आज से कोई 20 साल पुरानी बात है. एकदम सत्य घटना. उन दिनों हम लोग सैदपुर में स्कूल चलाते थे. एक दिन स्कूल पे छापा पड़ा. कुछ लोग आए. बोले Income Tax से आये हैं.
मैं था नहीं. धर्मपत्नी बोली हियाँ का लेने आये हो? कटहर ? हियाँ कुछ नहीं है? उन लोगों ने पूछा कित्ते स्टाफ हैं. जवाब मिला- 15… कौन-कौन है? नाम लिखाओ… लिखा दिये.
फिर बोले, मनीजर प्रिंसिपल भी तो कोई होगा…. हाँ है न….
17 हो गए.
दाई चपरासी स्वीपर? 20 हो गए.
Driver?
4 drivers के भी नाम लिखा दिए. कुल 24 हो गए.
आदेश दिया, हाजिरी रजिस्टर दिखाओ.
हाजिरी रजिस्टर आया तो उसमें सिर्फ 15 नाम.
उन्होंने कहा पूरा करो. इसमें इन सभी 24 का नाम चढ़ा के इस महीने की हाजिरी बनाओ. मैडम जी ने बना दी. उन्होंने उस register पे तस्दीक़ की मुहर लगाई, अपना चपरासी भेज के बाजार से फोटोस्टेट कराई, चाय पकौड़ी खा के चले गए.
हम वापस आये तो पूरा किस्सा सुनाया. मैंने register देखा तो मुहर PF वालों की थी.
Provident Fund वाले आये थे. 15 दिन बाद उनका पत्र आया, ‘आपके स्कूल का मुआयना किया था. आपके 24 कर्मचारी हैं लिहाजा आपके ऊपर PF के कानून लागू होते हैं. ये रहा आपका PF नंबर. 24 कर्मचारियों का PF काट के कुल वेतन का 24% जमा कराओ’.
हमने चिट्ठी फाड़ के फेंक दी, कहा मस्त रहो. पता चला कि उस दिन PF वालों ने शहर भर घूम के बीसियों factories और स्कूलों, प्रतिष्ठानों का इसी तरह सर्वे किया और PF no issue कर दिया.
हमने तो चिट्ठी फाड़ के फेंक दी और मस्त हो गए पर बाकी 19 बड़े परेशान. मने उनकी रात की नींद हराम. धीरे-धीरे साल बीत गया. PF की चिट्ठी आती, मैं फाड़ के फेंक देता.
एक दिन उनका इंस्पेक्टर आया, बोला PF जमा नहीं कराया.
हमने कहा काहे का PF?
उसने समझाया.
हमने कहा, सुनो हे सिरीबासतो जी, हमारे पास कछु नाय है. एक ये लुंगी है और एक ये लंगोट. हमारा तुम क्या नोच लोगे? पेड़ के नीचे बैठा के पढ़ाते हैं, ढेर परेसान करोगे तो बंद कर देंगे, कोई दूसरा बगीचा खोज के हुआँ खोल देंगे. नाम बदल देंगे.
ऊ बोला, कौनो मान्यता सर्टिफिटेक कुछ है? हमने कहा, बोले न कुछ नहीं है. सिर्फ पढ़ाते हैं. न कोई TC, न marksheet, कुछ नहीं देते. सिर्फ ज्ञान देते हैं.
ऊ समझ गया कि पहलवनवा सच्चों कुछ नहीं देगा. उसको हमने चाय पिलाई. चाय-ओय पी के बोला कि हियाँ से जाओगे, स्कूल का नाम बदलोगे, ये वाला बोर्ड नया बनवाओगे, पुतवाओगे, ये रसीद बुक, स्टेशनरी, मुहर, ई सब नया बनवाओगे तो कुछ तो खर्चा होगा न?
अरे इसमें क्या लगेगा? 5000 लगेगा.
अरे 5000 में तो एही का सब काम फिट हो जाएगा.
ऊ कइसे ?
फिर उसने हम दोनों मरद मेहरारू को बईठा के एक घंटा PF की अच्छाइयां खूबियां समझाई.
हमको लगा, अरी साला, ई तो बहुतै बढ़िया चीज है… हम लोग तो साला झुट्ठे डेरा रहे थे. इस से तो फायदा ही फायदा है. कौनो नुकसान नहीं.
पर एक भसड़ थी. 24 आदमी का PF ऊ भी एक साल पीछे से ऊ कहां से लाएं?
इसका उपाय भी उसी ने बताया. बोला, अपने घर के सभी लोग का नाम डाल दो. जिस महीने सर्वे हुआ उस महीने किसी की हाजरी 4 दिन किसी की 10 दिन दिखा के जो वेतन बना उसका 24 % जमा करा दो. उसके बाद से अपने घर के 6 – 8 लोगों का नाम डाल के ये फॉर्म भरो और हर महीने 3-4000 रु PF जमा कराते रहो. Saving की saving और 10% ब्याज.
हम ससुर एक आवारा आदमी, हमको लगा ई ठीक है. इसी बहाने कुछ saving होगी. हमने नियमपूर्वक अपने घर के 8 लोग का और स्कूल के 6 teachers का PF देना शुरू किया. और अगले 6 साल तक जब तक सैदपुर में रहे, देते रहे. फिर कालांतर में वो संस्था भंग हो गयी और हम लोग जालंधर आ गए.
मुझे याद है उस ज़माने में भी हमारे परिवार का सवा लाख से ऊपर पैसा pf से मिला था. हमने आसान रास्ता अपनाया.
इसके विपरीत हमारी एक प्रतिद्वंदी संस्था ने टेढा रास्ता अपनाया. उन्होंने court में मुकदमा कर दिया… 6 साल बाद हार गए. अब चूंकि 6 साल की देनदारी हो गयी थी PF की सो विभाग को रिश्वत दे के फ़ाइल दबवा दी.
आज तक मुक़दमेबाजी और रिश्वत में लाखों दे चुके हैं पर आसान रास्ता नहीं अपनाया. जबकि यकीन मानिए की PF का record रखना, फॉर्म भरना और पैसा जमा कराना, पूरे एक महीने में सिर्फ 5 मिनट का काम है जिसे मेरी पत्नी चुटकियों में कर देती थी और ये सब सिखाया किसने… उसी PF इंस्पेक्टर ने.
हमारी एक दाई को उस ज़माने में शायद 20,000 रूपए मिला था PF से. जबकि हमारे उस मित्र के स्कूल का वो PF का केस आज तक पेंडिंग है शायद. PF वाले हर साल आते हैं और सिद्धा परसादी ले जाते हैं.
Same applies to GST… आज जो हव्वा लग रहा है कल आसान हो जाएगा. सब समझ आ जायेगा. सब सीख जाएंगे.