एक परिवार बेहद शांति और अहिंसा के साथ अपना जीवन जी रहा था. तभी एक दिन उनके घर में बहुत सारे सांप घुस गये. सभी सांप सपरिवार थे. अधिकांश नागिने गर्भवती भी थी. उन जहरीले सांपो में से किसी एक ने उस घर के किसी एक सदस्य को डस लिया जिससे उसकी मृत्यु हो गयी. परिजन शोक में डूब गये पर वे पूरी तरह अहिंसावादी थे उन्होंने निर्णय किया कि काटा तो किसी एक सांप ने ही है. तो इसकी सजा सभी सांपो को देना किसी भी तरह से उचित नहीं. पहले उस सांप को खोजा जाये जिसने डसा है और केवल उसी को दंड दिया जाये. किसी एक की सजा सबको देना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं.
वे उस दोषी सांप की खोज में लग गये पर वो सांप नहीं मिला. इस दौरान नागिने जमकर संपौलो को पैदा किये जा रही थी. पूरा घर ही सांप, संपौलो और नागिनों से भरने लगा. ऐसा लगने लगा कि कुछ दिन और बीत जाते तो पूरे घर पर ही सांपो का कब्जा हो जाता. इस दौरान सांप एक एक कर घर के सदस्यों को डसते रहे और उनको मारते रहे. पर परिजन हर बार जिद पर अड़े रहते कि केवल दोषी सांप को ही दंडित किया जाये बाकि तो निर्दोष है. पर अब सांपो की तादात इतनी बढ़ गयी कि यह तय करना ही मुश्किल हो रहा था कि घर में कितने सांप है. और इतने सांपो की भीड़ में एक सांप को खोजना अब पूरी तरह असंभव होता जा रहा था.
तभी ईश्वरीय कृपा से उनके यहां एक संत का आगमन हुआ. वो घर की दशा और दुर्दशा को समझ गये. वो समझ गये कि इस परिवार की आंखो पर अहिंसा, करूणा और परोपकार की पट्टी चढ़ी हुई है इसलिये ये पूरा परिवार इस गहरे संकट मे फंसा हुआ है. और यही हाल रहा तो कुछ ही समय में यह परिवार पूरी तरह समाप्त हो जायेगा.
तब उन्होंने उस परिवार को समझाया कि धर्म, अहिंसा और करुणा मनुष्यों के लिये उचित है वो भी केवल उन मनुष्यों के लिये जो इन मानवीय गुणों को मानते हैं उसमें विश्वास करते हैं. पागल कुत्तों और जहरीले सांपो के लिये ये सिद्धांत लागू नहीं होते. ये घर आपका है. आप सदियों से इस घर में रह रहे हो.
ये सांप अपना घर छोड़कर आपके घर पर कब्जा करने की फिराक में है. और इस साजिश में सभी शामिल है. नागिन से लेकर संपौले तक. ये ही संपौले बड़े होकर घातक जहरीले नाग बनेंगे और तुम सबको डसेंगे इसलिये विचार करना छोड़ो. लाठी उठाओ और वध कर दो इन सबका तभी आप और आपका घर बच पायेगा. नहीं तो ये पूरा घर ही सांपघर बनने की कगार पर पहुंच गया है.
समय रहते उचित कार्यवाही करो नहीं तो आप सब बस कुछ ही दिनों के मेहमान है फिर ये सारा घर और यहां कि सारी भूमि इन सांपो की हो जायेगी. परिजन को बात समझ आ गयी. उन्होंने अहिंसावादी पट्टी उतार फेंकी और साँपों पर टूट पड़े. सभी सांप, संपौले और नागिनों के फन कुचलने शुरु कर दिये. जो सांप जहां दिखता वहीं मार दिया जाता. बिलो में पानी भरकर उसमें से बाहर निकलने को मजबूर कर दिया गया.
देखते ही देखते पूरे सांपो में भगदड़ मच गयी. वे सांप इधर उधर भागने लगे अपने सजातीय बंधुओं से भी शरण की मांग की पर किसी ने उनको अपने यहां आने की अनुमति नहीं दी. तभी उनकी नजर एक पड़ोसी घर पर पड़ी. जो कि पहले परिवार से भी अधिक अहिंसावादी था. सांपो ने सपरिवार उस घर में शरण ले ली. वहां के सजातीय बंधुओं के साथ उनकी ही तरह जहरीले अहिंसावादी का नकाब ओढ़े परिजनों ने उनका जमकर स्वागत किया और हर तरह की सहायता और राहत दी.
अब उन ज़हरीले सांपो ने वहां भी अपने बिल बनाने शुरू कर दिये. नागिने हमेशा की तरह गर्भवती थी. अब उन्होंने नये घर में जमकर संपौले को जन्म देना शुरू कर दिया. नागों ने यहां भी परिजनो को डसना शुरू कर दिया. पर पिछले परिवार की तरह इस परिवार के लोग भी अड़ गये कि किसी एक जहरीले नाग की गलती की सजा सभी सांपो को नहीं दी जा सकती.
अत: सांप बेफिक्र होकर नये घर में विचरण करने लगे. नागिने रात दिन 10-10, 12-12 संपौलो को जन्म देने लगी. कुछ परिजन इससे चिंतित हो उठे और परिवार के मुखियाओं से कुछ निर्णायक कदम उठाने की कहने लगे. पर वरिष्ठजन ने उनकी किसी भी बात को सुनने से पूरी तरह इंकार कर दिया. और वे उन सांपो को घर में ही बसाने की जिद पकड़ कर बैठ गये. क्योंकि उनका ये कहना था कि किसी एक दोषी सांप की सजा सबको नहीं दी जा सकती हैं.
सत्य और अहिंसा से हम इनका ह्रदय परिवर्तित कर देंगे क्योकि ये हमारे परिवार की प्राचीन परंपरा है और हमारे परिवार के कुल पिता ऐसा कहकर गये हैं, जिनकी हाल ही में पूरे कुल ने जयंती मनाई हैं.
नोट- ये कथा पूरी तरह काल्पनिक है, इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति या किसी देश से कोई सम्बन्ध नहीं हैं. रोहिंग्या समस्या से तो इस कथा का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं हैं!!!