स्टॉकहोम. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी और कैशलेस इकॉनमी के फैसले के प्रशंसक और अर्थशास्त्र को मानवीय चेहरा देने वाले अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर (Richard Thaler) को इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है. अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार वर्ष 1969 से दिया जा रहा है.
थेलर ने अपने काम के जरिए यह दिखाया कि आर्थिक और वित्तीय फैसले करने वाले हमेशा तार्किक नहीं होते बल्कि ज्यादातर वे बहुत हद तक मानवीय हदों में बंधे होते हैं. स्वीडन की विज्ञान अकादमी के सचिव गोएरन हैंसन ने सोमवार को यह घोषणा की.
उन्होंने कहा Richard Thaler को उनकी अर्थशास्त्र के मनोविज्ञान की समझ पर काम के लिए 11 लाख डॉलर (7.2 करोड़ रुपये) राशि का यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. जहां तक व्यावहारिक अर्थशास्त्र का सवाल है तो यह व्यक्ति और संस्थानों की आर्थिक निर्णय प्रक्रिया से जुड़ा है. यानी यह बताता है कि ये फैसले कैसे किए जाते हैं. दरअसल थेलर ने अपने काम और अध्ययन के जरिए अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की.
थेलर का शोध व्यावहारिक अर्थशास्त्र पर केंद्रित है जो यह पड़ताल करता है कि वित्तीय और आर्थिक बाजारों में किसी व्यक्ति, व्यक्तियों या समूहों द्वारा किए गए फैसलों पर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारकों का क्या असर रहता है. नोबेल जूरी ने थेलर के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा है, उन्होंने अर्थशास्त्र को और अधिक मानवीय बनाया. जूरी ने थेलर को अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के एकीकरण में अग्रणी करार दिया है.
जूरी ने एक बयान में कहा है, सीमित तर्कसंगतता, सामाजिक वरीयता और स्वनियंत्रण की कमी के परिणामों की पड़ताल करते हुए Richard Thaler ने दिखाया है कि ये मानवीय गुण व्यक्तिगत फैसलों और बाजार परिणामों को किस तरह से प्रणालीगत ढंग से प्रभावित करते हैं.
Richard Thaler ने फिल्म में भी किया है काम
उल्लेखनीय है कि अर्थशास्त्र की जटिल गुत्थियों और नियम कायदों की पड़ताल के साथ साथ Richard Thaler 2015 में आई फिल्म द बिग शोर्ट में भी एक कैमियो भूमिका में नजर आ चुके हैं. यह फिल्म उस ऋण संकट पर आधारित है जिसके चलते 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत हुई.
नोबेल समिति ने कहा थेलर का काम दिखाता है कि कैसे मानवीय लक्षण बाजार के परिणामों और व्यक्तिगत निर्णयों को प्रभावित करते हैं. अकादमी ने Richard Thaler का परिचय देने वाले अपने प्रपत्र में कहा है कि 72 वर्षीय थेलर व्यवहारिक अर्थशास्त्र का अध्ययन करने वाले अग्रणी अर्थशास्त्री हैं.
यह शोध का एक ऐसा क्षेत्र है जहां आर्थिक निर्णय निर्माण की प्रक्रिया के दौरान मनोवैज्ञानिक अनुसंधानों का अनुपालन करने का अध्ययन किया जाता है. इससे व्यक्तियों के आर्थिक निर्णय लेते समय सोच और व्यवहार का अधिक वास्तविक आकलन करने में मदद मिलती है.