जिनके खुद के घर शीशे के बने होते हैं, वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते

हमारे ऋग्वेद संहिता के दसवें मण्डल का एक प्रमुख सूक्त “पुरुष सूक्त” है जिसके एक मन्त्र का इस्तेमाल हिन्दुओं को लांछित करने और उनके बीच जातिगत भेद पैदा करने के लिये न जाने कितने समय से प्रयोग किया जाता रहा है. ये मन्त्र है,

ब्राह्मणोऽस्य मुखामासीद्वाहू राजन्यः कृतः।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत॥

इस मन्त्र की सही व्याख्या जाने बिना ही ये कह दिया जाता है कि आप हिन्दुओं के यहाँ तो ब्राह्मण ब्रह्मा से मुख से पैदा होने के कारण श्रेष्ठ बताये गये हैं वहीँ शूद्र परमपिता के पैरों से पैदा होने के कारण निम्न.

इस लेख का उद्देश्य इस मन्त्र का सही अर्थ बताना नहीं है बल्कि ये बताना है कि हमें मानव-मानव में भेद करने वाला बताने वालों लोगों के खुद के घर कैसे हैं और उनके यहाँ आला-नसब, श्रेष्ठ वंश, श्रेष्ठ कुल और कबीले को लेकर कितनी संकीर्ण सोच है. ये सोच इस हद तक संकीर्ण है जिसे बयान करना भी मुश्किल है.

हमारे यहाँ भगवान विष्णु के दस अवतार माने गये हैं. प्रभु जब वामन रूप में धरती पर आये तो ब्राह्मण थे, राम और बुद्ध रूप में आये तो क्षत्रिय थे और जब कृष्ण बनकर आये तो यदुकुल में जन्में. यानि अपने अवतरित होने का सौभाग्य उन्होंने किसी एक जाति तक सीमित नहीं रखा, अब यही टेस्ट हम सेमेटिक मजहब वालों के साथ करते हैं.

पहले बाईबल से शुरू करें,

– और परमेश्वर ने उनका कराहना सुनकर अपनी वाचा को, जो उसने इब्राहीम, और इसहाक, और याकूब के साथ बांधी थी, स्मरण किया (पुराना नियम, निर्गमन ग्रन्थ, 2:24)

अब इस “वाचा” का अर्थ है कि यहूदियों में जो भी नबी आयेंगे वो सब के सब हजरत इब्राहीम की औलाद में से होंगे. ये इतना ही नहीं है ‘भजन-संहिता’ में यहोवा यह भी स्पष्ट कर देते हैं कि यह वाचा केवल कुछ ही पीढ़ियों के लिये नहीं है बल्कि यह वाचा इब्राहीम की हजारों पीढ़ियों तक के लिये बांधी गयी है.

बाईबिल के पुराने नियम में नाम से तिहत्तर और नए नियम में नाम से तीन नबियों का जिक्र आया है और मज़े की बात ये है कि ये सब के सब आले-इब्राहीम (इब्राहीम के वंश) में पैदा हुए हैं. यानि सेमेटिक खेमे के इस पहले मजहब में एक भी पैगम्बर हजरत इब्राहीम के खानदान से इतर नहीं जन्मा.

सेमेटिक खेमे के दूसरे बड़े मजहब ईसाईयत के यहाँ भी वही है. गोस्पेल ऑफ़ मैथ्यू में जीसस के जन्म की शुभसूचना ही इस तरह आरम्भ होती है.

– इब्राहीम की सन्तान, दाऊद की सन्तान, यीशु मसीह की वंशावली

नए नियम में वर्णित हुए दूसरे नबी यूहन्ना (बप्तिस्मा वाले) भी आले-इब्राहीम के कुल के एक नबी हजरत जकरया के यहाँ पैदा हुये.

सेमेटिक खेमे के तीसरे बड़े मजहब इस्लाम के आख़िरी पैगम्बर भी हजरत इब्राहीम के पुत्र हजरत इस्माईल के कुल में जन्में. इसकी तस्दीक की खुदा ने नुबुब्ब्त रखी ही है आले-इब्राहीम में कुरान सूरह अनकबूत की 27 वीं आयत में कहता है: –

और हमने उसे (इब्राहीम) इसहाक और याकूब दिये, और उसकी संतति में नुबुब्ब्त और किताब रख दी.

यानि पूरे सेमेटिक खेमे में हजरत-इब्राहीम की औलाद से इतर किसी को भी नुबुब्ब्त (नबी का दर्ज़ा) नसीब नहीं हुआ.

हमारे यहाँ विष्णु अवतार के किस्से हमने बयान कर दिए हैं इसलिये अब ये तय हो जाये कि संकुचित कौन, और आरोप किस पर?

अब थोड़ा और आगे चलिये, सेमेटिक खेमे के एक मजहब के अंदर शायद सैकड़ों फ़िरके हैं. मज़े की बात है कि दूसरे फिरके वाले से नफरत सिर्फ नफरत की हद तक नहीं है बल्कि कहीं आगे जाकर एक दूसरे को हराम की औलाद, गंदे नाले की पैदाइश से लेकर काफिर और जहन्न्मी बताते हुए वाजिबुल-कत्ल तक जाती है. दीगर अकीदे वाले के यहाँ लड़की ब्याहने को यूं समझा जाता है कि बेटी से हमने जिना कराया और उस निकाह से पैदा होने वाली औलाद हराम की पैदाइश होगी. (ऐसे फतवों की लंबी सूची मेरे पास है, जिसे लिखना आवश्यक नहीं है)

हमारे यहाँ भी जातियां हैं, अकीदों को लेकर दुनिया भर की मतभिन्नतायें हैं और उसके आधार पर कई बार समाज में भेद भी पैदा होते रहे हैं. कुछ कालखंड में अस्पृश्यता जैसी कुरीतियाँ भी हमें शर्मिंदा करती रही हैं पर कभी हमारे किसी कट्टर से कट्टर जातिवादी ने भी “हराम की औलाद” जैसे फतवे नहीं दिये, दूसरी जाति वाले को “गंदे नाले की पैदाइश” नहीं बताई. किसी को “वाजिबुल-कत्ल” और जहन्नम का कुत्ता नहीं ठहराया. मत-फिरका-जाति और अकीदे को लेकर इतनी कड़वाहट हममें कभी नहीं रही.

कोई माई का लाल, हिन्दू समाज जीवन के सुदीर्घ इतिहास से इस तरह का एक भी वाहियात फतवा निकाल कर नहीं दिखा सकता, मगर वो कहते हैं न कि अज्ञान हर जगह मार खिलवाता है वही हमारे साथ हो रहा है.

इसलिये इल्म हासिल करिये, अपनी परम्पराओं पर दृढ़ रहिये, जाति आदि के नाम पर थोड़ा भी विभेद पैदा न होने दीजिये अन्यथा कभी पुरुष सूक्त, कभी मनु-स्मृति आदि का नाम ले-ले कर हमें यूं ही बांटा जाता रहेगा और जलील किया जायेगा.

बाकी अंतिम संदेश ज़रा ज़ोर से गूंजना चाहिये “जिनके खुद के घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते.”

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