“गंगवा बड़ा उछलते हो तुम, हिन्दू हो क्या?” “हाँ भाई हिन्दू हूँ!”
“हिन्दू हो तो कौन से वर्ण में आते हो?” “किसमें आना चाहिए मुझे?”
“तुम अपने को हिन्दू मानते हो तो तुम्हें पता होना चाहिए न कि तुम कौन से वर्ण में आते हो?” “नहीं भाई हमें नहीं आप बता दो कि मैं किस वर्ण में आता हूँ?”
“ब्राह्मण तो हो नहीं सकते तुम, क्षत्रिय भी नहीं हो सकते, वैश्य भी नहीं हो, तो बचा शूद्र .. और तुम शूद्र में फिट बैठते हो!” “तो ठीक है भाई हम ‘शूद्र’ हुए.. हम शूद्र हिन्दू हुए!”
“तो तुम शूद्र के शूद्र ही रहोगे.. ब्राह्मणों के तलवे चाटते रहोगे, गुलामी करते जिंदगी गुजर जायेगी, क्योंकि तुम्हारा काम ही है इनकी सेवा करना. काहे कि तुम ब्रह्मा के पैर से जो जन्मे हो न, तो तुम्हारी जगह उनकी जूतियों तले ही है… ब्राह्मणों की चाटो और शूद्र बन कर गर्व करो.. शूद्र गंगवा!!”
“ओके भाई!. ओके.. ओके.. ओके!!… चलिये भाई आपने हमारा वर्ण बता दिया… आभार आपका… लेकिन आप क्या हो भाई…? सारी एक्टिविटी से पता चल रहा है कि आप कन्वर्ट हो!” “जी, मैं कन्वर्ट हूँ… मेरे माता-पिता ने कन्वर्ट किया था… और मैं जन्मजात क्रिश्चन हूँ!”
“ओके भाई… तो आप कन्वर्ट हो के ईसाईयत के कौन से वर्ण में गए?” “क्या बकवास करते हो भाई?” “क्या बकवास कर दिया भाई?” “बकवास ही तो कर रहे हो… ईसाईयत में कोई वर्ण सर्ण व्यवस्था नहीं है!”
“क्या बात करते हो भाई?… कोई वर्ण-व्यवस्था नहीं है!!??” “बिल्कुल भी नहीं है!.. क्रिश्चियनिटी को हिन्दू समझ लिए हो क्या जो वर्ण खोज रहे हो?” “तो मैं पागल हूँ क्या जो आपको ये पूछ रहा हूँ??” “पागल ही तो हो.. ऐसा कोई सिस्टम नहीं ईसाईयत में!” “अच्छा बेटा!… एगो पोस्ट लिखूँगा… पढ़ लेना!!”
तो तमाम हलेलुइया वालों के लिए ये रहा…
एडम और ईव से मानव सृष्टि शुरू हुई. बहुत आगे तक चली. दुनिया आबाद हुई. फली फूली. नूह तक बराबर चली. फिर भयंकर जल-प्रलय आया जिसने सारी मानवता को लील लिया. बस नूह और इनकी बीवी नामह (बीवी के नाम में बड़ा कन्फ्यूज़न है, 103 नाम दिए इधर के विद्वान लोग) बची. फिर इन्हीं से आगे वंश बढ़ा और पृथ्वी फिर से आदमियों से भरी-पूरी हुई. तो नूह के तीन पुत्र हुए… शेम (Shem), हैम (Ham) और जेफेथ (Japheth)!! नूह जी गॉड के आदेश से निर्देशित होते थे.
तो जब नूह जी के ऊपर परिवार के भरण पोषण की जिम्मेवारी आई तो गॉड ने कहा कि तुम खेती-बारी करो और परिवार पालो. तो नूह जी ने खेती-बारी शुरू की. और खेती-बारी के क्रम में ही इन्होंने अंगूर की भी खेती करी. जब अंगूर पके तो उनसे शराब भी बनाई… और जब शराब बनाई तो उनका सेवन भी करने लगे… और एक दिन जब शराब पिये तो कुछ ज्यादा ही चढ़ गई… होश-ठेकान न रहा… तन के सारे कपड़े-लत्ते कब उतर-फुतर गए पता भी न चला… और नंगे ही बेसुध हो कर निढाल हो गए…
अब इसका जो एक बेटवा हैम था न, उ नूह जी को इस हालत में देख लिया… और जब देख लिया तो इनसे रहा न गया… और वो इस चीज का बखान हँसते-हँसते मजे चटखारे लेते हुए अपने दोनों भाइयों शेम और जेफेथ बताया. बात में बताया जाता कि अपने कॉलोनियों के लोगों को भी ये बात बताई… जब इनके दोनों भाई इस बात को सुने तो दुनों जन कपड़ा ले के गए और अपने पिता जी को मुँह फेरते हुए कपड़ा से ढंक देते हैं…
सुबह जब नूह जी की नींद खुलती है और नशा उतरता है तो अपने स्थिति से अवगत होता है.. और हैम के कृत्य का भी पता चलता है… इससे नूह जी बहुत आग-बबूला हो जाते हैं और अपने बेटे हैम को Curse, बोले तो श्राप देते है कि “हे हैम! अपने बाप के साथ तुमने ऐसा किया, जाओ हमारा तुम्हारे ऊपर श्राप रहा कि तुम्हारे बेटे और उनके भी बेटे (मने वंशज) तुम्हारे दोनों भाइयों के बेटे के बेटों के गुलाम रहेंगे और उनकी सेवा करोगे (perpetual slavery)!”… Genesis 9:20-27 (जिनको भी चाहिए मिल जाएगा, नहीं तो गूगल में सर्च कर सकते है).
