स्मिता पाटिल : सांवली सलोनी तेरी झील सी आँखें

अक्सर लड़कियां अपने सांवले रंग के कारण खुद को कम खूबसूरत आंकती हैं, अपनी इस भावना के चलते उनके आत्मविश्वास में भी कमी आने लगती है. मगर स्मिता पाटिल ऐसी लड़कियों के लिए मिसाल बनी.

दरअसल स्मिता की बड़ी आंखे और उनका सांवला रंग ही लोगों का ध्यान बरबस अपनी ओर खींच लिया करता था. आर्ट फिल्मों के डायरेक्टर उनकी इसी खूबी के चलते पसंद करते थे, क्योंकि आर्ट फिल्मों के लिए उनका सौंदर्य बिल्कुल फिट था. पति राजबब्बर को भी उनकी इसी खूबी ने मोह लिया था.

स्मिता साधारण अभिनेत्री नहीं थी, समाज की महिलाओं के लिए आइकन भी थी. आज स्मिता पाटिल का 58वां जन्मदिन है. पुणे निवासी शिवाजीराव पाटिल के घर स्मिता का जन्म 17 अक्टूबर 1955 को हुआ था. पिता शिवाजीराव मंत्री व मां एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं. स्मिता ने अपने करियर की शुरुआत टीवी न्यूज एंकर से की थी. स्मिता पाटिल ने 1975 में अपने फ़िल्मी सफ़र कि शुरुआत की श्याम बेनेगल की फ़िल्म चरणदास चोर के साथ की,

भारतीय सिनेमा में स्मिता पाटिल अपने सशक्त अभिनय से समानांतर सिनेमा के साथ.साथ व्यावसायिक सिनेमा में भी खास पहचान बनाई. वर्ष 1985 में भारतीय सिनेमा में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार और पदमश्री से भी सम्मानित किया गया.

हिंदी फिल्मों के अलावा स्मिता ने मराठी, गुजराती, तेलुगू, बांग्ला, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी अपनी पहचान बनायी. स्मिता पाटिल ने अपने 10 साल के करियर में निशांत, गमन, मिर्च मसाला, मंडी, मंथन, भूमिका, नमकहलाल, आखिर क्यों और शक्ति जैसी कई फिल्में की,

31 साल की उम्र में अपने पुत्र प्रतिक के जन्म के वक़्त हुई कठिनाइयों की वजह से स्मिता की मृत्यु हो गई थी.

स्मिता : सांवली लड़की सांझ के पहले सो गई

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