सरकार क्यों नहीं कराती कॉलेज में पेड़ गिरने से गंभीर घायल छात्र का इलाज?

Ujjwal Chaure

आज अचानक एक मेल मिला, जिसे देखकर मैं चौंक गया. इसमें एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने अपने एक सहपाठी के इलाज के लिए तत्काल आठ लाख रूपये जुटाने की अपील अपने दूसरे साथियों से की है. मेल इस प्रकार से है:

“As you all know that our friend Ujjwal Choure met with an accident on 26th evening and is on VENTILATOR at GREATER KAILASH Hospital. Daily expense of his treatment is around Rs.50,000 because of his very critical condition. Doctors suggested 4 surgeries of brain, heart, lungs and spine. Everyone of us is doing the best possible we can and expect the same from you all because his family’s financial condition is weak.
He needs money around 8,00,000 because he will be on VENTILATOR for next 7 days and for his surgeries. Please make your valuable contribution as per your will.

For more information, contact:
Ankit Tiwari- ‪8827707433‬
Rajeev Tanwar- ‪7415155376‬
Shreyash Barsainya- ‪9713792191‬
Akshay Arya- ‪8770066491‬

For paytm, please add money to ‪9977439107‬ (Sonal Bhagat).
Or contribute cash to any of the above mentioned.”

मेल में घायल छात्र का इलाज इन्दौर के ‘ग्रेटर कैलाश’ अस्पताल में होने का जिक्र किया है. ग्रेटर कैलाश हास्पिटल के मालिक डा0 अनिल बंडी मेरे पुराने विद्यार्थी रह चुके हैं. मैंने डा0 बंड़ी को तत्काल फोन लगाकर घायल छात्र की तबियत के बारे में पूछा. पता लगा कि छात्र “उज्जवल चौरे “श्री गोविन्दराम सेक्सरिया इंन्स्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एण्ड साइंस “ (जी एस टी आई एस) का नियमित विद्यार्थी है.

26 सितम्बर 2017 मंगलवार को तेज हवाओं के साथ तेज बारिश हुई. उज्जवल अपनी एक कक्षा से निकल कर दौड़कर दूसरी कक्षा में जाने के लिए बरामदे से निकल कर, बाहर तेजी से आया तभी लगभग 70 साल पुराने इस प्रसिद्ध इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर पुराना पेड़ टूटकर गिर पड़ा. छात्र का दुर्भाग्य था कि पेड़ उसके ऊपर आ गया. छात्र खून में लथपथ होकर बेहोश हो गया.

तत्काल दूसरे छात्र और कॉलेज के प्रोफेसर कर्मचारी दौड़ पड़े. ताबडतोड़ उज्जवल को ग्रेटर कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया. ड़ा0 बंडी के अनुसार इलाज के दौरान उज्जवल के प्राण दो बार जा चुके थे. काफी मशक्कत करके जान बचा ली गई. पर उसके मस्तिष्क में खून का थक्का जमा है. इस कारण मरीज कोमा में है, तथा उसे वेन्टीलेटर पर रखा गया है. उज्जवल की रीड़ की रड़्ड़ी में भी फ्रेक्चर है. उसके ब्रेन का और रीढ़ की हड़्ड़ी का आपरेशन होना बहुत जरूरी है.

लड़के के माँ बाप बेहद गरीब हैं. आठ लाख रुपयों का खर्च आपरेशन में आने का अनुमान है. इतनी धनराशि वह नहीं जुटा सकते. इस कारण कॉलेज के छात्र परस्पर चन्दा इकठ्टा करके इलाज का खर्च उठा रहे हैं. ड़ा0 बंडी ने मुझे बताया कि छात्र के करीबी लोग उज्जवल को डिस्चार्ज कराकर इन्दौर में ही दूसरे अस्पताल ‘सी एच एल’ में ले गए हैं. उज्जवल की हालत वर्तमान में बहुत नाजुक है. हम सबको ईश्वर से प्रार्थना करना चाहिये कि उज्जवल जल्दी से जल्दी अच्छा हो जाये.

