बंदूक वही रहती है, थामने वाले हाथ से पैदा होता है सुरक्षा या भय का भाव

बंदूक राइफल जब किसी फौजी के हाथ में देखते हैं तो हमें सुरक्षा का अहसास होता है. वही बंदूक राइफल AK47 जब किसी चोर डाकू लुटेरे आतंकी के हाथ में होती है तो हम दहशत से भर उठते हैं. दोनों के हाथ में एक ही चीज़ है… राइफल. पर दोनों उसे अलग मक़सद से इस्तेमाल करते हैं. एक हमारी सुरक्षा के लिए करता है, दूसरा हमको मारने के लिए करता है.

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA 1 में पूरे देश को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral) की योजना बनी. ये अटल जी का Brain Child था. उनके कार्य काल में शुरू हो गयी थी. उसका एक stretch उन दिनों इलाहाबाद-वाराणसी के बीच बन रहा था.

आम तौर पर हमारे देश में सड़क बनाने के नाम पर मौजूदा सड़क पर डामर की एक लेयर और बिछा दी जाती है. चलो जी बन गयी सड़क. लेकिन जब वो सड़क बनने लगी तो मौजूदा सड़क को पूरा उखाड़ दिया गया. फिर नये सिरे से गिट्टी डाल के उसका bed बनाया गया. इसके बाद नीले रंग का एक मोटी Polythene की sheet बिछाई गई. उसके ऊपर Cocrete RCC की य्ये मोटी परत, कितनी मोटी… कम से कम डेढ़ या दो फीट मोटी परत ढाली गयी. उसके अंदर शायद सरिया भी डाला गया (शायद), जानकार लोग ज़्यादा बता सकते हैं. जिन दिनों ये सड़क बन रही थी, मेरा अक्सर उस रुट से आना जाना होता था और मैं उसे बड़ी आशा और विश्वास से निहारता, बनता देखता था. मुझे बड़ा सुकून मिलता की एक नए भारत का निर्माण हो रहा है.

फिर इसी बीच चुनाव हुए, अटल जी चुनाव हार गए और धरती के सबसे ईमानदार सरदार मनमोहन सिंह जी की सरकार बनी. Golden Quadrilateral उन्हीं के कार्य काल में पूरा हुआ. वो सड़क आज भी है. जो / जितनी अटल जी ने बनवाई वो RCC की है. उसपे आप 140 की स्पीड से कार दौड़ा सकते हैं. बाकी की सरदार जी ने बनवाई… वो डामर तारकोल से बनी है. न जाने कैसे बनवाई कि गर्मियों में उसका तारकोल पिघल के एक तरफ बहने लगता है. इस से उसमे खतरनाक ऊबड़ खाबड़ लहरें बन जाती हैं. उसपे 140 तो छोड़ो 40 की स्पीड से गाड़ी चलाने में भी खतरा रहता है. मेरी इस बात की पुष्टि उस इलाके में रहने या चलने वाला कोई भी मित्र कर देगा.

अटल जी और सरदार जी दोनों सड़क ही बना रहे थे. दोनों के हाथ हमने यानी टैक्स देने वालों ने अपने गढ़े पसीने की कमाई के अरबों रुपये दे रखे थे. देख लीजिए कि अटल जी ने उन रुपयों का क्या उपयोग किया और सरदार जी ने क्या दुरुपयोग किया.

आज मोदी जी के नेतृत्व में गडकरी भी सड़क ही बना रहे हैं. जहां भी देख लो राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) पे काम लगा है. जहां सिंगल थी उसे 4 lane और जहां 4 lane थी उसे 6 lane कर रहे हैं. गडकरी की सड़क में गुणवत्ता की समस्या नहीं रहेगी ऐसा हमें विश्वास है. पूरे देश में सैकड़ों बड़ी सड़क परियोजनाओं पर काम चल रहा है. जितनी सड़क पिछले 70 साल में नहीं बनी उस से ज़्यादा गडकरी 5 साल में बना देंगे.

उत्तराखंड में 4 धाम को जोड़ने वाली बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना बन रही है जो समूचे उत्तराखंड का काया कल्प कर देगी. उस परियोजना का एक वीडियो youtube पर है. देख लीजिए. आपकी आत्मा तृप्त हो जाएगी.

इतना काम हो रहा है, पर कोई ये नहीं पूछ रहा कि इतना पैसा कहां से ला रहे हैं मोदी – जेटली – गडकरी? इस से पहले तो हम हमेशा यही सुनते आए कि पैसे नहीं हैं, बजट नहीं हैं. सरकार कंगाल है. अब कहाँ से आ रहा है पैसा?

पेट्रोल महंगा हुआ है. उसके कारण होंगे. पर मैं इतना जानता हूँ कि अगर भारत की वर्तमान सरकार प्रति लीटर 10-20 रूपए मुझसे ले भी लेगी, कमा भी लेगी तो उस पैसे का सदुपयोग ही होगा. उसे कोई कांग्रेसी किसी स्विस बैंक में नहीं पहुंचा पायेगा. उस पैसे से सैफई में नचनिया नहीं नचाई जाएगी. वो पैसा मोदी की लड़की की शादी में उसके बारातियों की आवभगत में खर्च नहीं होगा. उस पैसे से मोदी एम्बी वैली में बंगला नहीं खरीदेंगे.

मोदी पेट्रोल 100 रूपए भी कर दें, मैं खुशी-खुशी भरवाऊंगा. बहुत चुभेगा तो हफ्ते में एक दिन साईकिल चला लूंगा. कार से नहीं बस से चला जाऊंगा. I Support Modi.

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