राधा

जब भी मिलती है तो हमेशा यही बोलती है,” भाभी आप मेरे ऊपर लिखिए ना.” बहुत हंसमुख स्वभाव की लड़की शायद तब से जानती हूँ, जब वह 17 साल की थी और नया-नया हमारे मोहल्ले में ही पार्लर खोला था लेकिन उस समय भी वो बहुत परिपक्व थी. धीरे-धीरे जान-पहचान बढ़ी तो ऐसे ही पूछ लिया,” कहाँ तक पढ़ी हो?”

” ज्यादा, नहीं पढ़ पाई भाभी. दसवीं ही की है लेकिन अब सोच रही हूँ आगे पढूँ.”

“हाँ बिल्कुल! तुम्हें पढ़ना चाहिए. मैंने भी यही सलाह दी कि प्राइवेट ही कर लो” जब हम ये सोचते हैं दसवीं-बारहवीं करना कौन सा मुश्किल काम है. वो भी दिल्ली जैसे शहर में रहकर, तो कहीं ना कहीं हम ये नहीं जानते कि आवश्यकता इनसान के पैरों में बेड़ियाँ डाल देती है. दो भाई दो बहन हैं. सबसे बड़ी वही है. पापा शायद फेरी लगाने का काम करते हैं और पास में ही किराए पर रहती है. घर का सारा खर्च शायद वही चलाती है.

अभी कुछ दिन पहले उसके पार्लर जाना हुआ तो उसकी आँखों में आँसू थे. पहली बार मैंने देखा था कि वो गंभीर थी. मैंने पूछ लिया,” क्या बात है ?” तभी पास में ही चाय की दुकान से कोई चाय देकर गया तो बोली,” घर से कुछ खाकर नहीं आई. किसीने नहीं बनाया. सब नाराज हैं. लड़ाई हो गई घर पर. मुझे सदर जाना है, दुकान का सामान लेने, पैसे चाहिए थे. सबको लगता है, मैं पैसे बहुत खर्च करती हूँ. भाभी! दुकान में सामान नहीं होगा तो पार्लर कैसे चलेगा? वैसे ही काम नहीं है हॉस्टल की जो पहले लडकियाँ थी वो सब चली गई. अब नई लडकियाँ आई हैं, तो यहाँ कोई नहीं आती.”

दूसरों की मदद और काम करने के लिए हमेशा तैयार रहने वाली लड़की. इतनी स्ट्रांग होकर क्यों रो रही है? कभी-कभी हम अपनों से हार जाते हैं. मात्र 23 साल की उम्र में उसने ना जाने कितने तो बिजनेस किए होंगे. एमवे से लेकर प्रॉपर्टी डीलिंग और अब हाल फिलहाल उसका नया बिजनेस पॉलिसी का और उसके साथ साथ ट्रिप का भी बिजनेस,” भाभी! आप लोग इतना घूमने जाते हो. मुझसे पैकेज ले लो. भैया से बात कर लो, एक पॉलिसी ले लें. ये वाली लिपस्टिक यूज करो. बालों में ये वाला तेल लगाओ.” उसका एक ही लक्ष्य है पैसा कमाना. जब भी घर आती है तो बोलती है,” भाभी! आपके जैसा घर बनवाना है.” गाड़ी का नाम भी सोच रखा है. अर्थहीन सपनों का भी अपना ही अर्थ है. वो भी अजीब सी उर्जा दे जाते हैं कि हमें उनके पीछे बिना रुके भागना है.

अगर शुरू हो जाए तो फिर चुप नहीं होगी,” आप साड़ी क्यों नहीं पहनती? आप साड़ी में अच्छी लगती हो. आप काजल क्यों नहीं लगाती? आप चश्मा क्यों लगाते हो? भैया आपको नहीं बोलते साड़ी पहना करो रोज. मेहंदी लगाते हुए बोलती है,” आपको पता है मेरा सारा काम ठप हो गया. भूखे मरने की नौबत आ गई है. आप बाहर जाकर देखो राजस्थान से जो मेहंदी लगवाने वाले आए हैं, खाली बैठे हैं. किसी के पास कोई काम नहीं है. इस बार करवा चौथ पर मैंने सुबह से सिर्फ 2000 कमाए हैं.”

दुनिया जहान की लड़कियों का आश्रय है उसका पार्लर. पड़ोस में गर्ल्स हॉस्टल से लेकर हर लड़की, हर औरत उसके पास आती है. उसके पास वो लड़की भी आती है जिसको शाम को किसी क्लब में अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने जाना है. वो लड़की भी आती है जिसको काम की तलाश है, शायद वो कुछ मदद कर सके. वो लड़की भी आती है, जो भागकर शादी करने वाले अपने डिसीजन पर पछताती है. वो लड़की भी आती है, जो लड़की बनना कतई पसंद नहीं करती. उसे पसंद है हमेशा लड़कों की तरह रहना. बॉय कट बाल, जींस, टी शर्ट पहनना और लडकों जैसे ही बातें करना. हर उम्र की औरत हर उम्र की लड़की से उसका परिचय है. अनुभव ही इनसान को सिखाता है तभी तुम मुझसे कहीं अधिक अनुभवी हो.

मैं तुम्हारे ऊपर नहीं लिख पाऊँगी राधा. तुम्हारे जीवन को समझना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल है. जहाँ तुम अपने छोटे भाई बहनों को उनका जेब खर्च देती हो. वही मैंने लड़ लड़ कर अपने लिए जेब खर्च से दुगना पैसा माँगा है. ना मिलने पर जब मुँह फैला कर किसी कोने में रोई हूँ तो मनाकर मेरी सारी माँगे पूरी की गई हैं. जो घर और गाड़ी के सपने तुम अपने लिए देखती हो, ऐसे सपने तो मेरे लिए दूसरों ने ही देखे हैं हमेशा. कभी जरूरत महसूस ही नहीं हुई कि वो सपने भी मुझे देखने हैं. तुम्हारे मेरे सपने बहुत अलग है, पर मैं तुम्हारे सपनों की कद्र करती हूँ वो सब तुम्हें मिले जो तुम अपने लिए चाहती हो. तुम एक आत्मविश्वासी और बहादुर लड़की हो और हमेशा ऐसे ही रहना, खिलखिलाती हंसी के साथ सपनों की उड़ान भरती. सपने जभी पूरे होते हैं जब वो देखे जाते हैं.

किसी ने कहा था, तुम्हारे चारों तरफ कहानियाँ फैली हुई हैं बस तुम्हें उठाना है. हाँ चारों तरफ फैली है कहानियाँ कहानियों के किरदार. लेखों के हीरो और हीरोइन. सब हमारे आस-पास ही दौड़ते हैं. हीरोइन वो नहीं है जो 3 घंटे तुम्हारे करैक्टर में घुसकर तुम्हारी तरह अभिनय कर सकती है. असली हीरोइन तो तुम हो, जो आसपास की कितनी लड़कियों को प्रेरणा देती होंगी.

स्वाति गौतम

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