दिल्ली NCR में ख़ासकर नॉएडा, ग़ाज़ियाबाद, आनंद विहार जैसे इलाक़ों में जहाँ सड़कें वैक्यूम क्लीनर से साफ़ नहीं होती, वहाँ की हवा इतनी ख़राब हो चुकी है कि आप नाक पर बिना रूमाल बाँधे सड़क पर चल नहीं सकते।
आम तौर पर शरद का मौसम ऐसा होता है जब सर्दी, ज़ुकाम, बुखार नहीं होता लेकिन यहाँ यही मौसम सबसे ज़्यादा कष्टकारी होता है, क्योंकि बारिश तुरंत बीती होती है, उसके बाद सड़कों की धूल व उस पर लाखों-करोड़ों गाड़ियों का चलना AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स / Air Quality Index) ख़राब कर देता है। अस्थमा, एलर्जी आम हो चुका है!
क़ाबिले ग़ौर है कि छुट्टियों के दिन, माने शनिवार व रविवार को जब सड़कों पर कम गाड़ियाँ होती हैं, उस दिन AQI सही होता है। दूसरे, दिल्ली के अन्य क्षेत्रों जहाँ सड़कें वैक्यूम क्लीनर से रोज़ाना साफ़ हो रही हैं, वहाँ भी AQI 200 से ज़्यादा नहीं है, जबकि उन सड़कों पर भी हैवी ट्रैफ़िक रश है! माने एक ले-मैन भी इन आँकड़ो को देखकर निष्कर्ष निकाल ले, AQI ख़राब होने का मूल कारण व समाधान क्या है?
एक कलीग जो जापान गए थे, उन्होंने बताया कि वहाँ दिल्ली जैसी ही गाड़ियाँ सड़कों पर रेंगती हैं लेकिन हवा एकदम साफ़ क्योंकि सड़कें एकदम साफ़ सुथरी! लेकिन EPCA, NGT और कोर्ट इस निष्कर्ष पर आज तक नहीं पहुँच सका या जानबूझ कर इग्नोर करता है कि सड़कों का धूल धक्कड़ साफ़ करके ही वायु प्रदूषण रोका जा सकता है.
उनका ध्यान उन कारणों पर होता है जिनका कोई significant role ही नहीं है। सड़कों की वैक्यूम क्लीनर से और सीवेज वाटर से सफ़ाई का काम कब होगा, पता नहीं!
कान तरस गए इस ख़बर को सुनने को लेकर लेकिन आए दिन अख़बार में आता है कि EPCA और NGT ने पेटकोक पर बैन लगा दिया, प्लांट बंद करा दिया, डीज़ल गाड़ी बंद करा दिया आदि आदि! लेकिन सड़कों पर धूल धक्कड़ साफ़ करने का आदेश आज तक नहीं दिया! पता नहीं ये वास्तव में नालायक हैं या कमीशन का खेल चल रहा हैं!
अपना ऑफ़िस टाउनशिप से महज़ 300 मीटर दूर हैं, केवल इतनी दूर लोग बंद कार से या नोज मास्क लगाकर पैदल जाते हैं। इतनी दूरी क्रॉस करने में दम घुट जाता है।
लेकिन कोफ़्त मीडिया पर होती है, सारे मीडिया हाउस यहीं नॉएडा में हैं। बदबूदार नालियाँ, ख़राब एयर क्वालिटी सब इन्हें महसूस होता है लेकिन फिर भी क्यों नहीं TV पर दिखाते?
दिवाली के अगले दिन अख़बार में हेडिंग निकली कि दिल्ली का AQI सामान्य से 9 गुना ज़्यादा। और अब ये बरसात होने तक ऐसा ही सामान्य से 9 गुना ऊपर ही चलता रहेगा चलेगा लेकिन फिर इस ख़बर की हेडिंग बनने के लिए अगली दिवाली का इंतेजार करना होगा?