दिल्ली NCR में पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाने की मुख्य वजह प्रतिवर्ष हरियाणा व पंजाब में पराली जलाए जाने से पैदा होने वाली धुँध में कमी लाना है जिसमें दिवाली के पटाखों का अतिरिक्त धुआं बढ़ोत्तरी कर देता है!
लेकिन उससे भी पहले ज़रूरी बात समझने की ये है कि आख़िर स्मॉग बनता क्यों है? क्या अकेला दिवाली के पटाखों व पराली का जलना दिल्ली NCR में स्मॉग का प्रमुख कारण है?
वास्तव में दिल्ली NCR में यदि आप रात्रि में देखेंगे तो वर्ष में ज़्यादातर दिन आपको आकाश में तारे शायद ही कभी दिखेंगे क्योंकि दिल्ली NCR का पूरा वातावरण हमेशा धूल कण से पटा होता है. बरसात छोड़ दें तो PM 10 लेवल हमेशा 700 के ऊपर मिलता है (केवल दिल्ली के VIP क्षेत्रों को छोड़कर). जो ख़तरे के निशान से बहुत ऊपर हैं, जिसकी सेफ़ लिमिट 50 है!
पराली जलने व दिवाली के पटाखों के धुएँ से ये लेवल केवल 700 से 200-250 point ज़्यादा बढ़कर क़रीब 900-950 हो जाता है. उसी वक़्त वातावरण का तापमान भी गिर जाता है. नतीजा, वायुमंडल में उपस्थित वाष्पकण इन अति concentrated धूल कणों माने PM 10 पर घनीभूत होकर स्मॉग का रूप ले लेता है और घना कुहरा सा छा जाता है! जितना ज़्यादा PM 10 का लेवल होगा, उतना ज़्यादा घना कुहरा होगा! यदि PM 10 का लेवल 300 के रेंज में हो, तो कोई स्मॉग नहीं होगा!
अर्थात 80% धूल कण तो पहले से ही वातावरण में उपस्थित थे, केवल 20% योगदान पराली व दिवाली के वजह से है! बस दिवाली के समय पटाखों व पराली के 20% एक्स्ट्रा PM 10 (PM 2.5 भी) एडिशन और तापमान में गिरावट से स्मॉग बनने से वो दिख भर जाता है जो बाक़ी दिन दिखाई नहीं देता!
आपको जान के हैरानी होगी कि इन धूल कणों का सबसे बड़ा कारण सड़कों की धूल मिट्टी का चारों ओर रेंगते करोड़ों वाहनों के पहियों द्वारा हवा में उड़ाया जाना है! तो अब प्रश्न उठता है कि वर्ष में एक बार फ़ायर फ़ाइटिंग से इतर मी लॉर्ड ने क्या कोई ऐसा आदेश जारी किया जिससे इन 80% धूल कणों में कमी लायी जा सके!
ऑनलाइन वायु गुणवत्ता इंडेक्स (AQI) देखने के बाद भी मी लॉर्ड ने कोई स्टेप पहले नहीं लिया, लेकिन दिवाली के समय फ़ायर फ़ाइटिंग करने में जुट गयें क्योंकि तब आपकी पोल खुल रही होती है! बाक़ी दिन दिल्ली NCR वाले, न दिखने वाले ज़हरीली हवा में साँस लेते हैं!
यदि मी लॉर्ड ने ये आदेश जारी किया होता कि दिल्ली NCR में सिर्फ़ VIP क्षेत्र ही नहीं, बल्कि सारे क्षेत्र रोज़ाना वैक्यूम क्लीनर से साफ़ हों, जैसे दिल्ली के VIP क्षेत्र होते हैं ताकि PM 10 लेवल हमेशा 50 के लिमिट में रहे (जबकि नॉएडा अथॉरिटी के पास वैक्यूम क्लीनर है, दिल्ली नगर निगम के पास भी, गुड़गाँव में भी होगा! बस उन्हें चलाया नहीं जाता कुछ ख़ास क्षेत्रों को छोड़कर!) तो पटाखों के साथ दिवाली मनती या पराली जलती, ये लेवल कभी भी 300-350 से ज़्यादा क्रॉस न होता और न ही स्मॉग बनती!
अर्थात करो तो क़ायदे से वातावरण की चिंता करो, ज़मीनी काम करो, नहीं तो मत करो! अपनी हर ख़ामी को छुपाने के लिए पर्व त्योहारों में दख़ल देना बंद करो!