गुजरात जीतना है तो काटना ही पड़ेंगे मौजूदा विधायकों के टिकट

खबर मिली है कि इस विधानसभा चुनाव में गुजरात भाजपा के लगभग 50 प्रतिशत विधायकों के टिकट काट दिये जायेंगे.

एकदम सही निर्णय है. ये जो थोड़ी सत्ता विरोधी लहर, थोड़ा एन्टी इन्कम्बैंसी का फैक्टर जो मीडिया आपको दिखा रहा है, वो कुछ नहीं बस ऐसा है जैसे आदमी हलवा-पूरी खा-खा कर ऊब जाता है तब उसे कभी कभी सूखी रोटी और मिर्ची भी खाने का मन करता है.

बस यही कुछ यहाँ हो रहा है. थोड़े बहुत लोग हैं जो कुछ जाने या समझे बिना, बस परिवर्तन चाहते है. चाहें तो हाफिज सईद को मुख्यमंत्री बनाओ पर भाजपा हटाओ, ऐसी कुछ लोगों की सोच बन चुकी है.

गुजरात में सबसे बड़ा समस्या ये है कि यहां कोई बड़ी समस्या ही नहीं है. रोज़गार, बिजली, पानी, सड़क, सुरक्षा जैसी सुविधाएं अच्छी हैं. नए रास्ते, फ्लाय ओवर, नए डैम बनते रहते हैं.

लोग मोदी के नाम पर वोट देते है. पर जिन लोगों की मोदी ने विधायक बनाया है वो खुद को बड़ा तीसमारखाँ समझते है. भाई, गुजरात में मोदी के नाम पर तो गधे भी चुनाव जीत जाते है. वैसा हाल हो रहा है कुछ वर्षों से. यहाँ लगभग आधे ही विधायक काम के प्रति गंभीर हैं.

मेरे शहर सूरत की बात करें तो आधे से ज्यादा विधायकों को तो जनता जानती भी नहीं है. ये विधायक 5 साल में कभी मुंह तक दिखाने नहीं आते. इनसे बड़े वाली तोप हैं यहाँ के कॉरपोरेटर यानी पार्षद है.

उनको तो खुद उनके इलाके के लोग भी नहीं जानते. बस मोदी नाम की महिमा से ये चुनावी वैतरणी पार कर जाते हैं.तो जो आजकल युवाओं की नई फसल नई पीढ़ी आई है, वो इन लोगो से नाराज है.

इन विधायकों या कॉर्पोरेटरो से मिलने जाओ तो वे जगह पर होते ही नहीं. ये जनता के बीच कभी चक्कर नहीं लगाते है. जनता को ये तुच्छ समजते है. बाकी गुजरात तो अपनी गति से दौड़ रहा है.

पर कहते है ना सेना नायक अकेला कितनी लड़ाई लड़ेगा? उसे अच्छी सेना भी चाहिए. बाकी आज भी बेशक मोदी जी सबसे लोकप्रिय नेता है, पर उन्हें ज़रूरत है गधो को हटाने की.

जल्दी करिए मोदी जी, हटाइए इन गधो को… काम करने वाले नए चेहरे लाइये. अगर सच मे नो रिपीट थ्योरी आजमाई तो गुजरात भाजपा 135 सीटें तक जीत सकती है.

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