आज पुरुषार्थ का दिवस है. आज पराक्रम का दिवस है. आज विजय का दिवस है. आज विजयादशमी है. सारे हिन्दू समाज के लिये, विजयादशमी का दिवस गर्व का, प्रेरणा का और संकल्प लेने का होता है. वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए आज संकल्प लेने की आवश्यकता है कि ‘यह शताब्दी हिंदुत्व की होगी’.
यह होगा. होकर रहेगा. हिंदुत्व के पुनर्जागरण के सुचिह्न दिख रहे है. पिछले हजार वर्षों में हिन्दू समाज ने जो गलतियां की, उसकी अनुभूति समाज को हो रही है.
[हिंदुत्व-1 : हम ‘हिन्दू’ किसे कहेंगे..?]
जब हम संगठित थे, समरस थे, तब दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्र थे. दुनिया के सबसे संपन्न, सबसे धनवान राष्ट्र थे. जैसे ही हमारे सामाजिक धागे कमजोर होते गए, सामाजिक रूप से हम बिखरते गए. मुस्लिम आक्रांताओं के हाथों और बाद में अंग्रेजों के द्वारा हम परास्त होते गए. हमारे संगठित शक्ति की ताकत ही हम भूल गए थे.
किन्तु अब नहीं. विश्व का हिन्दू समाज अब संगठित हो रहा है. यह संगठित शक्ति, विश्व के लिए एक शुभ संकेत है. सहिष्णु, सामर्थ्यवान, संवेदनशील हिन्दू समाज विश्व की भलाई के लिए काम करेगा, यह तय है. और इसीलिए, दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का ‘हिंदुत्व’ के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है.
[हिंदुत्व-2 : संगठित हिन्दू समाज]
इसके संकेत भी मिलना प्रारंभ हो गए है. पूरे विश्व ने ‘योग’ को जिस प्रकार से हाथों हाथ लिया, वह इस बात का परिचायक है कि हिन्दू जीवन पद्धति के साथ लोगों का जुड़ाव बढ़ रहा है.
अभी गणेशोत्सव के दौरान, कुछ वीडियो वायरल होते आपने देखे होंगे. पहला वीडियो थायलैंड का है. वहां पर थाई स्त्री-पुरुष ‘गणपति बाप्पा मोरया’ के जयकारे लगाकर भगवान् गणेश की पूजा कर रहे है.
[हिंदुत्व-3 : सामर्थ्यशाली हिन्दू]
लगभग ऐसा ही वीडियो किसी अफ़्रीकी देश का है. यहां पर अफ़्रीकी नागरिक, अपने परंपरागत परिधान में, परंपरागत नगाड़े बजाते हुए गणेश विसर्जन को नया रूप दे रहे है.
तीसरा वीडियो स्पेन का है. वहां के चर्च में भगवान् गणेश विराजे है, और स्पेनिश नागरिक जोश के साथ गणेश जी की आरती उतार रहे है. ये तीनो वीडियो प्रातिनिधिक है. दुनिया में हवा किस ओर बह रही है, उसके संकेतक है.
[हिंदुत्व-5 : राष्ट्र सर्वप्रथम]
अन्य देशों के नागरिकों में, अन्य धर्मावलंबियों में भारतीय संस्कृति के प्रति, भारतीय आध्यात्म के प्रति, आयुर्वेद के प्रति अभूतपूर्व आकर्षण निर्मित हुआ है. इसे यदि ठीक से संबोधित किया गया, तो विश्व में हिंदुत्व का फैलाव निश्चित है.
[हिंदुत्व-6 : और विघटन प्रारंभ हुआ…!]
आवश्यकता इस बात की है, कि जब विश्व हमारी ओर देख रहा है, हमें निहार रहा है, तब हम हिदुत्व के सिद्धांतों को, हिन्दू जीवन पद्धति को जीने का प्रयास करें. यदि हम ही हिंदुत्व की खिल्ली उड़ायेंगे, तो उसका सम्मान कौन करेगा..?
[हिंदुत्व-7 : आडंबर की उपासना]
इसलिए, इस अनुकूल और आशादायी परिस्थिति को देखते हुए, यदि हम सब संकल्पित हों, हिंदुत्व की हुंकार भरने के लिए, तो यह शताब्दी, हिंदुत्व की होना सुनिश्चित है…!
[हिंदुत्व-8 : तेजस्वी पुनर्जागरण]
इस लेखांक के साथ यह ‘नवरात्रि विशेष लेखमाला’ समाप्त होती है. मैं कृतज्ञ हूँ, उन सभी का जिन्होंने सोशल मीडिया पर इस लेखमाला को लेकर गजब का उत्साह दिखाया. अनेक मित्रों का आग्रह था कि इस लेखमाला की छोटी सी पुस्तिका निकालना चाहिए. इस विषय पर काम चल रहा है. इस लेखमाला के लिए सन्दर्भ ग्रंथों की सूची –
1. हिंदुत्व – स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर
2. हिन्दुसमाज संगठना आणि विघटना – डॉ. पु. ग. सहस्त्रबुद्धे
3. माझे चिंतन – डॉ. पु. ग. सहस्त्रबुद्धे
4. संस्कृति संगम – आचार्य क्षितिमोहन सेन
5. भारतवर्ष में जातिभेद – आचार्य क्षितिमोहन सेन
6. मनु और याज्ञवल्क – डॉ. काशीप्रसाद जायसवाल
7. हिन्दू पोलिटी – डॉ. काशीप्रसाद जायसवाल
8. मध्ययुगीन भारत – चिं. वी. वैद्य
9. धर्मशास्त्राचा इतिहास – पांडुरंग वामन काणे
10. हिन्दू संगठन : शक्यता, आवश्यकता आणि सफलता – मा. गो. वैद्य