कांख में छोरा और गाँव में ढिंढोरा

कहा जाता है कि हरियाणा पुलिस दर दर भटकती हुई, कभी नेपाल तो कभी बाडमेर राजस्थान में डेरा बाबा की चहेती को ढूँढती फिर रही है. मीडिया भी हनीप्रीत के पीछे पड़ा है. पर उसे पकड़ कोई नहीं पा रहा है. क्योंकि अगर पुलिस को सच में हनीप्रीत को पकड़ना ही था, तो 25 अगस्त को उसे हेली काप्टर से उतारने के बाद किसी के साथ जाने क्यों दिया गया?

कितने अचम्भे की चीज है कि हनीप्रीत को पंचकुला से रोहतक जेल में आने में 48 मिनिट लगे थे. हनीप्रीत और बाबा को कहाँ किस जेल में ले जा रहे हैं, कोई नहीं जानता था, तब राम रहीम के गुंडे रोहतक जेल तक, हनीप्रीत को लेने हेलीकाप्टर के जेल में पहुंचने के पहले कैसे पहुंच गए? फिर जब पुलिस को मात्र 10 मिनिट में ही पता चल गया था कि हनीप्रीत ने लाल सूटकेस से इशारा करके दंगा आगजनी भड़काई थी.यह जानते हुए पुलिस ने उसे फरार क्यों होने दिया? इससे तो यही शंका होती है कि हनीप्रीत कहाँ है? किधर छुपी है? यह पुख्ता जानकारी पुलिस को पता है.

क्या यह नहीं माना जाय कि, हनीप्रीत का ड्रायवर भटकाने के लिए कह रहा है वह नेपाल में छुपी है. पुलिस यह भी कह रही है कि हनीप्रीत के मोबाईल का लास्ट लोकेशन बाडमेर जिले से मिला था. यह भी शंका की जा रही है कि वह कहीं पाकिस्तान होते हुए ड्रग माफिया का सहारा लेकर विदेश तो नहीं भाग गई है.

मूल प्रश्न तो यह है कि हनीप्रीत ने खुद कौनसा अपराध किया है, जो हनीप्रीत को मालूम है, जिसके कारण उसे पुलिस द्वारा पकड़े जाने का डर है. हनीप्रीत को क्यों ऐसा लग रहा है पुलिस उसे पकड़कर यातना देकर जेल में बन्द कर देगी. हनीप्रीत तो पुलिस और राम रहीम के साथ पूरे दिन रही थी. उसके फरार होने का असली कारण क्या है? हनीप्रीत ने क्या किसी की हत्या की है, चोरी की है, मर्डर किया है. देशद्रोह का अपराध किया है? क्या उसने किसी दुश्मन देश को मदद करने के लिए जासूसी की है?

लुकआऊट नोटिस का पालन नहीं करना देशद्रोह तो नहीं होता. आखिर पुलिस उसे पकड़कर क्या पूछना चाहती है. हनीप्रीत के अलावा भी डेरा में हजारों लोग हैं जिनमें सैकडों राम रहीम के निकटतम रहे हैं. हनीप्रीत तो बाबा के पास बहुत बाद में आई है. उसके पहले सैंकडों लोग हैं जो रामरहीम के खास विश्वासपात्र हैं. उनसे क्यों नहीं पूछताछ की जाती?

मीडिया की रिपोर्ट को सही माने तो यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस के गुप्तचर विभाग ने यह जानकारी दी है कि हनीप्रीत को कोई मार डालेगा. आखिर क्यों, कहीं ऐसा तो नहीं हनीप्रीत सच में मर गई है या मरने वाली है और हरियाणा पुलिस राग हनीप्रीत गा गा कर भविष्य की किसी भीषण दुर्घटना की भूमिका तो नहीं बना रही है. हनीप्रीत की जान के दुश्मन अगर कोई हो सकते हैं तो वह बाबा राम रहीम की मलाई खाने वाले राजनेता और सरकारी पदों पर बैठे बड़े अफसर हो सकते हैं, जिनकी ब्लू फिल्में या सुरा सुन्दरी की मौज मस्ती मनाने का सच राम रहीम की रंगीन मायावी दुनिया के किसी सन्दूक में बन्द है, और उसके ताले की चाबी हनीप्रीत के पास है.

गाँवों में एक कहावत बहुत प्रचलित है- “कांख में छोरा और गाँव में ढिंढोरा.” अगर हरियाणा पुलिस को हनीप्रीत तो सच में पकड़ना ही था तो क्या उसने मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के पास बुदनी में बने बाबा राम रहीम के डेरा की तलाशी क्यों नहीं ली? तलाशी नहीं ली उसका क्या रहस्य है जो हरियाणा पुलिस अभी तक घोड़े बेचकर सो रही है? अरे भाई आशाराम बापू और उनकी सन्तान भी तो पुलिस से बचने के लिये फरारी में मध्यप्रदेश में ही छुपे थे. अपराधियों को छुपने के लिये मध्यप्रदेश तो स्वर्ग ही कहा जाता है. नटवरलाल से लेकर डाकू मानसिंग और सिम्मी के आतंकी सभी तो हमेशा मध्य प्रदेश में पनाह लेते रहे हैं.

17 सितम्बर 1999 को बनी राष्ट्रीय राजमार्ग एन एच 69 से महज 1.5 किमी दूर नर्मदा नदी के पास 18 एकड़ की बहुमूल्य जगह में शाह सतनाम जी “सुंखचैनपुर धाम” बुदनी जिला सीहोर में, राम रहीम की एक ऐशगाह मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की ठीक नाक के नीचे मौजूद है. कहा जाता है कि इसे बनाने में अपने को बहुत अक्लमन्द समझने वाले तत्कालीन एक बहुचर्चित मुख्य मंत्री महोदय ने सब नियम कायदों को एक तरफ रख कर राम रहीम को डेरा बनाने की इजाज़त दी थी. सुनने में तो यहाँ तक आया है कि मुख्य मंत्री जी स्वंय, सीबीएससी के चेअरमेन गांगुली से मिले थे, और बुदनी के डेरा में बाबा राम रहीम को लड़कियों का स्कूल खोलने के लिये अनुमति दिलाई थी. यहाँ लड़कियों के लिये होस्टल भी है, जो ठीक पंचकुला की तरह चलती है. इस स्कूल में पढ़ानेवाले शिक्षक और शिक्षकायें लगभग सभी पंचकुला से ही आते थे. यहाँ अधिकांश मध्यप्रदेश से बाहर की लड़कियां पढ़ती थीं.

बाबा राम रहीम के इस डेरा की खास बात है कि इसकी चहारदीवारी के भीतर भी एक गुप्त आवास बताया जाता है जिसे “तेरा वास “कहा जाता है. यहाँ कौन रहता है? भीतर क्या है? बताया जाता है, सिर्फ राम रहीम और हनीप्रीत ही जानते थे. हरियाणा पुलिस को बुदनी आकर जरा इस “सुख चैन पुर धाम” की भी सैर कर लेना चाहिये. हो सकता है उसे यहाँ आकर उनके ‘राग हनीप्रीत’ अलापने के बाद कोई हनीप्रीत नामक नागिन की छोड़ी हुई कैंचुली मिल जाए!

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