यूँ तो शायद हम अब कभी न मिलें…
पर दिल करता है
एक बार तो मेरे पास बैठो तुम
सिर्फ़ मुझे सुनने को,
जैसे मैं सुना करती थी तुम्हें आँखें मूँद
तो मैं तुम्हें बताऊँ
मुझे कैसा लगा था जब तुमने कहा था पहली बार
देवी, अगर तुम मिल सकती हो
तो मैं आ सकता हूँ
और तुम्हें याद आए आख़िरी बार का वो कहना
मैंने तो कभी मिलना ही नहीं चाहा तुम्हें
कभी कोई ऐसी ख़्वाहिश ही नहीं पनपी मन में
या फिर
तुम्हारे मिलने के बाद का वो मेरा पहला जन्म दिन
तुम्हारा बैठे रहना रात के बारह बजे तक मुझे विश करने को
मेरा फूट फूट कर रोना
तुम्हारा कहना मुझे मालूम था ऐसा ही करोगी
मेरी बाहों में आ जाओ
शांत हो जाओ
इश्क़ की बरसात जब होती है तो यूँ बहते ही हैं आँसू
और फिर तुम्हें याद आए
तुम्हारा अगले सालों में कहना
मुझे तो तारीखें याद ही नहीं रहती
अपना जन्म दिन भी कहाँ याद रहता है
मैं बताना चाहती हूँ तुम्हें
मैं क्यों रोई थी उस दिन
और भी बहुत सी बातें हैं जो मैंने तुम्हें कभी नहीं बताई
तुम सिर्फ़ कहना चाहते थे
सुनना नहीं
मैं मोहब्बत में थी
इबादत में
सिर्फ़ सुनना चाहती थी
सब मंत्र थे मेरे लिए
आयतें थे
पर अब दिल करता है
कभी जो मिले तुम
तो तुम सुनना
मैं बताउँगी तुम्हें
क्या क्या हुआ था इश्क़ में
पर तुम्हें समझ तो तभी आएगा न
गर तुम इश्क़ में होगे……..
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