गुजरात : भाजपा 140+ को अब 150 समझें, युवराज ने की ये बड़ी चूक

गुजरात विधानसभा चुनाव, राहुल गांधी अहमदाबाद

हमारे हियाँ यूपी में ठाकुरों के य्य्ये बड़े-बड़े नेता हैं या हुए हैं. वीपी सिंह हुए, बलिया के बाग़ी चंद्रशेखर सिंह हुए… उस से भी पिछले ज़माने मे कालाकांकर नरेश राजा दिनेश सिंह हुए… पर यूपी के ठाकुरों ने कभी इनको अपना नेता नहीं माना.

चंद्रशेखर सिंह, हमारे पड़ोसी जिले के थे. बलिया की दूरी गाज़ीपुर जिला मुख्यालय से बमुश्किल 50 किलोमीटर होगी. पर चंद्रशेखर जी का हमारे जिले में कभी कोई प्रभाव न रहा.

[भाजपा 140+, गुजरात में नई गहराइयों में डूबेगी कांग्रेस]

जब जीवित थे तो हम सब उनको चनसेखरा बोलते थे. चनसेखर सींग भोत बड़े नेता थे, इतने बड़े कि एक दिन प्रधानमंत्री बन गए… जिनगी भर राजनीति किये पर इतनी औकात न हुई कि अपने बल पर बलिया से बाहर एक सीट जीत लें.

बलिया के बाहर, ठाकुरों ने कभी उनको अपना नेता नहीं माना…

वीपी सिंह जब अपने राजनैतिक चरम पर पहुंचे तो पूरा देश उनका दीवाना था. वीपी पूरे देश के नेता हुए तो हमारे भी हुए… पर सिर्फ तीन साल के भीतर पब्लिक ने उनको लतिया के उनका औक़ातीकरण कर दिया…

उनको सबसे पहले लतियाने वाले पूर्वी यूपी के ठाकुर ही थे… यूपी के ठाकुरों के एकछत्र नेता कल्याण सिंह लोधी थे. हमने बिपिया को लतिया के कल्याण सिंह को अपना नेता माना, ये जानते बूझते हुए कि वो ठाकुर नहीं बल्कि 1000 किलोमीटर दूर के पश्चिमी उत्तरप्रदेश के लोध हैं.

एक जमाना था जब यूपी के ठाकुर, चौधरी चरण सिंह जी को अपना नेता मानते हैं. उनका तो हमारे समाज में आज भी इतना सम्मान है कि क्या कहें.

आज की बात कीजिये. हमारे इलाके में ओम प्रकाश सिंह जैसे नेता हैं जो पिछले 25 साल से राजनीति में हैं. ठाकुरों में उनकी ये पैठ है कि अपनी सीट नहीं निकाल पाते.

कुंडा के गुंडा राजा रघुराज प्रताप सिंह है… उनकी नेतागिरी, उनका प्रभाव सिर्फ अपने जिले तक सीमित है. हमारे बगल के ही बाऊ अमर सिंह हैं… हमारे इलाके के सामान्य जन, क्षत्रिय समाज उन्हें हिकारत की नज़र से देखते हैं.

जब मुल्लायम जादो की समाजवादी पाल्टी में उनकी तूती बोलती थी और उनके पेशाब से चिराग जलते थे तो उन्होंने सपा में राजपूत नेताओं की एक मजबूत लॉबी तैयार कर ली थी.

पर जब उनको मुंह पर कालिख पोत के, गधे पर बैठा के, लतिया-जुतिया के पार्टी से निकाला गया तो उनके साथ कोई खुजेला कुत्ता तक खड़ा नहीं हुआ… सिर्फ एक जयाप्रदा ने उनका साथ दिया… आज़म खान तो अमर सिंह को सत्ता का दलाल नहीं दल्ला बोलता है…

ज़िन्दगी भर अमर सिंह ने सत्ता की दलाली की पर इतना भी जनाधार न बना पाए कि अपनी खुद की एक सीट जीत पाएं… कहने को ठाकुर नेता कहलाते हैं…

आज यूपी का ठाकुर, योगी आदित्य नाथ को अपना नेता मानता है, गौर फरमाइए… अजय सिंह बिष्ट नहीं बल्कि योगी आदित्य नाथ को… आज यूपी का ठाकुर, मोदी और अमित शाह को अपना नेता मानता है न कि राजनाथ सिंह को…

ये मैं उन लोगों… उन नेताओं का नाम ले रहा हूँ जिन्होंने अपना जीवन राजनीति में खपा दिया पर अपनी जात बिरादरी के नेता न बन पाए…

तो आपको क्या लगता है? ये हार्दिक पटेल, ये अल्पेश ठाकुर और ये जिग्नेश मवानी जैसे लौंडे, जिन्हें अभी कायदे से अपनी पतलून संभालना नहीं आता… वो जिन्हें अभी भी रात को सोते-सोते ही सुसु कराना पड़ता है, वरना रात में राजनीति का बिस्तर गीला कर देंगे… ये सब गुजरात के पटेलों के, पाटीदारों के, या ठाकुरों के नेता हो गए?

गुजरात में कल का, अहमदाबाद रैली का भाषण सुन के, मुझे राहुल गांधी पर सिर्फ तरस आया, पर उनके सलाहकारों रणनीतिकारों पर गुस्सा आया… कल के भाषण में युवराज ने दो बार अल्पेश ठाकुर का और एक-एक बार हार्दिक पटेल और जिग्नेश मवानी का नाम लिया… ये एक राजनैतिक Blunder है…

इसके अलावा युवराज ने कई बार मोदी जी का नाम भी लिया. आजकल राहुल बाबा का राजनैतिक सलाहकार कौन है, राम जाने… पर उसे इतनी भी अक्ल नहीं कि किसी भी लोकप्रिय जननेता… Masses के Leader की नाम ले कर आलोचना नहीं करनी चाहिए.

डूबता हुआ आदमी सचमुच तिनके का भी सहारा खोजता है… डूबते हुए आदमी की क्या मनःस्थिति होती है इसे सिर्फ वही समझ सकता है जो कभी डूबने से बचा हो… गुजरात में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मवानी जैसे नौसिखिए लौंडों के बल पर चुनावी वैतरणी पार करना चाहते हैं युवराज?

कौमें ऐसे लौंडों को नेता मान लेंगी? कांग्रेस क्या वाकई इतनी दिवालिया हो गयी है कि पुराना कोई नेता नहीं बचा जो लौंडों को आगे करना पड़ रहा है ?

गुजरात में भाजपा 140+ ( बल्कि इसे अब 150 पढ़ें).

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