सोशल पर वायरल : कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम की कहानी, अनुपम की ज़बानी

रोहिंगिया शरणार्थियों को लेकर आज जितने भी बुद्धिजीवियों, वामपंथियों, प्रशांत भूषणों और ओवैसियों के पेट में जो दर्द हो रहा है, कहाँ थे ये सब और इनके बाप जब 1989 – 90 में भारत में ही कश्मीरी हिन्दुओं को शरणार्थी बना दिया गया था और जो आज भी शरणार्थियों की जिन्दगी बसर करने के लिए मजबूर हैं.

एक भारत की सुप्रीम कोर्ट है जो ऐसी अपील सुनने के लिए तैयार हो जाती है और दूसरी तरफ 57 मुस्लिम देशों के समूह OIC ने 16/09 /17 को यू एन में जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों के हालात का मुद्दा उठाया. ये 57 देश न तो पिछले 27 सालों में कभी कश्मीर से विस्थापित हिन्दुओं के लिए आज तक बोले और न रोहिंगिया मुसलमानों के लिए कोई मदद की पेशकश की.

क्यों????

चलिए 1990 में तो कांग्रेस की सरकार थी जो कोई अपने ही देश में हिन्दुओं को शरणार्थी बनने से नहीं बचा पाया. पर आज????

यदि आप हिन्दू हैं और बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं तो छह मिनट का यह वीडियो खुद भी देखिए और अपने हिन्दू मित्रों को जरूर दिखायें. हो सकता है रगों में ठंडे पड़ते खून में कुछ गर्मी आ जाये. अगर इतना भी नहीं कर सकते तो चादर से मुंह ढांकिये और सो जाइये, भुगतना आपको नहीं आपके कलेजे के टुकड़ों को पड़ेगा और तब आप कुछ भी करने की स्थिति में नहीं होगे.

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