International Day of the Girl Child : तुम हमेशा ऐसी ही रहना

International Day of the Girl Child
International Day of the Girl Child

जो उड़ने के ख्वाब नहीं देखती
सिर्फ चलना चाहती है
अपनी गति से निर्विघ्न नदी सी
चंचल पवन सी

किसी स्वच्छंद कवि की कल्पना की नायिका की तरह
जिसके मन में कुंठाएं ना भरी हों
भरा हो आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता

जहाँ वो सोलह श्रृंगार को बेड़ियों की तरह ना तोले
हर श्रृंगार हो उसे रूपाली दर्शाता
उसके अरूक्ष कर में सुसज्जित हों
कलम से लेकर कटार तक

जब उसकी आँखें ये सपने देखना छोड़ दें
उसकी लड़ाई कोई और लड़ेगा
कोख से जन्म तक का रास्ता सुलभ और सरल हो
जो मिटा दे
जन्म से पहले वाली अपनी माँ की चिंता की लकीरें

कभी-कभी दिखती है कुछ तस्वीरों में
वो आशा की किरण हंसती हुई बेपरवाह
तुम हमेशा ऐसी ही रहना
मेरी हर कविता की नायिका के रूप को साकार करती

एक दिन हर लड़की तुम जैसी हो जाएगी
छलाँग लगाकर हर मुश्किल को पार करती

स्वाति गौतम (International Day of the Girl Child)

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