जिस तरह से रेल दुर्घटना होती है, बाढ़ या भूकम्प में लोग घायल हो जाते हैं. बस पलट जाने, आग लगने या अन्य किसी प्रकार की प्राकृतिक दुर्घटना में कोई घायल हो जाता है, तो सरकार उसके इलाज का पूरा खर्चा खुद उठाती है. साथ में मुआवजा भी देती है. कितना अजीब सा लगता है, जब हम देखते हैं कि किसान आन्दोलन में भाग लेकर सार्वजनिक सम्पति ट्रक बसों और दूसरे वाहनों की तोड़फोड़ और आगजनी में पुलिस की गोलियों से भून दिये जाने वाले अपराधियों को राज्य सरकार एक एक करोड़ रूपयों का इनाम/मुआवजा दे कर उपकार कर रही है. प्याज आन्दोलन की आग से सरकार अपनी चमड़ी बचाने के लिये 8 रूपये किलो प्याज खरीद कर उसे “प्याज माफिया “ को दो रुपये किलो में बेच देती है.हजारों टन प्याज सड़ गया बताकर, सैकड़ों करोड़ रूपयों का चूना सरकारी खजाने को लगा दिया जाता है. दूसरी तरफ…

यहाँ यह उल्लेखनीय है कि छात्र कॉलेज के समय में कॉलेज परिसर के भीतर ही दुर्घटना का शिकार हो जाता है. कॉलेज में छात्र का जीवन पूरी तरह सुरक्षित रहे यह दायित्व पूरी तरह से प्रशासन का है. पेड़ गिरने से घायल होने की दुर्घटना पूरी तरह प्राकृतिक हादसा है. यह ठीक उसी तरह है जैसे आग लगने, मकान गिरने, बाढ़ में डूबने या रेल अथवा बस की दुर्घटना होने पर सरकार आगे आकर मदद के लिये हाथ बढ़ाती है. जांच कमीशन बैठती है टीवी चैनलों पर लाईव बहस होती है, दोषियों को सजा देने की माँग की जाती है. हो हल्ला मचता है.

पर 26 सितम्बर की दुर्घटना के मामले में न तो जागरूक इन्दौर का अखबार जगत या इलेक्ट्रानिक मीडिया या अन्य किसी संस्था के कानों में कोई जूं नहीं रेंगी है. आश्चर्य तो यह है कि नगर की सांसद और देश की बड़ी नेता ताई भी इन्दौर आई और चली गई. एक झलक इस घायल छात्र को दिखा देती तो शायद गरीब माँ बाप के होनहार इन्जीनियर बन रहे आंखों के तारे के जीवन की थम रही सांसे उन्हें देखकर जरूर रूक जाती.

कितना दुख होता है जब क्रिमिनल आफेन्स में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने कांग्रेस के युवराज झूमा झटकी करके वाहवाही लूटने मध्यप्रदेश आ जाते हैं. वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट के एक जज की कार शिवपुरी के पास दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद मामूली सी चोट खाये हाईकोर्ट जज और उनकी पत्नी को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्गी राजा अपने सरकारी उड़न खटोले को शिवपुरी भेजकर, जज महोदय के परिवार को उठाकर इन्दौर के निजी भंडारी अस्पताल में भर्ती कराकर सरकारी खर्च पर इलाज करा देते हैं.

वही दिग्गी राजा अपनी नर्मदा यात्रा पर जाने के पहले इन्दौर तो आए पर अपने दिव्य दर्शन बेहोश पड़े छात्र को देना उन्होंने भी ठीक नहीं समझा. इन्दौर में एक से बढ़कर कर एक धनाढ़्य जन प्रतिनिधि हैं. यह लोग वोट की शतरंजी चौपड़ बिछाने के खातिर करोड़ों रुपये रावण को जलाने, रंगारंग नवदुर्गा, गणेश उत्सव, गरबा आदि कराने में खर्च करते हैं. उन जनप्रतिनिधियों में से एक भी चाहे वह कांग्रेसी हो या भाजपा का, किसी ने भी, बेबस होकर अपनी किस्मत पर रो रहे ‘उज्जवल चौरे‘ के माँ बाप के आंसू पोंछने की ज़रूरत नहीं समझी.

आज जब मजबूर होकर छात्रों को चन्दा करके अपने साथी का इलाज कराना पड़ रहा है, तो क्या हमारे संवेदनशील जनप्रतिनिधियों, मीडिया कर्मियों, नेता, रंक और सरकारी फकीरों को थोड़ी बहुत शर्म आती है या नहीं. जबकि छात्र प्राकृतिक दुर्घटना का शिकार हुआ है, उसका पूरा अच्छे से अच्छा निशुल्क इलाज कराना सरकार की ड्यूटी है. और यह छात्र का कानूनी हक भी है. क्या सरकार की नींद तभी खुलती है जब यही छात्रों का समूह मानवीय कर्तव्य समझकर चन्दा करने का रास्ता छोडकर, नेताओं की टपली बजाना शुरू करेंगे.

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