हमारी परम्पराओं पर फिल्मों के हावी होने से सबसे ज्यादा करवा चौथ को प्रभावित किया है. फिल्मों ने इस व्रत के साथ छलनी के प्रयोग का एक गैर तार्किक बल्कि मूर्खता पूर्ण चलन जोड़ दिया है.
व्रत की कथा में व्रत में भूखी अपनी प्यारी बहन को जल्दी खाना खिलाने के लिए उसके भाई एक पेड़ पर दीपक जला उसके आगे छलनी रख चंद्रमा का रूप देते हैं. बहन भ्रमित हो उसकी पूजा कर व्रत खोल लेती है, लेकिन गलत तरीके से खोले व्रत के कारण उसका पति खत्म हो जाता है.
इस कहानी में तो छलनी का प्रयोग ही व्रत को भंग करने का कारण बताया गया है. लेकिन किसी अज्ञानी फ़िल्मकार ने व्रत रखने वाली नायिका के हाथ में ही छलनी देकर चंद्रमा की पूजा करा दी और आज शहरी क्षेत्र की 90% तो कस्बाई क्षेत्र की 20% महिलाएं छलनी को लेकर ही व्रत खोलती हैं, वो भी तरह तरह से. कोई महिला छलनी में से चंद्रमा को देख उसे अर्घ आदि देतीं हैं तो कुछ महिलाएं अपने पति का चेहरा देख उसकी पूजा करतीं हैं.
टीवी अखवारों में अक्सर छलनी के प्रयोग के औचित्य पर चर्चाएँ होती हैं लेकिन कोई तर्क या उद्धरण आना तो दूर बड़ी बड़ी मूर्खतापूर्ण अटकलबाजियाँ पेश की जातीं हैं, यथा
‘चंद्रमा कलंकित है उसको सीधे सीधे नहीं देखना चाहिए’
– क्यों क्या शरदपूर्णिमा सहित पूर्णिमा व्रत, संकट चतुर्थी और अन्य कई मौकों पर भी चन्द्र देव को अर्घ क्या छलनी की ओट से दिया जाता है?
‘चौथ के चंद्रमा को देखने से कलंक लगने का श्राप लगा है‘
– वो चंद्रमा यूं तो भादो का चंद्रमा है लेकिन फिर भी वो शुक्ल पक्ष का चंद्रमा होता है जो कि क्षीण होता है, कृष्ण पक्ष का चौथ का चंद्रमा तो पूर्ण चंद्र में ही आता है.
फिर वैसे भी जिस देव से कलंक का ही खतरा हो उससे मनोकामना पूर्ण होने की अपेक्षा क्यों और कैसे!
इसके अलावा महिलाएँ छलनी की ओट से पति की पूजा करती हैं. समझ में नहीं आता जिस पति की दीर्घायु के लिए चंद्रदेव का व्रत रखा जाता है, दिन भर भूखे प्यासे रह कर उस व्रत को महिलाएं क्यों जाया करती हैं. अरे चंद्रदेव का व्रत है चंद्रदेव ही उनके सुहाग को दीर्घायु देते हैं. लेकिन महिलाएँ चंद्रदेव के साथ पट्ठे उसी पति को ही पूजने लगती हैं और वो पति भी सूम सा खड़ा हो अपनी पूजा करा कर चंद्रदेव की बराबरी करता रहता है.
सोशल मीडिया पर मेरी लिस्ट में बहन बेटियाँ तो कम जुड़ी हैं, लेकिन मित्रों में से कोई पति इसमें वर्णित वाला देवता टाइप पति हो तो वो जरा अपनी मम्मी, सासु, नानी, दादी से व्रत की फिल्मी और असल विधि को जरा डिस्कस कर लें, जिससे उस भूखी प्यासी पत्नी को उसके व्रत का सुफल मिल सके.