अप्सराएं औरतें नहीं होती
इस्तेमाल का साधन होती हैं
किसी तपस्वी की तपस्या भंग करनी हो
देवताओं की सभा सजानी हो…
कहीं फूल बरसाने हो
कोई गीत गाने हों
कोई रक्स दिखाना हो…
हुकुम की तामील करती हैं
खूबसूरती की मिसाल होती हैं
पर इश्क़ नहीं कर सकती
उर्वशी के जैसे श्रापित होती हैं…
इश्क़ करने की तौफ़ीक़ दी है खुदा ने
औरतों को
माँ बनने का हक़ दिया है खुदा ने औरतों को…
एक ब्रह्माण्ड रचती हैं वो
एक संसार बनाती हैं वो
घर को मंदिर बनाती हैं वो…
ख़ूबसूरत चाहे न हों रंभा के जैसे, मेनका के जैसे,
जादू करना आता है उन्हें
उनके जादू से आती है रसोई से महक
उनके जादू से घर सजा रहता है करीने से
उनके जादू से बच्चे सीखते हैं ज़िंदगी की जंग लड़ना
उनके जादू से प्यार बरसता है
अप्सराएं रश्क़ करती हैं उनसे
कुछ कुछ खुदा जैसी होती हैं औरतें…
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