कुछ दिन पहले बंगाल का एक वीडियो देखा कि वहां का एक मौलाना रोहिंग्या को लेकर कैसे चीख चीखकर कह रहा है कि ये बंगाल है बंगाल. हम 72 भी होते हैं तो सब पर भारी पड़ते हैं. पूरे देश, जनता और सरकार को वो खुलेआम धमकाने वाले अंदाज में चेतावनी दे रहा था.
अक्सर देखा गया है कि छोटे मोटे मुद्दों से लेकर रोहिंग्या और 3 तलाक तक हर मसले पर ये मुल्ले मौलवी खुलेआम अपनी राय देते हैं. चीख चीख कर पूरे देश को और मीडिया को अपनी बात सुनाते हैं. अपने समाज को प्रेरणा देने के साथ सरकार पर जमकर दबाव भी बनाते हैं.
परिणाम ये निकलता है कि हर मसले पर सरकार इनके दबाव में आकर निर्णय लेती हैं और बहुसंख्यक समुदाय हर बार ठगा सा देखता रह जाता हैं. शाहबानो प्रकरण से लेकर हाल ही के 3 तलाक और रोहिंग्या मसले तक यही कहानी दोहराई जा रही है.
कि कैसे उन्होंने अपने सोये हुए समाज की आंखे खोली और पूरे देश के साथ समाज को विलुप्त होने से बचाया. जबकि हमारे देश में तो धर्म गुरु ही आंखों पर पट्टी बांधे हर खतरे से बेखबर चैन की नींद सो रहे हैं!