आपको याद होगा, यूपी कर चुनाव अभियान की शुरुआत में कांग्रेस ने अगस्त 2016 में बनारस में रोड शो रखा था. रोड शो कर बाद रैली थी. बीच रोड शो में ही सोनिया गांधी की तबियत खराब हो गयी. देश-दुनिया को तो यही बताया गया कि बुखार है.
हक़ीक़त ये थी कि सोनिया जी का बीच बाज़ार में पेट झरने लगा और अपनी इनोवा गाड़ी में ही वो बेहोश हो कर गिर गयी. आनन फानन में उन्हें लाद फाद कर बगल कर एक होटल में पहुंचाया गया. वो होटल था, लहुरा बीर चौराहे कर आस पास कोई मॉडर्न होटल. सस्ता सा कोई बजट होटल था जिसमे उस समय कोई AC रूम उपलब्ध न था.
होटल मालिक जो कि बेहोश पड़ी सोनिया जी को अचानक अपने होटल में पा कर हतप्रभ था, उसने एक लगा हुआ रूम ही खुलवा कर उसमें सूखते कच्छे बनियान हटा कर सोनिया जी को लिटाया गया. बताया जाता है कि सोनिया जी की हालत इतनी खराब थी कि उन्होंने कपड़ों में ही मल मूत्र विसर्जन कर दिया था.
रोड शो और उसके बाद होने वाली रैली निरस्त हो गयी और उस होटल से उठा कर सोनिया जी पहले वाराणसी कैंट के मिलिट्री हॉस्पिटल गयी और फिर वहां से एयर एम्बुलेंस से लाद फाद कर दिल्ली लायी गयी.
वो दिन और आज का दिन, उसके बाद सोनिया जी किसी सार्वजनिक राजनैतिक कार्यक्रम या रैली में नही दिखीं.
तब भी, जब वाराणसी का रोड शो कांग्रेस ने प्लान किया था, तो सोनिया जी आने की स्थिति में नही थीं. उनके डॉक्टर्स ने स्पष्ट मना किया था कि आप 6 घंटे का रोड शो, वो भी अगस्त महीने की चिलचिलाती, चुभने वाली, उमस भरी गर्मी में, और उसके बाद रैली… इतना exertion बर्दाश्त करने की स्थिति में नही हैं. बहुत ज़रूरी हो तो रैली में 15-20 मिनट का भाषण करवा लो.
पर कांग्रेस अब भारतीय राजनीति का लुप्तप्राय प्राणी है जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. मुकाबला गीर के शेरों से है. रोड शो में सोनिया न रहीं तो लोग क्या राज बब्बर और शीला दीक्षित जैसों को देखने आएंगे?
कांग्रेस की मजबूरी है, सोनिया प्रियंका जरूरी हैं.
सो राहुल प्रियंका ने लगभग ज़बरदस्ती करते हुए अपनी माँ को बनारस में कुदा दिया. उस दिन के बाद सोनिया जी फिर कभी न दिखीं.
अब पूरे सवा साल बाद हिमाचल गयी थीं. कल खबर आई कि फिर तबियत खराब हो गयी, और लाद फाद कर दिल्ली लायी गयी और गंगा राम अस्पताल में भर्ती हैं. राहुल बाबा ने ट्वीट कर बताया कि अम्मा का पेट खराब हो गया…
फिर पेट खराब?
देश को ये भी बताया गया कि अम्मा वहां शिमला में चुनाव अभियान में हिस्सा लेने नहीं बल्कि बिटिया रानी कर निर्माणाधीन घर को देखने ताकने गयी थीं.
नौ नवंबर को वोट पड़ना है हिमाचल में, और अम्मा मकान बनवा रही हैं???
फिर चुनाव कौन लड़ रहा है???
चुनाव दरअसल राजा वीरभद्र सिंह लड़ रहे हैं. उन्होंने सीधे सीधे विद्रोह कर दिया था. उनका कहना था कि प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव अभियान कमेटी के पद से हटाओ वरना सम्हालो अपना राजपाट… हम नही लड़ेंगे. ये सीधे-सीधे ब्लैकमेल था, विद्रोह था.
सुखविंदर सुक्खू को हटाने का मतलब ये कि टिकट राजा वीरभद्र खुद बांटेंगे, वरना नहीं लड़ेंगे. अंततः राहुल गांधी झुक गए और उन्होंने सुक्खू को हटा दिया.
अब हिमाचल में हालात ये हैं कि वहां टिकट वितरण में राहुल गांधी की बिल्कुल नहीं चली. पार्टी ऐन चुनाव से पहले दो फाड़ है. हर सीट पर सुक्खू गुट (राहुल गांधी) का एक बागी खड़ा है.
उधर राजा वीरभद्र ने कह दिया है कि हमको आप लोग की कोई ज़रूरत नहीं. आप लोग गुजरात देखिये. हम यहां लड़ लेंगे.
सो अम्मा इस बीमारी की हालत में भी, चुनाव अभियान के दौरान… वोट से सिर्फ एक हफ्ता पहले… ‘निजी यात्रा’ पर शिमला गयी है??? अंदर खाते ये खबर है कि अम्मा एक-एक कर सभी बागियों से मिल रही हैं, समझा बुझा रही हैं, मान मनुहार हो रही है…
किसी तरह डूबता ढहता किला बचाने की कवायद है… उधर सत्ता विरोधी लहर है… इधर गीर के दोनों शेर शिमला में भी 50+ का नारा दिए पिले पड़े हैं.
जब केंद्रीय सत्ता कमज़ोर हो जाती है तो क्षेत्रीय छत्रप-सूबेदार बेलगाम हो जाते हैं, केंद्रीय सत्ता से आज़ाद हो खुद को राजा घोषित कर देते हैं.
पंजाब और हिमाचल दोनों प्रदेशों में राजा बाबू लोग आज़ाद हो गए हैं. अम्मा का राज 10 जनपथ तक सिमट कर रह गया है. केंद्रीय सत्ता का पेट झर रहा है.