कौलान्तक पीठ – 5 : महायोगी सत्येन्द्रनाथ, योग क्षेत्र के चमकते सूर्य

दरअसल इस समाज में बैठे कुछ धर्म के ठेकेदारों से ये बर्दाश्त ही नहीं हो रहा कि एक सच्चा जानकार योगी हिमालय से उतर कर लोगों तक सही सटीक जानकारियां पहुंचाए. क्योंकि महायोगी जी सच कहेंगे और फिर ये झूठ बोल कर किसको लूटेंगे. वास्तु ग्रहों के नाम पर या योग को बेचने कहाँ जायेंगे.

इसमें केवल इनकी ही गलतियाँ नहीं हैं. हमारी भी हैं कि जिसने योग किया ही नहीं उसको हम सबकुछ मान लेते हैं. और असली मिल जाए तो हम उसके साथ केवल फोटो खिंचवाते हैं. उससे ज्यादा कुछ नहीं. लेकिन जो महायोगी जी की तरह सचमुच साधनारत हों. वो समझ ही नहीं आते.

जो बेचारा थोडा अध् कचरा अध्यात्म का ज्ञान रखता है. उससे कहियेगा कि हम कौलान्तक पीठ से हैं तो तुरंत कहेगा अच्छा वाममार्गी कौलाचारी. बेचारे ये ही नहीं जानते कि कौलान्तक पीठ का वास्तविक नाम कुलांत पीठ है. वो कुलांत पीठ जहाँ सिद्धों की भूमि है. इसी सिद्धभूमि में समाधि लगाते हैं कौलान्तक पीठाधीश्वर.

जहाँ हिमाच्छादित पर्वत मधुर गीत गुनगुनाते हैं, जहाँ झरनों की पवित्रता सम्मोहित करती है. शीतल समीर में जहाँ अनहद नाद गूंजता हो, वो धरा महायोगी जी की ही तो है. शायद पत्थर पत्थर, पेड़ पेड़ भी महायोगी जी को पहचानता है. लेकिन संसार के लिए ये कहानी के सिवा कुछ भी नहीं. जबकि हाथ कंगन को आरसी क्या. महायोगी जी अभी धरा पर ही हैं उनको देखना चाहिए.

पर नहीं! हम कष्ट नहीं उठा सकते. जब काम करना पड़ जाए तप करना पड़े तो महायोगी जी जैसे साधकों को करना चाहिए और जब केवल भगवान के बारे में मलाईदार बातें करनी हों तो वो लोग खुद उपस्थित. जीभ हिलाना सरल जो है. ऊपर से भक्ति ने बिगाड़ कर रख दिया. वास्तव में भक्ति किसको उपलब्ध है? ये तो जानने में आने वाला है नहीं, तो बैठे रहो! साधना करो नहीं! बस भक्ति हो गई. लेकिन भला हो भाग्य का. क्योंकि मैं स्वयं ब्राह्मण हूँ ये सारी बाते जो मैंने कहीं इसीलिए सटीक कही. क्योंकि मैंने भी महायोगी जी के साथ शुरू में कुछ ऐसा ही किया था. पर अब वास्तविकता समझ पाया हूँ.

आप कहेंगे कि समाधि की बात क्यों नहीं कर रहा हूँ? मैं समाधि की ही बात कर रहा हूँ कि जब तक ऐसी कुत्सित वृत्तियाँ रहेंगी, साधक का कल्याण नहीं हो सकता. साधक को सूक्ष्म बुद्धि वाला होना चाहिए.

क्रमश:

– रविन्द्र शर्मा

कौलान्तक पीठ -1 : रहस्यमय श्वेत वर्ण धारी सत्यस्वरूप शिवस्थली हिमालय

कौलान्तक पीठ -2 : हठयोगियों का गुप्त संसार, साधकों का स्वप्न स्थल

कौलान्तक पीठ-3 : महारहस्य पीठ और महायोगी सत्येन्द्र नाथ

कौलान्तक पीठ – 4 : हिमालय के प्रखरतम महायोगी की महासमाधि

(साधकों तक अधिक से अधिक जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से ये लेख कौलान्तक पीठ की वेबसाइट से साभार लिया गया है)

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