एक ऐसा भी वक्त था जब लोगों के टैक्स का पैसा इस देश के परधान की प्रेमपाती इंग्लैंड पहुंचाने में खर्च होता था. फिर हमने वायुसेना के विमानों में राजपरिवार के पोते का जन्मदिन मनते देखा. ये भारत की प्रजा का कर्तव्य था कि अपनी गाढ़ी कमाई ‘परिवार’ के ऐसे भावभीने समारोहों के लिए दें.
दल-विशेष की माता रानी के इलाज का निजी खर्च भी देश की जनता ने सहर्ष स्वीकार किया, उनको चंदा मांगने की नौबत नहीं आने दी. फिर युवराज की सुरक्षा, बहना और उनके पतिदेव की सुरक्षा का खर्च भी देश अपने कंधों पर उठाता रहा.
देश देखता था युवराज को बच्चों से खेलते हुए और वहां भी देश का मौन परधान ‘बिस्किट’ हाथ मे लिए सेवारत रहता था. पैसा ऐसे काम के लिए खर्च होना चाहिए, न कि देश के विकास पर, उसकी सुरक्षा पर. तभी तो सीमा पर जवान नकली बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर मरते रहे और माता रानी का बेहतरीन इलाज़ देश अपने पैसों से करवाता रहा.
आज एक गलत व्यक्ति देश की बागडोर संभाल रहा है. टैक्स के पैसे से कर्ज़ चुका देता है ताकि भारत माँ के पैरों में पड़ी बेड़ियां कुछ हल्की हो सकें. बहुत गलत बात है. सब यही कह रहे कि 2019 में इस आदमी को हटाओ क्योंकि महंगाई बढ़ गई है. क्यों दें इसे दूसरा मौका.
हम फिर युवराज और उनके परिवार की सेवा करना चाहते हैं. अपने टैक्स का पैसा हम ‘परिवार’ पर ही लुटाना चाहते हैं. हमरे पैसों से पप्पू थाईलैंड न गया तो हमे बहुत बुरा लगेगा.
देश तुल रहा है सौ-सौ ग्राम के बांट से
कोई पेट्रोल के बदले बेचने को तैयार
कोई दाल के बदले बेचने को तैयार
तो कोई नफरत के चलते बेचने को तैयार
कल भिंडी (जीएसटी) बोई थी और आज ही सब्ज़ी खिला दो भैया.