महीने में 1200 किलोमीटर मोटरसाइकिल चल रही है… धन्य हो बंगलोर का ट्रैफिक कि कार निकालने में प्राण सूख जाते हैं. 20 लीटर पेट्रोल और 10 लीटर डीज़ल का बिल बना पिछले महीने. मतलब इस महीने 300 रुपये ज्यादा लगेंगे.
जितने रोने वाले दोस्त हैं मेरे… वो कार का पेट्रोल भी लगा लें और महीने के 1200 किलोमीटर घूमते हों तो उनको 1000 रुपये का अंतर आएगा…
इन सारे कार वालों ने लोन पर फ्लैट भी लिए हैं, एक भी नहीं बोलता कि महीने के कितने रुपये ब्याज़ दर घटने के कारण बच रहे हैं… ये भी नहीं बोलते कि ब्याज़ दर demonetisation से घटी है.
ये सबके सब इस साल पहली इनकम टैक्स स्लैब में आधा टैक्स भरने वाले हैं. कार वाले के 12500 इस साल बचेंगे… छोटी से छोटी कार वाले के भी 2500 + टैक्स रिबेट जितने पैसे तो बचेंगे ही…
महीने के हर सिलिंडर पर दो-तीन सौ की सब्सिडी खा ही रहे हैं… ये पेट्रोल-पेट्रोल चिल्लाने वाले वो लोग भी हैं जो किसान को चोर बोलते हैं, क्योंकि किसान का लोन माफ हो जाता है… किसान टैक्स नहीं देता है…
इनमें से कइयों को आरक्षण से समस्या है, इनको लगता है सरकार में efficiency का नुकसान हो रहा है… 90% उच्च अधिकारी मेरे जैसे जनरल कैटेगिरी के महाभ्रष्ट या efficiency ये नाम पर कलंक हैं… इन सपेरों का, आरक्षण के पिताजी भी बाल बांका नहीं कर सकते… efficiency किस चिड़िया का नाम है.
वैसे इन्हीं efficient अधिकारियों द्वारा बेचे जाने वाले महंगे पेट्रोल से आपका धुआं निकल रहा है. आपको नौकरियों की भी किल्लत है, प्याज़ और टमाटर बेमौसम सस्ते दाम में खाने का शौक भी है…
आप लोग हो क्या? क्या हो गया है आपको??