रोहिंग्या मुसलमानों पर केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे का स्वागत, अभिनंदन. वे रोहिंग्या शरणार्थी जिनके पास संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज़ नहीं हैं, उन्हें भारत से जाना ही होगा, क्योंकि :
– अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिमों से देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. पाकिस्तान सहित कई दूसरे देशों में सक्रिय आतंकवादी संगठनों से इनके संबंधों का पता चला है.
– रोहिंग्या गैरकानूनी, राष्ट्रीय विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. इनमें से कुछ रोहिंग्या हुंडी/ हवाला चैनल के जरिये धन जुटाने, अन्य रोहिंग्याओं के लिए नकली भारतीय पहचान दस्तावेजों की खरीद और मानव तस्करी शामिल हैं.
– रोहिंग्या भारत में अन्य लोगों के भारतीय सीमा में दाखिल कराने के लिए अपने अवैध नेटवर्क का भी उपयोग कर रहे हैं. उनमें से कई ने पैन कार्ड और वोटर कार्ड जैसे जाली भारतीय पहचान दस्तावेज़ बनवा रखे हैं.
– कुछ रोहिंग्या मुस्लिमों के आईएसआई/ आईएसआईएस सहित विभिन्न चरमपंथी समूहों से जुड़े होने की सूचना मिली है. इसके अलावा संवेदनशील क्षेत्रों में सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक हिंसा को उकसाने में भी शामिल रहे हैं.
– जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में कुछ रोहिंग्या, आतंकी पृष्ठभूमि वाले संदिग्धों के साथ काफी सक्रिय पाए गए हैं. ऐसे में इन्हें भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज़ से संभावित गंभीर खतरे के रूप में पहचाना गया है.
– भारत बड़ी आबादी वाला देश है. यहां पहले से ही अतिरिक्त श्रम बल हैं. ऐसे में मौजूदा राष्ट्रीय संसाधनों से इन अवैध प्रवासियों को सुविधाएं और विशेषाधिकार प्रदान करने से भारतीय नागरिकों के अधिकारों पर प्रत्यक्ष प्रतिकूल असर पड़ेगा.
– अवैध शरणार्थियों की वजह से कुछ जगहों पर आबादी का अनुपात गड़बड़ हो सकता है.
– रोहिंग्या शरणार्थी, देश में रहने वाले बौद्ध नागरिकों के खिलाफ हिंसक कदम उठा सकते हैं.