यूपी स्टेट विद्युत बोर्ड के 30% प्लांट लोड फ़ैक्टर के घाटे वाले कबाड़ा ऊँचाहार प्लांट को टेकओवर करके NTPC द्वारा 100% प्लांट लोड फ़ैक्टर व विश्वस्तरीय परफॉरमेंस व प्रॉफिट देने वाले प्लांट में बदलने की सफलता की कहानी को कभी किसी मीडिया वाले ने नहीं सुनाया होगा.
कभी किसी मीडिया वाले ने ये नहीं बताया कि एक समय घाटे में चलने वाली ऊँचाहार की इकाईयाँ आज भारत और एशिया ही नहीं बल्कि विश्व के टॉप इकाइयों में से एक है.
अब तक कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है.
[रायबरेली NTPC प्लांट में बॉयलर पाइप फटने से 30 की मौत, 100 घायल]
लेकिन एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के बाद मीडिया वालों ने दिन रात में अंतर न समझने वाले, त्योहारों व छुट्टियों में भी ड्यूटी करने वाले कर्मठ लोगों को लापरवाह, बेकार घोषित कर डाला!
नालायकों! यदि लापरवाह होते तो क्या बड़े अधिकारी मौका ए वारदात पर ड्यूटी करते हुए दुर्घटना के शिकार होते?
उनमें से एक आज इस दुनिया में नहीं है, कुछ अभी भी बहुत ही गंभीर अवस्था में हैं!
ये संगठन एक परिवार है जहाँ मज़दूर व अफ़सर के एक ही मेस होते हैं.
जिस लाइन में मज़दूर लगता है, उसी में अफ़सर भी लगता है.
ये वो संगठन है जहाँ यदि किसी मज़दूर पर विपत्ति आ जाए या बच्चों की शादी विवाह की बात आ जाए तो लोग मिलकर लाख-हज़ारों रुपए उसके मदद के लिए एकत्र कर देते हैं.
युद्ध के मैदान में कमांडर की तरह कार्यस्थल पर अफ़सर हमेशा आगे होते हैं.
यही कारण है कि इतना कुछ होने के बाद भी मज़दूरों ने तोड़ फोड़ व हड़ताल जैसा कुछ नहीं किया.
कोई और जगह होती तो स्थिति सम्भाले न सम्भालता! उपद्रव हो जाता जिसे किसी हाल में रोका नहीं जा सकता था. पुलिस लगानी पड़ती.
मृतकों व घायलों की किसी हाल में क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती, लेकिन जो भी सम्भव हो वो मदद की जा सकती है.
इसीलिए इस संगठन के 23,000 लोगों ने मिलकर मृतकों व घायलों को सरकारी मुआवजे के अलावा अपनी एक दिन की सैलरी देने का निश्चय किया है.
आज इस परिवार का हर सदस्य शोक में हैं! लेकिन उससे भी ज़्यादा तकलीफ़ इस बात की है कि बिना जाने-सोचे लाशों पर राजनीति करने वाले पहुँच जा रहे हैं. TRP के लिए भूखी मीडिया कुछ भी बोलने व बकने से बाज़ नहीं आ रही है.