जब दो संस्कृतियों का मिलाप हो तो बहुत कुछ नया जानने सीखने को मिलता है साथ ही आपका किचन भी तमाम नये स्वादों से भी समृद्ध रह सकता है.
मैं इस संबंध में खुशनसीब हूं क्योंकि पत्नी सिंधी संस्कृति तो पुत्रवधू पंजाबी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है.
आज पत्नी श्रीमती अनीता वर्मा ने सिंधी कढ़ी बनाई तो मेरा भी कर्तव्य बनता है कि मैं उसकी हौसला अफजा़ई करते हुये उसकी इस मेहनत को विस्तार दूं ताकि आप सभी इस सिंधी कढ़ी का रसास्वादन अपने किचन में बनाकर कर सकें.
सिन्धी कढ़ी
सामग्री
बेसन- दो टेबल स्पून
इमली का पल्प- दो टेबल स्पून
तेल- दो टेबल स्पून
जीरा- एक टी स्पून
हींग- आधा टी स्पून
मेथी दाना- एक टी स्पून
सब्जियां
भिन्डी- दस बारह (आपस में जुड़ी रहें ऐसा बीच से चीरा लगा लें)
आलू – दो मध्यम आकार के
ग्वार फली – बारह से पंद्रह
कमल ककड़ी – एक जिसे गोल टुकड़ों में काट लें.
बैगन- एक मध्यम आकार का लंबाई में कटा.
विधि
पहले पैन में तेल गर्म कर लें फिर भिंडी, ग्वार फली, बैगन, आलू फ्राइ कर लें इसके पश्चात बचे हुये तेल में हींग, जीरा, मेथी दाना चटका कर बेसन डाल दें और धीमी आंच पर ब्राउन होने तक भूनें.
फिर मिर्च हल्दी डाल कर और थोड़ा भूने और दो गिलास पानी डालें और उबाल आने दें.
ध्यान दें कमल ककड़ी को अकेले ही पहले उबाल कर रख लें. अब सारी सब्जियां व पहले से ही उबली कमल ककड़ी इसमें डाल दें और नमक स्वादानुसार भी डाल दें.
इन सबके बाद इमली का पल्प भी डाल दें यदि कोकम उपलब्ध हो तो चार से छह वह भी इसमें डाल दें और पकने दें धीमी आंच पर बारह पंद्रह मिनट तक. आपकी कढ़ी तैयार है.
अब एक पैन में तेल या घी गर्म करें और पंद्ह से बीस पत्ते मीठी नीम के और दो हरी मिर्च लंबाई में बीच से काट कर तड़का बना ऊपर से डाल दें अब आपकी सिंधी कढ़ी परोसने को तैयार है.
नोट- बैगन कढ़ी पकने के बाद ही डालें क्योंकि वह तलने पर ही गल जाता है. साथ ही यदि ये सब्जियां उपलब्ध ना हों तो गोभी, बीन्स, गाजर का उपयोग कर सकते हैं.
रेसिपी – अनीता वर्मा