किताब का पेज नंबर 252 चीख-चीखकर कह रहा, नौ सौ चूहे खाकर हज पर जा रही बिल्ली

22 जुलाई 2008 को संसद में तत्कालीन मनमोहन सरकार के विश्वास मत पर मतदान से पूर्व BJP के कुछ सांसदों द्वारा संसद में नोटों की गड्डियां उछालते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस गठबंधन सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने रूपये देकर हम सांसदों का वोट खरीदने की कोशिश की.

उन सांसदों के पक्ष में अरुण जेटली और लालकृष्ण आडवाणी ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के यह भी बताया था कि एक न्यूज़ चैनल ने इस पूरे घूसकांड का स्टिंग ऑपरेशन किया है, जिसे आज दिखाया जाएगा.

इससे उत्पन्न हुई स्थिति के पश्चात का विवरण –

2004 से 2009 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मीडिया सलाहकार बन कर उस दौर में उनके साथ साये की तरह रहे संजय बारू ने अपनी किताब The Accidental Prime Minister के पेज नंबर 252 में 22 जुलाई 2008 की दोपहर को संसद भवन स्थित प्रधानमंत्री कक्ष के दृश्य का विवरण कुछ इस तरह दिया है कि…

विश्वास मत पर हुए विवाद के कारण सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी समेत कई वरिष्ठ पार्टी नेता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ चिंतित मुद्रा में बैठे हुए थे. इतने में प्रधानमंत्री कार्यालय से सम्बद्ध मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कमरे से बाहर निकलकर स्टिंग करनेवाले न्यूज़ चैनल CNN IBN के तत्कालीन एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई को फोन कर चेतावनी दी कि यदि उसने स्टिंग दिखाया तो वो गम्भीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे.

संजय बारू ने अपनी किताब में उपरोक्त तथ्य बिल्कुल सही लिखा है, क्योंकि राजदीप सरदेसाई ने कई दिनों तक वो स्टिंग नहीं दिखाया था, स्टिंग दिखाने का उसका कोई इरादा भी नहीं था.

किंतु जेटली द्वारा किए जा रहे ज़बरदस्त आक्रमणों के कारण देश भर में हो रही थू-थू के कारण उसको वह स्टिंग ऑपरेशन दिखाना पड़ा था. लेकिन उसने कई दिनों की देरी कर के उसे दिखाया था.

हालांकि तब तक उस स्टिंग को दिखाने का कोई अर्थ नहीं रह गया था क्योंकि उस घूसकाण्ड से मनमोहन सिंह की सरकार बच चुकी थी. बाद में अमर सिंह, सुधींद्र कुलकर्णी समेत कुछ लोगों को इसके लिए जेल भी जाना पड़ा था.

मतलब कि घूसकांड भी हुआ था और कांग्रेस द्वारा धमका कर उस घूसकांड का स्टिंग ऑपरेशन भी रुकवाया गया था.

विश्वास मत के लिए घूस देकर वोट खरीदने का एक और प्रकरण झारखण्ड मुक्ति मोर्चा रिश्वत कांड भी था. उसे भी कांग्रेस द्वारा ही अंजाम दिया गया था. शिबू सोरेन, नरसिम्हा राव, बूटा सिंह को निचली अदालतों ने इसके लिए सज़ा भी सुनाई थी.

अतः आज गुजरात में एक सड़कछाप नेता टाइप छोकरे द्वारा भाजपा पर घूस देने के आरोपों तथा राजस्थान और एक तमिल फिल्म के बहाने प्रेस की आज़ादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेस को नैतिकता की बल्लियों पर चिम्पांजियों की तरह कुलांचे भरते हुए देखा तो संजय बारू की किताब का पन्ना नम्बर 252 स्वतः ही याद आ गया.

इसके साथ ही बाज़ारवाद के वर्तमान दौर में ‘एक के साथ एक फ्री’ की तर्ज़ पर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा रिश्वत कांड भी याद आ ही गया… और मुझे लगा कि 900 चूहे खाने के बाद कांग्रेसी बिल्ली आजकल गुजरात में हज जाने की तैयारी कर रही है.

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