जालंधर से जंजैहली : शिकारी माता एडवेंचर राइड

janjheli trip ajit singh

जाना आना 650 km है. सुबह 5 बजे Ride की roll Call और Briefing और सवा 5 बजे हम Road पर थे. कुल 12 Bikes और 2 मित्र Car से.

6.30 – Fun n Food, सवा घंटे में 96 km दूर यहां हमारा पहला break था Breakfast के लिए. ये एक बेहतरीन road side ढाबा cum Restraunt है जो ऊना हमीरपुर road पर ऊना से 10 km आगे है.

40 Km आगे बनी में मेरा बेटा दानू मेरे Tent के साथ इंतज़ार कर रहा था. दानू से मिले, और 10 मिनट बाद निकल लिए. भोटा, जाहू, सुंदर नगर होते हुए दोपहर 1 बजे हम चैल चौक पहुंच चुके थे. अभी 65 km का सफर बाकी था Janjehli तक जहां भाई बबलू ठाकुर जी शिवा Home Stay वाले Lunch बना के हमारा इंतज़ार कर रहे थे. सुबह चले तो प्लान ये था कि दोपहर 2 बजे तक जंजैहली पहुंच जाना है. चैल चौक में सबने tank full कराये.

और समय से जंजैहली पहुंचने के दबाव में बस यहीं चूक हो गयी. चैल चौक में ही बूंदें पड़ने लगी थीं जिन्हें हमने ignore कर दिया. और चैल चौक से निकलते ही बारिश. सबने Riding Jackets पहनी हुई थीं पर waterproof Inners सबके bags में थे. जब तक ये अहसास हुआ, गलती हो चुकी थी.

मूसलाधार बारिश और ठंड, अब इस बारिश में 12 bikes park कर bikes पे बंधा समान खोल के change करने या raincoats निकालने का कोई मतलब नहीं था, सो चलते रहे. पूरे 65 km बारिश थी. जंजैहली पहुंचे तो सबकी कुल्फी जम चुकी थी. 3 बज चुके थे, यानि प्रोग्राम से 1 घंटे late.

पहुंचते ही सबसे पहले जो काम किया वो ये कि गीले कपड़े उतार के सूखे कपड़े पहने. जबरदस्त भूख लगी थी. भर पेट खाया. अब meeting बैठी. 25 km का सफर अभी बाकी है, Night Stay शिकारी माता पे Tents में था. पर बुरी तरह भीग के ठंड खाई team में कोई निकलने को तैयार न था. सच पूछो किसी की हिम्मत ही न थी.

सिर्फ Varinder Dhiman मने Lucky pahji जी adamant थे. अबे यहां रज़ाइयों में सोने आये हैं हम? We are on an Adventure Trip और एडवेंचर तो अब शुरू होगा. 12 में से 8 आदमी हथियार डाल चुके थे और भगोड़ों का leader मैं. भाई अपने बस की ना है, कल सूबे देखेंगे. उधर Lucky Pahji adamant थे. एक घंटा इसी में बीत गया. फिर मैं उठा. बबलू भाई की washing मशीन में सारे गीले कपड़े, shoes, Socks Spin किये और वापस पहन लिए. चलो……… और उसी बारिश में चल पड़े शिकारी माता.
5 km Road सही था और अगला 5 km टूटा हुआ था. वहां तक पहुंचने में अंधेरा हो गया. और फिर शुरू हुई Off Road Riding.. शिकारी माता के रास्ते पर आखिरी 10km सड़क नहीं है कच्चा रास्ता है. पथरीला, कच्चा, मिट्टी, कीचड़… ऊपर से बारिश… और उस पर चढ़ाई.

मने हम 10 km में 7000 फूट से 11000 फुट पे चढ़ रहे थे. रास्ता बेहद खतरनाक और फिसलन भरा था. जब आधा चढ़ आये तो Marshall Khanna ने कहा, ये तो Sach Pass का भी बाप है… एक जगह रास्ते में भैंसों का झुंड सड़क पर कब्जा जमाए थे. उनसे बच के निकलना टेढ़ा काम था. 8 बजे हम शिकारी माता के base camp पर थे.

