सत्य को बेसुरा नहीं होने देता तथ्यों का सुर

स्तरहीन, कर्महीन और नैतिकताविहीन हो चुकी एक खास खेमे और उनमें मौजूद दुराग्राही पेशेवर की तथाकथित पत्रकारिता किस तरह झूठ गढ़, फैला और बेचने की जुगत करते हुए धरी-पकड़ी जाती है, बेइज्ज़त होती है,इसका ताजा संस्करण देखिए.

इन तथाकथित पेशेवर गिरोहबाजों और सोशल मीडिया पर तैनात इनके बंटी-बबलिओं ने इस बार यह कुत्सित प्रयास सुप्रसिद्ध गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी के साथ किया.

भास्कर डॉट कॉम नाम के एक पोर्टल का झांसी संवाददाता एक खबर लगाता है कि बीती 26 तारीख को ‘झांसी गौरव’ सम्मान कार्यक्रम के अवसर पर शहर में मौजूद मालिनी अवस्थी जी ने बीएचयू की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर मीडिया से कहा “अगर छात्र लाठी खा सकते हैं तो छात्राएं क्यों नहीं”!

जबकि ऐसा कुछ कहा ही नहीं गया.

पत्रकारिता के एक धड़े में खबरों की प्रामाणिकता की क्या गरीबी है कि, इस एक स्थानीय संवाददाता की रिपोर्ट के साथ बिना कोई ऑडियो-वीडियो साक्ष्य/तथ्य होते हुए इस झूठ को छापा जाता है.

इसी एक अप्रामाणिक खबर को आधार बना कर कुछ एक-दो और स्थापित मीडिया के पोर्टलों पर इसका शातिराना प्रचार करने की कोशिश की जाती है. झूठ को बेचने के लिए सोशल मीडिया जैसे जनसँवादी मंच पर मौजूद कुछ गिरोहबाज़ भी इस सस्ते खेल में लग जाते हैं.

लेकिन उन्हें शायद यह नहीं पता कि सत्य सवाल पूछता है, झूठ के गिरहबान से लेकर हलक तक हाथ बढ़ा कर.

खबरों के आधार के तौर पर जब बाइट की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग के सवाल रखे गए तब कोई जवाब नहीं था झूठ के पास पलायन के सिवाय. बाकी न्यूज़ पोर्टलों ने खबर हटाई, इसकी शुरुआत करने वाले भास्कर डॉट कॉम के सिवाय.

सोशल मीडिया में भी इस झूठ और तथ्यों के फरेब को फैलाती तथाकथित क्रांतिकारी नारियों ने अपनी पोस्टें डिलीट की, शातिराना ढंग से एडिट किया.

इस तरह सत्य की असत्य पर निश्चित जीत के पर्व दशहरे के सुअवसर पर तथ्यों के दानवों का संहार तो हुआ, लेकिन एक संवेदनशील विषय पर इस तरह की भ्रामक, झूठ खबर को चलाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाई की भी जरूरत है.

झूठ को यूं बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

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