क्यों स्त्रियों को नारियल फोड़ना मना है!

मंदिर के बाहर आपको नारियल बेचती हुई औरतें तो मिल जाएँगी, लेकिन मंदिर या घर में कभी किसी स्त्री को नारियल फोड़ते हुए नहीं देखा होगा. नारियल का पूजा में इतना महत्व होने के बावजूद स्त्रियों का नारियल फोड़ना वर्जित है.

कोई भी पूजा स्त्री के बिना सम्पूर्ण नहीं मानी जाती, लेकिन इस श्रीफल को को स्त्री अर्पित नहीं कर सकती. आखिर क्यों स्त्रियों को नारियल फोड़ने से मना किया जाता है. हिन्दू धर्म में इस बात का कही उल्लेख नहीं देखा गया है कि स्त्रियों को नरियल नहीं फोड़ना चाहिए. तो आखिर इसके पीछे ऐसे क्या तथ्य है, आईये जानते है –

नारियल के फल को नई सरंचना का बीज माना गया है जिसे कि प्रजनन प्रणाली से जोड़कर देखा जाता है. मानव प्रजाति में सिर्फ महिलाये ही प्रजनन कार्य को पूरा करती है उनके द्वारा इस संसार में एक नए जीव की सरंचना होती है तो ऐसे में वह किसी बीज को जो एक नया स्वरुप वाला है, उसको कैसे नष्ट कर सकती है?

आपने कई बार देखा भी होगा नारियल के अन्दर से निकलने वाले बीज को किसी ऐसी स्त्री को खिलाया जाता है जो विवाहित हो और पुत्र जन्म की कामना रखती हो.

ऐसी मान्यता है कि नारियल को स्वयं भगवान् विष्णुजी में धरती पर भेजा था. नारियल ही वह पहला फल है जिसे खुद ईश्वर ने भेजा है, इसीलिए उस फल पर विष्णु जी की धर्मपत्नी अर्थात लक्ष्मी जी का हक़ है. इसलिए किसी भी दूसरी स्त्री को नारियल फोड़ने का हक़ नहीं बनता है. यही कारण है कि स्त्रियों को नारियल फोड़ने से परहेज करवाया जाता है.

श्रुष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्मा जी, संसार चलाने वाले विष्णु जी और इस विश्व का संहार करने वाले महेश जी, यह तीनों एक साथ ही नारियल के फल में विद्यमान है , ऐसे में स्त्रियाँ कैसे नारियल को फोड़ सकती है? इसलिए उन्हें नारियल को फोड़ने से मना किया जाता है.

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