छेड़खानी हुई… बहुत गलत हुआ. कोई भी इंसान इसे किसी भी तरीके से सही नहीं कह सकता. लड़कियों ने वीसी से शिकायत की. वीसी ने जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कारवाई का भरोसा दिया और सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता करने का आश्वासन दिया. यहां तक तो सब कुछ ठीक है.
लेकिन फिर ऐसी कौन सी आफत आ गयी जो महामना के चेहरे पर कालिख पोतने की कोशिशें होने लगी? बीएचयू के गेट पर धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी होने लगी. फिर रात के ग्यारह बजे आगजनी और पेट्रोल बम चलने लगे?
क्या वीसी महोदय ने यह कहा कि छेड़खानी जायज है और वह ऐसा करने वालों के पक्ष में खड़े हैं? क्या वीसी महोदय ने कहा था कि इस शिकायत का वह संज्ञान नहीं लेंगे और छेड़खानी करने वालों को प्रोत्साहित करेंगे? अगर नहीं, तो प्रधानमंत्री के शहर में होने के दौरान एक संवेदनशील घटना की आड़ में यह नेतागिरी किसके लिये?
क्या वीसी महोदय को यह अधिकार था कि वह आरोपियों को प्राक्टोरियल बोर्ड के सामने फांसी पर चढ़ा देते अथवा उन लोगों से वार्ता करने सिंहद्वार पर जाते जो महामना के चेहरे पर कालिख पोतने के लिये आमदा थे?
किसी ने कह दिया कि छात्राओं को हास्टल में घुसकर मारा गया! आरोप लगाने के लिये झूठी खबरें प्रसारित करने वालों से एक सवाल – कि घटना के वक्त लगभग सभी छात्राओं के हाथ में मोबाइल था तो तथाकथित लाठीचार्ज और हॉस्टल में घुसकर मारने के वीडियो अब तक कहां हैं? पुलिस ने मार्च निकालने से जरुर रोका और बाहरी लोगों को कैंपस छोड़ देने की हिदायत दी. लेकिन पेट्रोल बम और मोटरसाईकल, पुलिस ने तो नहीं फूंके?
छेड़खानी की घटना निंदनीय है. ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कारवाई होनी चाहिये. बीएचयू प्रशासन की ओर से इस संबंध में पुलिस में एफआईआर भी करा दी गयी है. फिर इस घटना की आड़ में जो हो रहा है वह राजनीति नहीं तो क्या कहा जायेगा?
वीसी ने लड़कियों से वार्ता के दौरान ही सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा समिति के गठन की बात मान ली थी. मामला पुलिस को भी दे दिया गया. लेकिन इसी बीच मोदी की वाराणसी यात्रा आ गयी और पता चला कि दो दिनों तक प्रवास के दौरान एक बार वह इस मार्ग से भी होकर गुजरेंगे. फिर शुरू हो गयी राजनीति.
जब एक बार वार्ता हो गयी थी तो वह कौन सी बात थी जिसे सुनने के लिये वीसी गेट पर बुलाया जा रहा था. वह भी उन लोगों के बीच जो महामना के चेहरे पर कालिख पोतने के लिये उतावले हुये जा रहे थे.
बाकी विश्वविद्यालयों से इतर बीएचयू का एक अनोखा संस्कार रहा है. यहां का छात्र सब कुछ सह सकता है लेकिन अपने महामना का अपमान और अपने कैंपस के संस्कार से विमुख नहीं हो सकता. बीएचयू का सिंहद्वार इससे पहले भी कई प्रदर्शनों का गवाह रहा है, लेकिन अपने मान के लिये महामना का अपमान यहां पहली बार दिखा है.