विकास बंसल जी मेरे सबसे करीबी मित्रों में से एक हैं. वे एक बेहतरीन शेयर कन्सलटेंट हैं. देश के बड़े-बड़े राजनेताओं के फंड का मैनेजमेंट करते हैं. वे ही मुझे जबरदस्ती प्रोफेशनल एस्ट्रोलॉजी के फिल्ड में लेकर आये थे. उनका एक फ्रेंड पिछले दो साल से मुझसे कुण्डली दिखाना चाहता था. बंसल जी की बात मैं कभी टालता नहीं हूँ पर उससे मिलने का संयोग ही नहीं बन पा रहा था. वे कल मुम्बई से दिल्ली आये हुए थे और मैं दिल्ली में ही था तो मिलने का संयोग बन गया. बंसल जी ने अपने नोएडा के ऑफिस में ही हमारी मिटिंग करवाई.
कुछ विशेष कारणों से मैं उनका नाम नहीं लेना चाह रहा हूँ. वे चार्टर्ड अकाउंटेंट परीक्षा के अपने समय के फर्स्ट रैंकर थे. कभी इंडिया के सबसे बड़े शेयर कन्सलटेंट रहे हैं. एक समय इनका हजार करोड़ का साम्राज्य था. राहु की महादशा में ग्राफ नीचे गिरने लगा, और ये डिफॉल्टर हो गए. डिफॉल्टर के लिए ये बाध्यता नहीं होती है कि वो अपने क्लाइंट को हुए हानि की भरपाई करे, पर फिर भी इन्होंने बहुत परिश्रम करके सबके पैसे लौटाए. इनके गुडविल के कारण ही ऐसा पहली बार हुआ कि किसी डिफॉल्टर को फिर से काम करने के लिए रजिस्ट्रेशन रिन्यू कर दिया गया.
कल बता रहे थे कि ये भी राजस्थान में भृगु ज्योतिष वाले के पास कुण्डली दिखा चुके हैं. ये वही भृगु ज्योतिषी हैं जिन्होंने स्मृति ईरानी के मंत्री बनने की सटीक भविष्यवाणी की थी. ये पाँच लोगों के साथ वहाँ अपना भविष्य जानने पहुँचे थे. उनके भविष्य कथन में ये लिखा था कि ये पाँच लोगों के साथ अपना भविष्य दिखवाने आयेंगे. उन्होंने दो साल के भीतर इनके मंत्री बनने की भविष्यवाणी कर दी. इनके पोलिटिकल कॉन्टेक्ट हैं पर इन्होंने डॉयरेक्ट पोलिटिक्स के बारे में कभी सोचा भी नहीं था. ऊपर से तब तो और भी नहीं सोच सकते हैं, जब अभी हाल ही में किसी बोर्ड का चेयरमैन होने का नाम ओके हो जाने के बाद, लास्ट टाइम में इनका नाम इस लिए काट दिया गया क्योंकि ये संजय जोशी जी के पुराने मित्र हैं.
सबसे मुख्य बात ये थी कि भृगु ज्योतिषी ने इन्हें बताया कि पाँच सौ साल पहले तुम बहुत बड़े राजा थे और तुमने लोगों को बहुत सताया था. इसी कारण तुम्हें हर जन्म में तैंतीस से पचपन साल के बीच राहु की ही महादशा का सामना करना पड़ेगा और इस बीच तुम बिलकुल परेशान रहोगे. लोगों के पास एक जन्म की चिंता है और ये अपने अनेक जन्मों को लेकर दुखी थे.
ये अभी मुझे छोड़ना नहीं चाह रहे थे पर इनको फ्लाइट पकड़ना था. ये मुझे एक गोल्डन कलर की पॉकेट डायरी जैसी कोई वस्तु पकड़ाते हुए बोले कि ये आपके लिए एक गिफ्ट लाया था. मुझे लगा कि बड़ा अजीब आदमी है मेरा दो घंटा बरबाद कर दिया और ये कागज पकड़ा गया. मैं उसे डस्टबिन में फेंकने वाला था, बस बंसल जी का इंतजार कर रहा था कि उन्हें दिखाऊँ कि ये क्या दे गया है. बंसल जी आये और बताया कि इसमें सोने का सिक्का है. उनके पास ज्यादा कैश नहीं था, इस कारण उन्होंने जल्दी-जल्दी जो उनके पास किमती चीज़ दिखी, वही दे दिया.
