शिमला. हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के ऐलान के ठीक एक दिन बाद मनी लॉड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के पुत्र, पत्नी व पुत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. वीरभद्र सिंह के खिलाफ साल 2015 में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया था.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल में विधानसभा चुनाव नौ नवंबर को होने हैं, उससे पहले इस तरह की कार्रवाई कांग्रेस के साथ वीरभद्र सिंह के लिए बड़ा झटका है.
शुक्रवार को की गई इस कार्रवाई के तहत ईडी ने वीरभद्र के परिवार की 5.6 करोड़ की संपत्ति को कुर्क कर लिया है. इनमें वीरभद्र के पुत्र विक्रमादित्य के दिल्ली के डेरा मंडी स्थित 4.2 करोड़ का फार्म हाउस भी शामिल है. मनी लॉड्रिंग से संबंधित वर्ष 2015 में ईडी द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे के बाद अब तक वीरभद्र परिवार के 40 करोड़ की संपत्ति कुर्क की गई है.
वहीं, 31 अक्टूबर को आय से अधिक संपत्ति के मामले में वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह की सुनवाई दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में होनी है. वीरभद्र सिंह पर सीबीआई ने आरोप लगाया है कि उनकी संपत्ति उनकी आमदनी से ज्यादा है. वीरभद्र सिंह के मुताबिक उन्होंने ये संपत्ति सेब की खेती से बनाई है, जबकि सीबीआई वीरभद्र सिंह की इस दलील को झुठला रही है.
ईडी के मुताबिक शुक्रवार की कार्रवाई के तहत सिद्धार्थ के दिल्ली स्थित फार्म हाउस मेसर्स तारिणी इंटरनेशनल के अलावा वापी, गुजरात में मेसर्स तारिणी इंफ्रा दमन गंगा परियोजना की कुछ परिसंपत्तियों को भी अटैच किया है. विक्रमादित्य और उनकी बहन अपराजिता सिंह के नाम 64 लाख रुपये के शेयर व अपराजिता सिंह और वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह के नाम पर 80 लाख रुपये के बैंक एफडी सहित कुछ अन्य खातों को जब्त कर लिया गया है.
ईडी की जांच में पता चला था कि करीब 5.9 करोड़ वी चंद्रशेखर नाम के व्यक्ति ने सीएम वीरभद्र को दिए थे. यह रकम सीएम के परिजनों में बांटी गई थी. यह रकम तीन बैंक खातों के जरिए सीएम और उनके परिवार के सदस्यों के पास पहुंची.
इसी रकम में से करीब 64 लाख रुपये का शेयर विक्रमादित्य और अपराजिता के नाम खरीदे गए. जबकि 20 लाख रुपये अपराजिता के नाम पर बैंक खाते में जमा किए गए. इसी प्रकार कुछ रकम वीरभद्र की पत्नी के नाम जमा किए गए. ईडी ने भविष्य में कार्रवाई जारी रखने की बात कही है.