यूं तो हर त्यौहार का अपना अलग ही महत्व होता है. त्यौहार मनाने के पीछे की प्रेरक कहानियाँ और किंवदंतियों के माध्यम से समाज की अगली पीढ़ी को प्रकृति पूजन के रहस्यों को सौंपना, सबकुछ एक सुनियोजित व्यवस्था के अंतर्गत ही होता है.
इसलिए मैं हमेशा कहती हूँ इन त्यौहारों को मनाने के पीछे और हमारे ग्रंथों में लिखी कथाओं में हो सकता है कुछ काल्पनिक भी हो, लेकिन आप गौर कीजियेगा ये कहानियाँ किसी भी समय काल में पुरानी नहीं पड़ती क्योंकि इसके पीछे के उद्देश्य हमेशा कल्याणकारी और सकारात्मक उद्देश्य लिए होती हैं.
छठ पूजा को इतनी व्यापकता से मनाने के पीछे मुख्य कारण है प्रकृति को संचालित करने वाले जीवनदायी सूर्य की पूजा. इस त्यौहार को भले आप सिर्फ बिहारियों का महापर्व कहें लेकिन मेरे लिए ये प्रकृति का महापर्व है. एक महोत्सव जहां हम सामूहिक रूप से सूर्य को उसके जीवनदायी गुण के लिए धन्यवाद देते हैं. नदी के उस जल को पूजते हैं जो हमारे कल्याण के लिए अनवरत बह रही है. उसे आप कितना भी दूषित करो वो अपने बचे हुए जल के साथ भी पवित्रता के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होती.
चार दिन तक चलनेवाला यह पर्व उन चार दिशाओं को नमस्कार है जो मिलकर हमें एक पांचवी दिशा की ओर अग्रसर करती है और वो दिशा है आसमान में उगते सूर्य की ओर अर्थात उर्ध्वगमन करती ऊर्जा की ओर. जो जब हम पर आशीर्वाद बनकर बरसती है तो अन्धकार से भारी हो चुकी धरा को अपनी प्रकाश किरणों के उजालों के परों पर बिठाकर ब्रह्माण्ड के दर्शन करवाती है.
चाहे नवरात्रि हो, दिवाली हो या छठ पूजा, जब प्रार्थना सामूहिक रूप धारण करती है तो ब्रह्माण्डीय ऊर्जा इतनी सघन हो जाती है कि वो सब पर समान रूप से बरसती है. अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी चेतना के द्वार को कितना खोल कर रखते हैं ताकि उसकी कृपा आप पर पूरी तरह बरस सके.
त्यौहार प्रकृति के प्रति अपनी ग्रहणशीलता बढ़ाने का माध्यम है. इसे चाहे आप कर्मकांड कहिये, या विधि विधान जब आपका हृदय इन विधानों के साथ एकाकार होता है तो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आप तक पहुँचने का रास्ता आसानी से मिल जाता है. क्योंकि आजकल के शोर गुल और विचारों की भीड़ में हम चेतना के द्वार खोलना भूल गए हैं.
तो आइये नहाय खास से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व के धार्मिक महत्व के साथ आध्यात्मिक महत्त्व समझें और उस जीवनदायी सूर्य को नमस्कार करते हैं जिसके बिना हम एक क्षण की भी कल्पना नहीं कर सकते.