मुझे उन पर गुस्सा आ रहा था कि पता नहीं किसका गिफ्ट मुझे चिपका दिया. गुस्सा इसलिए भी आ रहा था कि ये मेरे लिए बिलकुल यूजलेस था. दिवाली के समय शगुन के रूप में मिली चीज़ मम्मी कभी बेचने नहीं देंगी. मुझे स्वर्ण से बिलकुल लगाव नहीं है. जो चीज़ मुझे पसंद नहीं आती है मैं उस चीज़ को दो दिन भी अपने पास नहीं रख सकता.
मैं अब जुगाड़ भिड़ाने लगा कि मैं इसे किसको चिपका दूँ. कोई जीवनसंगिनी भी नहीं है जिसके लिए भरत शर्मा की तरह गाना गाऊँ – “कह तारी किन दीं नाक के नथुनिया, शनिचरे से मुँहवा फुलवले बारी रनिया” ( धर्म पत्नी जी पिछले शनिवार से ही पतिदेव से रूठी हुई हैं कि वो उसके लिए सोने की नाक की नथुनी नहीं बनवा रहे हैं, इसलिए दोनों के बीच कन्वर्सेशन अनिश्चित काल के लिए स्थगित है). और अन्तोगत्वा इस सोने से उसके लिए नथुनी बनवा देता.
इसी दुविधा में, मैं मेट्रो से घर आ रहा था, तभी मेरे छोटे भाई और मित्र अमित जी का फोन आया कि उनका और मेरे मित्र आलोक जी का बिहार सचिवालय में सिलेक्शन हो गया. ये दोनों मेरे बेहद करीबी हैं. Amit Kumar Hindustani जी , बिहार सरकार में नितिश कुमार के करीबी मंत्री श्रवण कुमार जी के भतीजे हैं और बहुत ही कट्टर हिन्दुवादी हैं. Alok Kumar जी, ये राधामोहन सिंह के रिश्तेदार हैं और इनके चाचा ध्रुव नारायण सिंह जी विश्व हिन्दु परिषद के समर्पित वरिष्ठ पदाधिकारी हैं. दोनों ही बहुत योग्य होने के बावजूद भी अंतिम सफलता से वंचित रह जाते थे. इसीलिए कल का दिन अद्वितीय उपलब्धियों का दिन रहा.
तभी मैं पिछले कुछ दिनों की घटनाओं का अपने ग्रहों की वर्तमान स्थिति के परिप्रेक्ष्य में विचार करने लगा. तभी मुझे याद आया कि दो दिन पहले मेज पर रखा हुआ मेरा चश्मा का फ्रेम अपनेआप रखे-रखे ही टूट गया था. अमित जी के साथ चश्मा लेने गया तो उन्होंने मेरे लिए गोल्डन फ्रेम ही पसंद किया. कल पहला दिन था जब मैं ये गोल्डन फ्रेम का चश्मा पहनकर बाहर निकला था, उसी दिन सोने का सिक्का मिला और उसी दिन मेरे दोनों भाई सेलेक्ट हुए. इस पीले रंग का संबंध बृहस्पति से है. बृहस्पति मेरे कुण्डली में तीसरे घर का स्वामी है और ग्यारहवें घर में बैठ कर अपनी पंचम शुभ दृष्टि से अपने इस तीसरे घर को बहुत ही शुभत्व प्रदान कर रहा है. कुण्डली में तीसरा घर छोटे भाई-बहन और मित्रों का होता है.
अभी चार महीने पहले ही मेरी गुरू की महादशा आरंभ हुई है, 12 सितम्बर, 2017 से गुरू मेरे लग्न तुला में प्रवेश कर उसे शुभता प्रदान कर रहा है और कल के शुभ दिन सूर्य बुध की राशि में, मंगल के नक्षत्र में तथा गुरू के ही सब-नक्षत्र में विचरण कर रहा था. ये समय मित्रों के लिए प्रबल राजयोगकारक साबित हुआ. ये मेरी ओर गोल्डन फ्रेम और गोल्ड का प्रवाह स्वभाविक नहीं है. ये कुण्डली में प्रबल बृहस्पति के चल रहे दशा के प्रभाव से ही ऐसा हो रहा है. ये सोने का सिक्का उन्होंने मुझे सायास नहीं दिया है बल्कि अदृश्य द्वारा दिलवाया गया है.