श्रीमान अमिताभ बच्चन हिंदी फिल्मों के सर्वकालिक महानायक है, जिसे हर कोई जानता है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने इस छात्र को मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान कर चुके हैं, जो बाबूजी डॉ0 हरिवंशराय बच्चन की भांति डॉ0 अमिताभ बच्चन हो गए हैं.
आज बिग बी यानी ए बी अपने भौतिक जीवन के 75 साल पूर्णकर 76 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं और इतनी आयु में भी उनकी ऊर्जा देखते ही बनती है. जन्मदिवस की न केवल शुभकामना, अपितु गणितीय आंकलनानुसार वे अपने बाबूजी सा जिंदगी पाये, यही हमारी ओर से शुभेच्छा है.
बिग बी बड़े भाग्यशाली हैं कि उनके जन्मदिवस के दिन बहुत साल पहले ही भारत के अनन्यतम महापुरुष भारतरत्न जयप्रकाश नारायण उर्फ़ जे पी जन्म ले चुके थे. जे पी की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन! जे पी की भांति भारत सरकार अमिताभ बच्चन को भारत रत्न से नवाजे! हालांकि दोनों लीजेंड के कार्यक्षेत्र भिन्न हैं, तथापि दोनों ही देश सेवा में संलग्न रहे हैं.
भारतीय फिल्मों के महानायक श्रीमान अमिताभ बच्चन को 5वीं बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (पहलीबार ‘सात हिन्दुस्तानी’ हेतु डेब्यू फ़िल्म/ नवोदित अभिनेता के लिए) से नवाज़ा गया है. इस सम्मान पर तब शायद सबने भरी होगी – ओह, बुढ़ापे में भी बेस्ट एक्टर! ‘पद्म विभूषण’ भी गत वर्ष पाया था, पर सभी ‘भारत रत्न’ के कयास में थे.
मैं बात उनकी प्रतिभा पर करता हूँ. नब्बे के दशक के अभी कुछ वर्ष बीते थे, अमिताभ बच्चन अभिनीत एक-एक फ़िल्म फ्लॉप होती जा रही थी. कहानी और किरदार चुनने में परहेज़ नहीं बरतना एक कारण था. कवि हरिवंशराय बच्चन के पुत्र होने का फायदा ही एक आसरा था, अन्यथा मित्र राजीव गांधी (शहीद होने से पूर्व) से मित्रता अब बीती बात थी.
हिंदी फिल्में मिलना नगण्य-सा हो गया था, वैसे लगभग फ़िल्मी पत्रिकाएं उनके संन्यास की बात लिखने लगी थीं और अवसाद में आकर वे ऐसा सोचने भी लगे थे. आर्थिक- स्थिति भी कुछ ठीक-ठाक ना रही थी.
इस समय मित्रों के सम्बल और एक मसीहा की उन्हें सर्वाधिक आवश्यकता थी! तब कई प्रशंसकों ने उन्हें पत्र लिखे होंगे, यह दीगर बात है. परंतु 19 वर्षीय मैं तब उनकी फ़िल्मी-यात्रा की, भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनके सनक की, असली मर्द होने की, भारतीयता का भाव जगाते हुए कि वे अभिनय के लिए ही बने हैं…. को उन्हें एक समीक्षात्मक- पत्र नवम्बर-दिसंबर 1994 में रजिस्ट्री डाक से भेजा.
दिनांक- 25.12.1994 को लिखित महानायक अमिताभ बच्चन के हस्ताक्षरित जवाबी-पत्र (पत्र-वार्त्ता) मुझे प्राप्त हुआ, जो कुछ यूं था —-
” प्रियवर सदानंद पॉल, आपका पत्र तथा आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद! आप जैसे प्रशंसक, शुभचिंतक और दोस्त मुझसे पत्र द्वारा संपर्क में रहते हैं, इसकी मुझे प्रसन्नता है. फिलहाल मैंने कोई नई फ़िल्म अनुबंधित करने से पहले कुछ दिन विश्राम करने का निर्णय लिया है. शायद अब यह समय आ गया है कि मैं किसतरह के किरदार अदा करूँ, इस पर ध्यान दूं और यही वजह है कि मेरी निकट भविष्य में कोई फ़िल्म रिलीज़ नहीं हो रही है. परंतु भविष्य में मैं फिल्मों में जरूर काम करूंगा और इसकी जानकारी आपको फ़िल्म- पत्रिकाओं द्वारा मिल जाएगी. आपके लगातार हौसले और प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद!
शुभकामनाओं सहित.
सस्नेह—अमिताभ बच्चन.” (संलग्न पत्र)
इस पत्र की प्राप्ति को आज 23 साल पूर्ण हो चुके हैं. और यह अब भी उतना ही प्रासंगिक है, अंतर यही है सिर्फ – वे यंग ऐंग्रीमैन से महानायक हो गए हैं. उन्हें देश का वास्तविक महानायक बनना है. वैसे उनके अभिनेता दोस्त व पूर्व केंद्रीय मंत्री व वर्तमान में सांसद श्री शत्रुघ्न सिन्हा जी तो उन्हें देश के महामहिम राष्ट्रपति के रूप में देखना चाह रहे हैं. देश को उन पर फ़क्र है और मुझे भी उनके इस पत्र का मेरे पास रहने का फ़क्र है. किसी के पास ऐसे पत्र हैं तो ‘शेयर’ करें.
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