यार ये पटेल बहुत मज़ाकिया होते है. ये कभी-कभी इतना सीरियस मज़ाक करते हैं कि सामने वाले को पता ही नहीं चलता कि मज़ाक हो रहा है या ले रहा है.
ठीक ऐसा ही मज़ाक पटेलों ने साल 2007 और 2012 में धीरूभाई गजेरा, गोरधन झड़फिया, और केशुभाई पटेल के साथ किया था.
2012 में तो केशु बापा ने खुद की गुजरात परिवर्तन पार्टी (GPP) भी बना ली थी. केशु बापा की सभा मे लाखों की भीड़ जमती थी.
इन सभाओं में ज्यादातर पटेल सम्मेलन होते थे. सभी पटेल केशुभाई की सभा को ध्यान से सुनते थे.
केशु बापा को इन लोगों ने चने के झाड़ पर ऐसा चढ़ाया, ऐसा चढ़ाया कि बापा को तो सपने में मुख्यमंत्री पद की शपथ विधि नजर आने लगी.
केशु बापा, मोदी के लिए राक्षस, झूठा, न जाने क्या-क्या शब्द इस्तेमाल करते थे. और पटेल बन्धु, वाह बापा… वाह बापा… बोल कर हौसला बढ़ाते थे.
जितना हौसला बढ़ता, उतना ही चने का झाड़ बड़ा होता गया. बापा और ऊपर चढ़ते गए.
कांग्रेस और केशु बापा की रणनीति थी कि अगर भाजपा 95 से कम सीट पर रुकती है तो उसके 10 या 15 MLA को तोड़कर कांग्रेस या GPP में शामिल कर के केशुभाई को कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बनाएँगे.
सब कुछ सेट था. पर यार ये पटेलों की मज़ाक करने की आदत है न, जो जाती ही नहीं. भाजपा 115 सीट लेकर स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाती है, और केशु बापा 2 सीट जीत कर चने के झाड़ से धड़ाम करके गिरते है. ये घाव उन्हें आज निवृत्त जीवन जीने पर मजबूर कर गया है.
तो मित्रों, पटेलों के असली नेता केशु बापा से जो पटेल मज़ाक कर सकते हैं, तो इस टटपूंजिये हार्दिक की औकात ही क्या है? कांग्रेस 3 ऐसे गधों पर दांव लगा रही है जो अभी ठीक से दौड़ना भी नहीं सीखे.
चिंता मत करो मित्रों, गुजरातियों को पता है कि उनके बिज़नेस किसके राज में शांति से चलेंगे. पटेल तो बस, हार्दिक और कांग्रेस के साथ मज़ाक कर रहे है.