पिछले महीने गुजरात मे सौराष्ट्र की सात दिवसीय यात्रा का मौका मिला. राजकोट, जामनगर, ओखा, भेट द्वारिका, द्वारिका, सोमनाथ और जूनागढ़ जाने का मौका मिला. लगभग एक सप्ताह हम सौराष्ट्र में रहे.
हमारे मेज़बान, भाई ऋतुराज जी और भाई जगदीश जी परमार थे. सौराष्ट्र के किसी गांव में रात रुक के वहां के ग्रामीण जीवन को नजदीक से देखने की बड़ी इच्छा थी. यह तमन्ना जगदीश भाई ने पूरी की.
बताया गया कि किसी ज़माने में सौराष्ट्र एक सूखा और कृषि विहीन प्रदेश था. पर जब हम वहां थे तो वहां खेतों में मूंगफली और कपास की फसल लहलहा रही थी. वहां के खेत देख के यूँ लगा मानो किसी माली ने किसी सेठ का बगीचा करीने से सजा संवार रखा है.
मज़े की बात ये कि कोई एकाध खेत नहीं पूरे 400 किलोमीटर इलाके में हर खेत ऐसा ही था. सौराष्ट्र की खेती देख के तो पंजाबी किसान भी शर्मा जाएं.
दूसरी बात जो सौराष्ट्र में देखने को मिली वो थी पानी. जहां देखो वहां किसी नदी नाले पर बना चेक डैम और पानी से लबालब भरी झीलें. चेक डैम के कारण बनी झीलें.
बताया गया कि पूरे सौराष्ट्र में लाखों चेक डैम बनाये गए मोदी जी के गुजरात का सीएम रहते. जिस सौराष्ट्र में कभी एक फसल कायदे से नहीं हो पाती थी अब वहां के किसान साल में दो फसलें लेते हैं.
हर गांव में कम से कम 4-5 अलग-अलग कोऑपरेटिव डेरियों की गाड़ियां दूध संग्रहण के लिए आती हैं. हर गांव में 24 घंटे 220 वोल्ट बिजली, शानदार स्कूल, सरकारी अस्पताल, सड़क, स्वच्छ पेय जल की सप्लाई देखने को मिली.
कैसा रहेगा गुजरात विधानसभा चुनाव
7 दिन के प्रवास में हम दोनों मित्रों ने घूमते फिरते, खाते पीते, टहलते, सैकड़ों लोगों से भेंट मुलाक़ात की. हर वर्ग हर पेशे के लोगों से बात की.
मेरा हर व्यक्ति से एक ही सवाल था. ‘अबकी बार किसे जिता रहे हो?’
“अजी साब, गुजरात में अबकी बार तो कांटे की टक्कर होगी”.
‘अच्छा? कांटे की टक्कर??? इस टक्कर में जीतेगा कौन?’
“जीतेगी तो BJP ही…”
‘फिर काहे की टक्कर? अच्छा सीट कितनी आएगी? पहले से ज़्यादा या कम?’
“सीट!!!”
‘हाँ भाई, अमित शाह ने 150+ का टार्गेट दिया है गुजरात के लिए… आ जाएंगी 150+?’
“ह्म्म्म… नहीं 150 तो मुश्किल हैं पर 135 तक आ जाएंगी”.
‘अच्छा… पिछली बार कितनी थें?’
“ये तो याद नहीं… पर इस बार पहले से खराब है भाजपा की पोज़िशन… फिर भी 135 आ जाएंगी”.
‘कांग्रेस के जीतने की कोई उम्मीद?’
“अजी, सवाल ही पैदा नहीं होता. उसकी तो 25 सीट भी नहीं आएंगी”.
‘अरे, तो फिर कांटे की टक्कर किस से है?’
“ह्म्म्म…???”
‘अच्छा छोड़ो ये सब… आप किसको वोट देंगे?’
“भाजपा को.”
मुझे सात दिन में एक भी आदमी न मिला जो कांग्रेस का वोटर हो. फिर भी टक्कर कांटे की है. सुना है कि कल युवराज को सुनने 300 लोगों का हुजूम उमड़ा था जामनगर में!