मुश्किलों-चुनौतियों से भरा वर्तमान और भविष्य, सौभाग्य कि हमें मिला दूरदर्शी नेतृत्व

मेरे एक लेख पर एक प्रश्न – ‘आप क्या सुझाव देंगे कि मध्यम वर्ग प्रताड़ित भी न हो और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले भी प्रगति कर सके?’ – के जवाब में दो मित्रों ने लिखा कि “ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियाँ, बड़े-बड़े मॉल और निर्माताओं का गठजोड़ मध्यम वर्ग के सेल्फ employed करोडों दुकानदारों का रोजगार खा रहा हे.”

वे लिखते है कि “जो कंपनी दुकानदार को मोबाइल 15000 में देती है, 15500 में बेचने के लिए, वहीं ऑनलाइन वाले को 9000 में दे देती है ओर ऑनलाइन विक्रेता उसे 10000 में बेच देता है.” आगे लिखते हैं कि जीएसटी के बाद, माँ के लिए महीने भर की दवा दुकान से लाता था, उसकी कीमतों में खासी वृद्धि हो गई है. जीएसटी के बाद दुकानदार अब एक पैसा कम भी करने को तैयार नहीं हैं जो पहले कर दिया करते थे. उनका एक सुझाव ऑनलाइन प्लेटफार्म को हतोत्साहित करने का है.

दोनों ही विचार उत्तम है; लेकिन इस लेख के द्वारा मैं उसको पब्लिक पालिसी या जन नीति की कसौटी पर तौलना चाहूँगा. कुछ विचार आपके समक्ष रखूँगा, उत्तर की अपेक्षा आपसे से है. अगर पब्लिक पालिसी के नजरिये से देंखे तो सरकार की क्या नीति होनी चाहिए?

पहला विचार यह है कि सरकार को क्या यह सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यवसायियों और दुकानदारों को अधिक लाभ मिले या या उपभोक्ताओं को सस्ता उत्पाद मिले?

दूसरा, किस बिंदु पर दुकानदारों और उपभोक्ताओं का हित एक हो सकता है?

तीसरा, क्या सरकार नवयुवक और नवयुवतियों को छोटे और पारम्परिक व्यवसायियों के लिए ऑनलाइन उद्यम लगाने से मना कर सकती है?

चौथा, क्या सरकार – या कोई भी राजनैतिक दल या हम स्वयं भी – डिजिटल युग में आने वाले नए इनोवेशन या खोज को रोक सकते हैं?

पांचवां, इस डिजिटल युग में विश्व भर में होने वाले व्यापारों और उद्यमों से कैसे टक्कर लेंगे, अगर हम अपने देश में ही इस युग के विकास पर रोक लगा देंगे?

छठा, कैसे ऑनलाइन विक्रेता और छोटे दुकानदार अपना काम कर सके, साथ ही नए इनोवेशन या खोज, नए उद्यमों और नवयुवक और नवयुवतियों को भी बढ़ावा मिले?

सातवां, कुछ ही वर्षो में पेट्रोल का उत्पादन करने वाले देशों का एकाधिकार ख़त्म हो जायेगा. क्या हम गैर पारम्परिक ऊर्जा के स्रोतों का उत्पादन बंद कर दें, क्या इलेक्ट्रिक कार मार्केट में ना आने दे, क्यों कि पेट्रोल पंप के मालिक की दुकाने बंद हो जाएगी? इलेक्ट्रिक कार में लगभग 24 मूविंग पार्ट्स या घूमने वाले हिस्से होंगे, जबकि पेट्रोल कार में लगभग 150 होते है. क्या कार मैकेनिक के जॉब चले जाने के डर से भारत में इलेक्ट्रिक कार ना आने दे?

डिजिटल युग के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि हमारी आँखों के सामने चौथी औद्योगिक क्रांति हो रही है. पहली क्रांति भाप की मशीन जिसने जानवरों की शक्ति पर हमारी निर्भरता कम की; द्वितीय बिजली की मशीन जिसने मास प्रोडक्शन या बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ावा दिया; तृतीय सूचना की क्रांति जिसने हमें कनेक्ट किया; और अब चौथी डिजिटल, जिसमें मानवीय या फिजिकल, सूचना या डिजिटल और जैविक या जेनेटिक दुनिया को जोड़कर एक नयी संरचना 10 से 20 वर्षो में लागू हो जाएगी जो आज तक के सभी मानवीय प्रयासों और विकास को उलट-पलट देगी.

ग्रामीणो और छोटे दुकानदारों को समृद्ध बनाने के लिए तेज विकास और इनोवेशन की आवश्यकता है, जिससे उत्पादकता बढ़े. इसके लिए 24 घंटे बिजली चाहिए, ट्रांसपोर्ट चाहिए, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सुविधायें चाहिए, नियमों में पारदर्शिता चाहिए. भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहिए.

इसके लिए यह आवश्यक है कि लोग अपना टैक्स भरें और उस टैक्स के व्यय की जवाबदेही मांगे. जो टैक्स नहीं देते, वे स्वयं कैसे जवाबदेही मांगेगे? टैक्स न देने के बदले आपको कितनी घूस देनी पड़ती है, कभी आपने उसका हिसाब लगाया है? क्या घूस देना या टैक्स ना देना कुछ वर्षो में एक फायदे का सौदा होगा?

अगर आपको ऑनलाइन विक्रेता से टक्कर लेनी है तो अपनी दुकान और उसके आस-पास का वातावरण साफ़ रखना होंगा, एसोसिएशन के द्वारा पार्किंग उपलब्ध करानी होगी. ग्राहकों को उत्तम सेवा देनी होगी. अगर उन्हें शिकायत है तो उसे तुरंत दूर करना होगा. और ग्राहकों को ऑनलाइन प्राइस को मैच करने का वादा करना होगा. यात्रा कठिन है, लेकिन संभव है.

और एक बात और, समूचे 125 करोड़ भारतीयों के धन और समृद्धि पर संकट है क्योंकि विश्व में बहुत तेजी से तकनीकी बदलाव आ रहे है, बिज़नेस मॉडल बदल रहा है, उत्पादक और ग्राहक का रिश्ता बदल रहा है. हमारे लोग अभी भी पुरानी और भावनात्मक अनुभूति से बंधे हुए है, समाज और बिज़नेस का आधुनिकीकरण नहीं हो रहा है, भारतीय न्यूज़ मीडिया और विपक्ष सनसनीखेज और बेवकूफी की चीज़ों को बढ़ावा दे रहा है, यह नहीं कि यह बतलाये कि कैसे नयी तकनीकी हमारे जीवन में अगले दस सालो में क्रांति ला देगी.

यह समय और आने वाला समय मुश्किल है और चुनौतियों से भरा है. उस सुलझाने के लिए दूरदर्शी नेतृत्व चाहिए, जो प्रधानमंत्री मोदी जी में हमें मिला है. विपक्षी, लोगों को गरीब बनाये रखना चाहते है जिससे उनकी दूकान जमी रहे. यही कड़वा सत्य है.

मेरे विचारों और प्रश्नों को अन्यथा न लीजियेगा. मैं सिर्फ एक सार्थक विचार-विमर्श चाहता हूँ. मेरा यही एक उद्देश्य है.

अस्वीकरण (Disclaimer) : यहाँ व्यक्त राय मेरे निजी विचार है; इनका मेरे एम्प्लायर या कार्यालय से कोई सम्बन्ध नहीं है.

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