अब इसपे बहुत सारा विवाद है कि नूह जी इतना गुस्सा क्यों हो गए कि उनको अपने बेटे को श्राप देना पड़ा? शराबी की हालत की थोड़ी-बहुत व्याख्या ही तो की थी तो इसमें श्राप देने जैसी वाली क्या बात थी?… बड़ा इंटरेस्टिंग चीज़ पढ़ने को मिलेगा इसके पीछे… खैर छोड़िये.
तो हैम शापित हो गया… इनके पुत्रों को शेम और जेफेथ के पुत्रों की गुलामी करनी ही थी… ऐसा भी कहा जाता कि नूह के श्राप से हैम काला हो गया था और फिर उसके बाद आने वाली संतान काली होने लगी… अब चूंकि हैम था तो नूह का बेटा ही, तो नूह की जिम्मेवारी थी कि अपने बेटों को पृथ्वी के किन हिस्सों में बसाया जाय!?..
तो नूह ने अपने तीन बेटों के लिए पृथ्वी को तीन हिस्सों में बाँट दिया… एशिया रीजन शेम का हुआ और ये लोग ‘सेमेटिक’ कहलाये… हैम को अफ्रीका दे दिए और ये लोग ‘हेमेटिक’ कहलाये और जेफेथ को पूरा यूरोप दे दिए और ये ‘जेफेथिज़’ कहलाये… मने शेम के पुत्र सब सेमिट्ज, हैम के पुत्र हैमेट्ज़, और जेफेथ के पुत्र जेफेटिक !! .. और हैमेटिक लोग सेमिट्ज और जेफेटिक के दास/ गुलाम, बोले तो ‘शूद्र’!
नूह का जेफेथ को आशीर्वाद था कि तुम दुनिया में Enlarge करोगे… और शेम के रास्ते गॉड के दूत उतरेंगे… तो नूह के आशीर्वाद स्वरूप ही जेफेटिक, बोले तो यूरोपियन, बोले तो गोरे अंग्रेज लोग पूरे दुनिया में छाने लगे.. और जहाँ भी जाने लगे और काले लोगों से सामना पड़ता गया तो बाइबिल के थियोलॉजी के अनुसार उन्हें ज़रा सा भी पहचानने में दिक्कत न हुई कि ये लोग हैम के वंशज है जिनका काम हमारी गुलामी करना है!
ये जेफेथ की औलादें जब भारत आये तो इधर के भी लोगों को अपने में से तीन वर्ण में से देखना था… तब लिंगविस्टिक को आधार बना कर ‘रेस-थ्योरी’ गढ़ी जाने लगी… और 1767 ई. में Father Coeurdox ने संस्कृत को जेफेटिक, बोले तो यूरोपियन भाषा से रिलेट किया और बताया कि भारत के जो ब्राह्मण हैं वे जेफेथ के वंशज है मने अपने भाई ही है. .. और बाकि के लोग (मने अभी के कथित दलित, ST, SC, OBC, etc) कौन हैं!?.. तो बाकी के लोग हैम की औलादें जिनका काम गुलामी करना लिखा हुआ है… शेम की औलादों में जोल्हा सब थे जिसके नाक नक्श सेमेटिक बोले तो अरब वालों से मिलती-जुलती थी.
अफ्रीकन, अमेरिकन कंट्रीज़ के मूल लोगों के साथ इन जेफेटिक और सेमेटिक लोगों ने क्या-क्या नहीं किया, वो केवल और केवल बिबलीकल थियोलॉजी की ही देन थी और उससे ही प्रेरित थे… ईसाईयत में आने के बाद किसी भी तौर पे इन्हें जेफेटिक और सेमेटिक नहीं माना जायेगा… इन्हें केवल और केवल हैम की ही औलाद, मने हैमेटिक ही गिना जाएगा जिनका काम सेमिट्ज और जेफेटिक की गुलामी करना ही लिखा हुआ है.
जहाँ शूद्र समेत चार वर्ण की बात होती, वहीं ‘जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते.‘ की भी बात होती है. और यही शाश्वत है… कालांतर में विकृतियां हुई ज़रूर है. लेकिन तुम्हारा ऐसा कुछ है क्या? जस्ट लाइक.. “बाय बर्थ यू आर हैमेटिक बट एज पर योर वर्क यू विल बिकम जेफेटिक!”???…
तो हे कन्वर्टेड करिया हैम की औलादों! तुम कनवर्ज़न के पहले दिन से ही हैम की औलाद हुए और तुम्हारा काम ही है शेम और जेफेथ की औलादों की सेवा करना… सो स्टे विद योर न्यू वर्ण दैट इज अकॉर्डिंग टू यू ‘शूद्र’ एंड इन बिबलीकल फॉर्म ‘हैमेट्ज़’!!
.
“अब जब-जब तुम शूद्र का तीर मारोगे, तब-तब हम हैमेटिक का गोला फेंक के मारेंगे!!” जे हलेलुइया!!