जबलपुर : यही है पालक, पोषक और परम प्रिय पावन नगर हमारा

ma jivan shaifaly 64 yogini making india
चौंसठ योगिनी

रेवातट पर बसा जबलपुर पावन प्यारा शहर हमारा
जिसकी मनभावन माटी ने हमें संवारा हमें निखारा

इसके वातावरण वायु जल नभ ने नित ममता बरसाया
इसके शिष्ट समाज सरल ने सदा नया उत्साह बढ़ाया

इसके प्राकृत दृश्य और इतिहास ने नित नये स्वप्न जगाये
इससे प्राप्त विशेष ज्ञान ने पावन सुखद विचार बनाये

भरती है आल्हाद हृदय में इसकी सुदंर परम्पराएं
इसकी धार्मिक भावनाओं ने भक्तिभाव के गीत गुंजाये

इसकी हर हलचल में दिखता मुझको एक संसार सुहाना
श्वेत श्याम चट्टानों में है भरा प्रकृति का सुखद खजाना

दूर दूर तक फैला दिखता विंध्याचल का हरित वनांचल
कृपा बांटता प्यास बुझाता माँ रेवा का पावन आंचल

इसकी ही धड़कन ने मुझको बना दिया साहित्यिक अनुरागी
संवेदी मन में ज्ञानार्जन की उत्सुकता उत्कण्ठा जागी

यहीं ज्ञान वैराग्य भक्ति तप में हैं साधु संन्यासी
उद्योगों व्यापारों व्यवसायों में है कर्मठ सब नगर निवासी

शिक्षा रक्षा और चिकित्सा के कई है संस्थान यहाॅ पर
सड़क रेल और वायुयान की यात्राओं हित साधन तत्पर

सहज सुलभ सुविधायें सभी वे जो जीवन हित हैं सुखकारी
बाल युवा वृद्धों के जीवन हित संभव सुविधाएं सारी

लगता मेरा शहर मुझे प्रिय अनुपम सब नगरों से ज्यादा
परिवारी स्वजनों से ज्यादा यहाॅ सबो का भला इरादा

इसकी सात्विक रूचि से संपोषित है मेरी जीवन धारा
यह ही पालक पोषक और परम प्रिय पावन नगर हमारा

  • प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘

Comments

comments

LEAVE A REPLY