Exam सिर पर हैं. एक लौंडा दिन रात एक किये हैं. खाना पीना सोना सब भूल गया है. दिन रात सिर्फ पढ़ रहा है. फेसबुक व्हाट्सएप सब बंद कर दिया है.
कुछ लोगों को लगता है कि लौंडे को कुछ नहीं आता… उसे डर है कि फेल हो जाएगा… इसलिए दिन रात मेहनत कर रिया है.
दिन रात मेहनत करने का एक दूसरा कारण भी तो हो सकता है…
लौंडे ने ठान लिया है… अबके टॉप करना है… 100 में से 100 नंबर लेने हैं… इसलिए पिला पड़ा है… दिन रात मेहनत कर रिया है…
मोदी – अमित शाह की रणनीति, इन दोनों के काम करने का ढंग अब मुझे समझ आने लगा है…
2012 के आसपास मैंने लिखा था कि मोदी को अगर देश जीतना है तो उन्हें बनारस से चुनाव लड़ना चाहिए.
कुछ मित्र लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद का नाम भी ले रहे थे… मैंने कहा, नहीं… जो असर बनारस से पड़ेगा वो लखनऊ कानपुर या इलाहाबाद से नहीं पड़ेगा…
मोदी अगर बनारस से लड़ते हैं तो इसका असर पूर्वांचल की 50 सीटों और बिहार की 20 सीटों पर पड़ेगा… देश जीतने के लिए पूर्वांचल जीतना ही पड़ेगा…
सेनाएं युद्ध में जैसे बीच समंदर में Air Craft Carrier खड़ा कर देती हैं न, ठीक वैसे ही, मोदी को पूर्वांचल में अड्डा बनाना चाहिए.
जब चुनाव आया तो मोदी जी वडोदरा और बनारस दोनो जगह से लड़े… कुछ महामूर्ख बोले, मोदी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं इसलिए सुरक्षित सीट खोज रहे हैं…
मोदी अहमदाबाद छोड़ वडोदरा क्यों गए? वडोदरा से गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्यों पर असर पड़ता था इसलिए.
2017 के विधानसभा चुनाव में हवा उड़ाई गयी कि बनारस में हालात बहुत खराब हैं. बनारस की तो आठों सीट हारेंगे मोदी…
मोदी के गढ़ में अगर इतने बुरे हालात हैं तो शेष यूपी में क्या होगा, सोच लो… सब लोग बहुत नर्वस हो गये… बनारस का चुनाव अंतिम चरण में था…
मोदी ने तीन दिन बनारस में ही पड़ाव डाला… पहले दिन उन्होंने गली-गली घूम के घर-घर जा के संपर्क किया…
चुनाव से पहले ऐसे जनसंपर्क छुटभैये नेता करते हैं, प्रधानमंत्री नहीं… इस से संदेश गया कि हालात वाकई खराब हैं…
अगले दिन मोदी बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन करने निकले. एकदम रोड शो वाले माहौल में. 5 घंटे सड़क पर रहे. बताया गया कि ये रोड शो नहीं है. रोड शो तो कल है…
अगले दिन बाकायदे रोड शो हुआ… लाखों की भीड़ जुटी… कहा गया कि चुनावी रणनीतिकार गलती कर रहे हैं… पूरे तीन दिन एक ही शहर में???
लगातार दो दिन रोड शो? गली गली घर घर घुमाया जा रहा है प्रधानमंत्री को??? मने हालात इतने खराब हैं???
जब चुनाव परिणाम आए तो सब चुनावी विश्लेषकों के चीथड़े उड़ गए. पूरा पूर्वांचल क्लीन स्वीप…
तब सबको समझ आया कि लौंडा काहे दिन रात एक किये था… लौंडे को डर फेल होने का नहीं था… उसको तो 100 में से 100 चाहिए था… लौंडे का दिल मांगे मोर…
लौंडा जब बनारस में लगातार तीन दिन प्रचार कर रिया था तो यूँ समझ लीजे कि वो बनारस से पूर्वी यूपी के 40 जिले कवर कर रिया था.
बनारस का एक रोड शो अगल बगल के 40 जिलों में भाजपा के लिए वोट बटोरता है.
अब आइये गुजरात पर… हालात बहुत ख़राब हैं, बहुत नाराज़गी है, व्यापारी नाराज़ है, पटेल पाटीदार नाराज़ हैं, Anti Incumbency है… कड़ी टक्कर है…
आ गयी आ गयी… कांग्रेस आ गयी… ऐसा माहौल बनाया जा रहा है… मोदी इतना डरे हुए हैं कि गुजरात में उनकी 50 सभाएं रखी गयी हैं… दो चार रोड शो भी होंगे ही…
राहुल बाबा का इतना ख़ौफ़ है कि उनके डर के मारे, हो सकता है कि मोदी को गली-गली घर-घर घुमा के जनसंपर्क तक करना पड़े…
गुजरात में हालात वाकई बहुत खराब हैं… सिर्फ 150 सीट आएंगी…