Bikes Park की, सामान खोल के पीठ पर लाद लिया. अभी ऊपर चढ़ना बाकी था. 100 सीढियाँ चढ़ के ही अहसास हो गया कि गलती हो गयी. खड़ी चढ़ाई और पीठ पर Bag, sleeping bag, helmet, water Bottle… ऐसे फंसे कि न आगे जाने लायक न पीछे.

मरता क्या न करता… 11000 फ़ीट पे बर्फीली हवा, तेज़ बारिश और घुप्प अंधेरा… समय रात के 8.30 बजे…. सारा एडवेंचर हवा हो गया. किसी तरह रुकता बैठता लेटता आगे बढ़ते रहे. अंततः ऊपर रोशनी दिखी. जान में जान आयी.

ऊपर जो पहली दुकान दिखी वहीं पसर गए. हम ना जाने के आगे… हमको तो यहीं सुला लो…. बताया गया कि बस सामने ही सराय है जहां Night Stay है. Camping का प्रोग्राम तो cancel हो चुका था. ऊपर मंदिर की सराय में कमरे और गद्दे कंबल थे… कपड़े बदले, bag भीग चुका था. और उसमें रखे ज़्यादातर कपड़े भी. sleeping bag से तो पानी चू रहा था. किसी तरह कपड़े बदले. एकाध जो सूखा मने कम गीला था वही पहन लिया.

गनीमत ये थी कि कंबल मिल गए वरना sleeping bags के सहारे रहते तो हो गया था काम. आधे घंटे बाद Dinner की call हुई. अपने बस की ना है. मित्रों ने ज़बरदस्ती खींच के निकाला, बाहर निकले तो बर्फीली हवा… फिर कंबल में जा पड़े…. lucky Pahji दो रोटियां ले आये. उसी में 3 मित्रों ने खाई.

रात भर एक टांग दुखी. हालांकि मैं सीढियाँ चढ़ते हुए ये ध्यान रख रहा था कि सारा load एक टांग पे न आये पर फिर भी Right Leg में दर्द था, थकावट का दर्द. सारी रात रुक रुक के पानी बरसता रहा. सुबह उसी बारिश में वापसी करनी थी. चाय पी के उतरने लगे तो फुहार फिर पड़ने लगी. बर्फीली हवा… bikes start कर सामान बांधने में 11 बज गए.

वहां से वापस चले जंजैहली को, रास्ते भर फोटो खींचते, Video बनाते… सेबों के बाग… और लदे हुए सेब से… इस कलाक़े में अभी plucking चल रही है, जहां देखो वहीं सेब… 2 बजे वापस जंजैहली पहुंच के सबसे पहले तो नए कपड़े, track सूट, गर्म जुराबें ख़रीदीं. कमरे में पहुंच के कपड़े बदले. बबलू भाई गरमा गर्म परांठे ले के हाजिर. सूत के खाया. बहुत साल बाद 4 परांठे खाये. वो भी दिन थे जब एक जगह बैठ के 14 खा जाते थे…

फिर विचार करने बैठे… इस बारिश ने एडवेंचर का मज़ा 10 गुना बढ़ा दिया. एडवेंचर में Difficulty Level जैसे जैसे बढ़ता जाता है, मज़ा बढ़ता जाता है. इतना जान लीजिए कि यदि बारिश में शिकारी माता जाना हो तो वो 10 km वाकई Sach Pass का बाप है.

अब नाश्ता तैयार है. भाई लोग नीचे पांडव शिला हिला रहे हैं और मैं Travelogue लिख रहा हूँ. नाश्ता कर के वापस निकलना है. अचानक धूप खिल आयी है वरना कुछ देर पहले बादल थे. वापसी 300 km… जंजैहली, चैल चौक, सुंदर नगर, जाहू, भोटा, बड़सर, ऊना, होशियारपुर जालंधर.
शाम को मिलते हैं…

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