समस्या है. लेकिन उसके लिए आपको ग्राहक को उत्तम सेवा देनी होगी क्योकि कई बार वे कंफ्यूज़ होते है कि कौन सा सामान अपने बजट में लिया जाए?

उस समय आप को ग्राहक के हित के अनुसार सलाह देनी होगी, ना कि ना बिकने वाले माल को निकालने की तैयारी.

अंत में, ग्राहक अब दुकान में केवल सामान खरीदने नहीं आते हैं, बल्कि एक एक्सपीरियंस या अनुभव के लिए भी ववे घर के बाहर निकलते हैं.

आप को एसोसिएशन से मिलकर दुकान या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बाहर उचित पार्किंग, साफ़-सफाई, स्वच्छ टॉयलेट इत्यादि की भी व्यवस्था करनी होगी.

ग्राहक को अगर माल खरीदने के बाद नहीं पसंद आता, तो उसे बिना ना-नुकर करे वापिस करना होगा. उसे पक्का बिल दीजिये जिससे ग्राहक का विश्वास बढ़े.

कई बार दुकानदार कच्चे-पक्के बिल की बात करते है; ग्राहक अगर कच्चे बिल पर माल ले भी ले, वह सोचता है कि दुकानदार बेईमान है जो आज के समय में बिज़नेस के लिए घातक हो सकता है.

मार्जिन बढ़ाने के लिए सरकार को यह व्यवस्था करनी होगी कि भ्रष्टाचार समाप्त हो. नहीं तो आप का मोटा पैसा घूस में निकल जायेगा, जब कि ऑनलाइन वाले इस घूस को देने से बच जायेंगे.

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